#GudiPadwa-कोरोना के कहर के बीच जानें गुडी पड़वा का महत्व, पूजा टाइम आदि

गुड़ी पड़वा नवरात्रि के पहले दिन यानि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है.

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नई दिल्ली,(समयधारा): #GudiPadwa- आज यानि 25 मार्च 2020 को गुड़ी पड़वा (#GudiPadwa)  है।

विशेष रूप से महाराष्ट्र में यह त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है l

पर इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इस त्यौहार की चमक फीकी हो गयी है l 

चूंकि गुड़ी पड़वा मूल रूप से महाराष्ट्र का ही त्यौहार है। इसे नववर्ष के रूप में मराठी और कोंकणी भाषाई लोग मनाते है।

गुड़ी पड़वा (#GudiPadwa)नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन यानि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।

इसलिए इस बार गुड़ी पड़वा पहले नवरात्रि (Navratri) 25 मार्च बुधवार को मनाया जा रहा है।

हिंदू पंचाग के अनुसार, आज के दिन से ही नवसंवत्सर का आरंभ होता है। गुड़ी का अभिप्राय है झंडा और पड़वा का अर्थ है- प्रतिपदा की तिथि।

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इस त्यौहार को घर में सुख,शांति और समृद्धि व फसल की अच्छी पैदावार के लिए मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा कैसे मनाते है? 

गुड़ी पड़वा (#Gudi Padwa) के दिन लोग सूर्योद्य से पहले घर की साफ-सफाई करते है और प्रात:काल स्नान करते है।

इसके बाद घर के आंगन में रंगोली बनाई जाती है और द्वार पर बंदनवार बांधा जाता है।

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गुड़ी पड़वा (#Gudi Padwa) के दिन एक गुड़ी यानि पताका या झंडा घर के बाहर लगाया जाता है।

तांबे या पीतल के पात्र पर सत्या या स्वास्तिक बनाकर रेशम के वस्त्र में उसे लपेटकर रखा जाता है।

इसके बाद खाली पेट नीम,गुड़-धनिया खाया जाता है। ऐसा करने का मुख्य कारण शरीर को स्वस्थ व रोग मुक्त करना होता है।

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फिर ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि नववर्ष में बुराई पर अच्छाई की विजय हो और सभी का भला हो।

गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त-what shubh muhurat of gudi padwa

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प्रतिपदा तिथि आरंभ : 14:57 (24 मार्च 2020)
प्रतिपदा तिथि समाप्त : 17:26 (25 मार्च 2020)
दिनांक 25 मार्च, बुधवार
गुड़ी पड़वा
शुभ समय- 6.00 से 9.11, 5.00 से 6.30 तक
राहुकाल- दोप. 12.00 से 1.30 बजे तक

 

क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा और क्या है महत्व?- Why celebrate Gudi Padwa?

जैसा कि हमने पहले बताया कि गुड़ी का मतलब होता है- विजय पताका और पड़वा का अर्थ है- प्रतिपदा तिथि। इस तरह गुड़ी पड़वा बुराई पर अच्छाई की विजय ध्वज का प्रतीक है।

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गुड़ी पड़वा मनाने के ये तीन कारण है

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, सतयुग में गुड़ी पर्व के दिन भगवान राम ने सुग्रीव को उसके अत्याचारी भाई बाली से मुक्ति दिलाने के लिए बाली का वध किया था। तभी से वहां की प्रजा अपने घरों में विजय ध्वज फहराने लगी,जिसका पालन आजतक किया जाता है। बस तभी से गुड़ी पड़वा (#Gudi Padwa)का त्यौहार मनाया जाने लगा।

दूसरी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा जी ने गुड़ी पड़वा के दिन ही सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन से सतयुग का आरंभ हो गया था।

अन्य मान्यता है कि गुड़ी पड़वा के दिन ही शालिवाहन नामक कुम्हार पुत्र ने अपने शत्रुओं का सामना मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाकर किया और विजय हुए। इसी कारण गुड़ी पड़वा (#Gudi Padwa) के दिन से शालिवाहन शक का आरंभ हुआ।

गुड़ी पड़वा (#Gudi Padwa) महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश व गोवा समेत विभिन्न दक्षिण भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। गोवा व केरल में कोंकणी वर्ग की जनता इसे संवत्सर पड़वों के नाम से मनाते है।

कर्नाटक में गुड़ी पड़वा को युगादी पर्व के नाम से मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश में इसे उगादी नाम से मनाते है।

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Varsa: वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।