![Income Tax Return filling deadline has been extended till December 31 now](/wp-content/uploads/2021/02/samaydhara-latest-news_optimized.jpg)
नई दिल्ली, 25 मार्च: कई बार ऐसा होता है कि हमें लगता है हम बीमार हैं और उसी चक्कर में हम ऐसे टेस्ट करा डालते हैं जो हमारी पूरी सैलरी को सफाचट कर लेता है। उसके बाद जब रिपोर्ट आती है तो पता चलता है कि बीमारी तो कुछ थी ही नहीं और पैसा लग गया इतना ज्यादा। हालांकि अच्छी बात है कि बीमारी नहीं है, लेकिन फिर भी बीमारी के लिए किए गए टेस्ट लोगों को काफी अखरते हैं। पर अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि अब आपका स्मार्टफोन पता लगा लेगा कि आपको क्या हुआ है और आप ठीक हैं या नहीं।
डेंगू, चिकनगुनिया से अब तक न जाने कितने लोग प्रभावित हो चुके हैं और ऐसे लोग केवल भारत में ही नहीं हैं बल्कि डेंगू, चिकनगुनिया और जीका से प्रभावित लोग हर देश में मिल जाएंगे। अभी इन बीमारियों का इलाज भी इतना सस्ता नहीं है कि हर आदमी करा सके। इन सभी बीमारियों के सिर्फ टेस्ट भर से ही इंसान की पूरी महीने की सैलरी खर्च हो जाती है और उसके बाद दवाईयों की कीमत के बारे में तो पूछिए मत। इन बीमारियों का इलाज आसानी से हो भी नहीं पाता हैं। क्योंकि इन बीमारियों का इलाज अच्छे हॉस्पिटल्स में होता है, जिनकी फीस इतनी होती है कि वो आम आदमी के बजट से बाहर होती है। साथ में दवाईयां भी महंगी होती हैं। इन बीमारियों का पता लगने तक यह काफी बढ़ चुकी होती हैं। क्योंकि यह बहुत तेजी से इंसान को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। इन बीमारियों के इलाज में भी काफी लंबा समय लगता है। अगर कोई टेस्ट कराया जाता है तो उसकी रिपोर्ट आने तक का इंतजार करना पड़ता है और रिपोर्ट आने में कम से कम एक दिन का समय तो लग ही जाता है।
अब रिसर्चर्स ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो आपके स्मार्टफोन से कनेक्ट हो जाएगी जिसे स्मार्टफोन से कंट्रोल किया जा सकता है और यह बैटरी से चलेगी। मतलब इसमें स्मार्टफोन की तरह ही बैटरी भी होगी। इससे महज 30 मिनट में ही यह पता लगाया जा सकता है कि आपको डेंगू, चिकनगुनिया या जीका तो नहीं है। सबसे खास बात है इसकी कीमत जिसे कोई भी आसानी से खरीद सकता है। इसकी कीमत 100 अमेरिकी डॉलर (करीब 6800 रुपये) है। इस डिवाइस को बनाने वाली टीम में एक भारतीय मूल का रिसर्चर भी शामिल है। अभी इस तरीके के वायरस का पता लगाने के लिए एक लैबोरेट्ररी की जरूरत पड़ती है। उसमें भी बड़ी मशीनों की जरूरत होती है और उनकी कीमत लाखों रुपये होती है। इससे तो यही कहा जा सकता है कि स्माटफोन ने न सिर्फ हॉस्पिटल के चक्कर लगाने से छुटकारा दिलाया बल्कि पैसे भी बचा लिए।