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नई दिल्ली (समयधारा) : एक तरफ देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है तो,
दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था सहित सारे काम पटरी पर लौटने की तैयारी में है l
अयोध्या में 06 दिसंबर, 1992 को तोड़े गए बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की सीबीआई ट्रॉयल कोर्ट (CBI Trial court) को 30 सितंबर तक फैसला सुनाने का आदेश दिया है।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी,
मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित विश्व हिंदू परिषद के कई नेता आरोपी हैं।
आडवाणी, जोशी और उमा भारती पर भीड़ का नेतृत्व करने और कारसेवकों को भड़काकर बाबरी मस्जिद तुड़वाने का आरोप है।
इससे पहले जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने 19 अगस्त को सीबीआई कोर्ट को 31 अगस्त तक इस मामले में फैसला सुनाने का आदेश दिया था।
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लेकिन अब इसकी समय-सीमा को एक महीने बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया है।
सीबीआई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रहे जज एसके यादव की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निपटारे की समय सीमा एक महीना बढ़ाने का फैसला किया है।
इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी ने 24 जुलाई को अपना बयान दर्ज कराया था।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दिए गए अपने बयान में उन्होंने इस साजिश में शामिल होने के सभी आरोपों को खारिज किया था।
खुद को निर्दोष बताते हुए आडवाणी ने कहा था कि उन पर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
उन्होंने विवादित ढांचा गिराए जाने में शामिल होने से इनकार किया था।
आजवाणी ने कहा था कि राजनीतिक वजहों से उन्हें बाबरी मस्जिद मामले में अनावश्यक घसीटा जा रहा है।
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने 23 जुलाई को विशेष सीबीआई अदालत में अपना बयान दर्ज कराया था।
उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से फंसाने का आरोप लगाया।
जोशी ने कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से इस मामले में पेश किए गए सभी सबूत झूठे और राजनीति से प्रेरित हैं।
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