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Holi 2020: जानें आज होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि

होलिका दहन पर ही होली जलाई जाती है, लेकिन इसे जलाने का एक शुभ मुहूर्त होता है...

नई दिल्ली: Holi 2020 Pujan time-holika dahan shubh muhurat- रंगों का त्यौहार है होली (Holi)। बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य और अहंकार पर स्वाभिमान का प्रतीक है होली (Holi 2020)। दुल्हेंडी या रंग वाली होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन (Holika Dahan) मनाया जाता है। होलिका दहन को ही छोटी होली (Chotti Holi) भी कहते है।

होलिका दहन पर ही होली जलाई जाती है, लेकिन इसे जलाने का एक शुभ मुहूर्त होता है ताकि होली की पावन अग्नि में आपके सारे दुख-दर्द, जीवन की नाकारात्मकता और बुराईयां स्वाह हो जाए और शुभ का आवागमन हो।

दहन की तैयारियों के लिए लोग सूखे पत्ते, पेड़ों की सूखी टहनियां, लकड़ियां इकट्ठी करके किसी भी खुले मैदान या सार्वजनिक स्थल पर सजाते है।

साथ ही गोबर के सूखे कंडे रखे जाते है। इसके बाद संध्या के समय फाल्गुन पूर्णिमा को अग्नि प्रज्जवलित की जाती है और होलिका दहन धूमधाम से मनाया जाता है।

लोग होलिका दहन की अग्नि में अपनी सभी बुराईयों और दुष्ट कर्मों को जीवन व परिवार से जलाकर खत्म करने का संकल्प लेते है।

 

जानें कब है होलिका दहन? When holika dahan

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हिंदुओं का एक और पावन पर्व है होली। हर्षोउल्लास के प्रतीक होली को प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात में होलिका दहन (Holika Dahan) के साथ मनाना शुरू किया जाता है।

दुल्हेंडी या रंग वाली होली (Holi 2020) से एक दिन पहले के दिन को ही होलिका दहन कहा जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 9 मार्च 2020, सोमवार को है और बड़ी होली अर्थात दुल्हेंडी 10 मार्च, मंगलवार को 2020 को है।

सभी मांगलिक कार्य होलिका दहन से ही आरंभ हो जाते है। पौराणों के अनुसार, होली से आठ दिन पूर्व तक भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को बहुत सी यातनाएं दी गई थी।

इसी कारण इस समयकाल को होलाष्टक भी कहते है। होलाष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य करने का विधान नहीं है।

होलिका दहन के बाद ही सारे मांगलिक कार्य आरंभ होते है चूंकि होली की अग्नि में सारी नाकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाती है।

 

Holi 2020 Pujan time-holika dahan shubh muhurat:

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यह है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:  

होलिका दहन की तिथि: 9 मार्च 2020

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 9 मार्च 2020 को सुबह 3 बजकर 3 मिनट से

पूर्णिमा तिथि की समाप्ति : 9 मार्च 2020 को रात 11 बजकर 17 मिनट तक

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: शाम 6 बजकर 26 मिनट से रात 8 बजकर 52 मिनट तक

 

होलिका दहन के लिए पूजन सामग्री

गोबर से बनीं होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं, एक लोटा जल,  माला, रोली, गंध, पुष्‍प, कच्‍चा सूत, गुड़, साबुत हल्‍दी, मूंग, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज, गुजिया, मिठाई और फल।

 

Holi 2020 Pujan time-holika dahan shubh muhurat-puja vidhi

क्या है होलिका दहन की पूजा विधि?

होलिका दहन करने से पहले पूजन सामग्री के अतिरिक्त 4 मालाएं अलग से रख लें।

– अब इनमें से एक माला पितरों की, दूसरी हनुमानजी की, तीसरी शीतला माता और चौथी घर परिवार के नाम समर्पित की जाती है।

– इसके बाद होलिका दहन से पहले श्रद्धापूर्वक होली के चारों ओर परिक्रमा करते हुए सूत के धागे को लपेटते हुए चलें।

– अब परिक्रमा तीन या सात बार करें।

– इसके बाद एक-एक करके सारी पूजन सामग्री होलिका की अग्नि में अर्पित कर दें।

– अब जल से अर्घ्‍य दें।

– इसके बाद घर के सदस्‍यों को तिलक लगाएं।

– इसके बाद होलिका में अग्नि लगाएं।

– ऐसी मान्‍यता है कि होलिका दहन के बाद जली हुई राख को घर लाना शुभ होता है।

– अब अगले दिन सुबह-सवेरे उठकर नित्‍यकर्म से निवृत्त होकर पितरों का तर्पण करें।

– घर के देवी-देवताओं को अबीर-गुलाल अर्पित करें।

– इसके बाद अब घर के बड़े सदस्‍यों को रंग लगाकर उनका आशीर्वाद लें।

– अब इसके बाद घर के सभी सदस्‍यों के साथ आनंदपूर्वक होली खेलें।

 

होलिका दहन की कथा- holika dahan story:

 पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार सालों पहले पृथ्वी पर एक अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यपु शासन करता थ।

उसने अपनी प्रजा को यह आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति ईश्वर की वंदना न करे, बल्कि उसे ही अपना आराध्य माने।

लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद प्रभु विष्णु का परम भक्त था। उसने अपने पिता की आज्ञा की अवहेलना कर अपनी ईश्वर की भक्ति जारी रखी।

यह देखकर हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र को दंड देने की ठान ली। उसने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठा दिया और उन दोनों को अग्नि के हवाले कर दिया।

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गौरतलब है कि होलिका को ईश्वर से यह वरदान मिला था कि उसे अग्नि कभी नहीं जला पाएगी, लेकिन दुराचारी का साथ देने के कारण होलिका अग्नि में भस्म हो गई और प्रभु भक्त सदाचारी प्रह्लाद बच गए।

बस तभी से बुराइयों और नकारात्मकता को जलाने के लिए होलिका दहन किया जाने लगा।

 

होलिका दहन का महत्‍व- holika dahan significance

हिन्‍दू धर्म के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है-होली और इसका धार्मिक महत्‍व भी बहुत ज्‍यादा है।

होली से एक दिन पहले किए जाने वाले होलिका दहन की महत्ता भी सर्वाधिक है।

होलिका दहन की अग्नि को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।

होलिका दहन की राख को लोग अपने शरीर और माथे पर लगाते हैं। मान्‍यता है कि ऐसा करने से कोई बुरा साया आसपास भी नहीं फटकता है।

होलिका दहन इस बात का भी प्रतीक है कि अगर मजबूत इच्‍छाशक्ति हो तो कोई बुराई आपको छू भी नहीं सकती।

जैसे भक्‍त प्रह्लाद अपनी भक्ति और इच्‍छाशक्ति की वजह से अपने पिता की बुरी मंशा से हर बार बच निकले।

होलिका दहन हमें सीख देता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्‍यों न हो, वो अच्‍छाई के सामने टिक नहीं सकती और उसे घुटने टेकने ही पड़ते हैं।

 

समयधारा की ओर से होलिका दहन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

 
 
Holi 2020 Pujan time-holika dahan shubh muhurat
 

 

 

(इनपुट एजेंसी से भी)

 

 

 

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