Corona’s most affected middle class
आज हर तरफ़ बस एक ही नाम सुनाई दे रहा है,“कोरोनावायरस“ इस बारे में पिछले कई महीनों से इतनी ज्यादा जागरूकता फैलाई जा रही है कि कुछ कहने बताने की ज़रूरत नहीं है।
देश का बच्चा-बच्चा भी आज इस कोरोना (Corona) नामक बीमारी से बचाव के तरीके जानता है। इस बीमारी की शुरुआत अनजाने में किसी जानवर का मांस खाने से हुई या किसी सोची-समझी राजनीतिक साजिश के तहत, इसमें अभी भी सस्पेंस बरकरार है, लेकिन चीन में जन्मी इस बीमारी को हमारे देश तक लाना किसी आम आदमी के बस का काम नहीं था।
इस बीमारी को तो हवाई जहाज में बैठने वाले उच्च वर्ग के लोगों ने हमारे देश के कोने-कोने में बाँटने का काम किया।
आम आदमी तो दिनभर मेहनत करके अपनी प्रतिदिन की रोजीरोटी कमाने में ही जुटा था। जब इस बीमारी की जानकारी समाचारों के माध्यम से आम आदमी को हुई, तो वो इसे अमीरों की बीमारी मानकर खुद को इससे अप्रभावित समझता रहा।
Corona’s most affected middle class
उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए देश में “लॉकडाउन” किया जाएगा, जिससे उसके हर दिन कमाने का जरिया ही बंद हो जाएगा।
शुरू में यह लॉकडाउन (Lockdown) सिर्फ 21 दिनों के लिए किया गया था। रोज़ कमाने खाने वाला आदमी 21 दिनों तक बिना रोज़गार के कैसे रहेगा? इस बारे में किसी को कुछ भी निश्चित नहीं पता था।
देश के प्रधानमंत्री द्वारा हर नागरिक से अपील की गई थी कि अपने आसपास रहने वाले ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें।
इस अपील पर कई पैसेवाले लोगों के सोए हुए ज़मीर जाग उठे, कई समाजसेवी संस्थाएं सक्रिय हो उठीं। आनन फानन में प्रधानमंत्री राहत कोष में दान देने वालों की होड़ लग गई, लेकिन भविष्य क्या होने वाला है, इसका किसी को कोई अंदाज़ा भी नहीं हुआ।
Corona’s most affected middle class
बेचारा मध्यम वर्ग खुद की रोटी की चिंता छोड़कर अपनी बचत के कुछ हिस्से को निम्न वर्ग तक पहुंचाने में जी जान से जुट गया।
इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, देश में बीमारी और बीमारों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई और साथ ही साथ बढ़नी शुरू हो गई तालाबंदी, यानि लॉकडाउन।
लॉकडाउन वन, टू से बढ़ते हुए अब पांचवी बार लॉकडाउन की स्थिति आ पहुंची है। गरीबों और मजदूरों की मदद के लिए सरकारें भी आगे आ रही हैं लेकिन इससे सबसे ज्यादा कमर मध्यम वर्ग की ही टूटी है।
मध्यम वर्ग(middle class), जिसमें श्रमिक और मजदूर नहीं, बल्कि वे लोग आते हैं जो अपनी गरीबी का रोना रोने के बजाए गरीबी रेखा से ऊपर जीने का दावा करने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसाय या नौकरियां करके अपने परिवार का पेट पालते हैं।
Corona’s most affected middle class
इनकी कमाई भले ही मजदूर वर्ग से भी कम हो, लेकिन खुद को सम्मानित व्यक्तित्व कहलाने की धुन में साफ सुथरे, बने संवरे रहते हैं।
यही मध्यम वर्ग जिनमें शिक्षक, वकील, इंजीनियर, छोटे मोटे व्यवसायी से लेकर हालिया पढ़ाई खत्म करके रोजगार की तलाश में जुटे अनेक संघर्षरत युवकों को गिना जा सकता है, यही मध्यम वर्ग यानि आम आदमी आज दोतरफा मार झेल रहा है।
एक तरफ़ तो उसका दानशीलता का जज्बा थमता नहीं और दूसरी तरफ सरकारी कटौतियों का शिकार भी यही आम आदमी होता है।
ये आम आदमी अपनी विवशता पर मुस्कुराहट का जामा ओढ़कर अपनी तनख्वाह में कटौती भी झेलता है और उसकी खुद की गाढ़ी कमाई से की हुई बचत पर ब्याज दर में कमी का दर्द भी सहता है।
क्या कोरोना आपदा बीतने के बाद ये आम आदमी निम्न वर्ग की श्रेणी में नहीं जा पड़ेगा?
Corona’s most affected middle class