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दर्द कितना खुशनसीब है जिसे
पा कर लोग अपनों को याद करते है,
दौलत कितनी बदनसीब है
जिसे पा कर लोग
अक्सर अपनों को भूल जाते है…
कारवाँ ए जिंदगी
हसरतों के सिवा
कुछ भी नहीं
ये किया नहीं, वो हुआ नहीं
ये मिला नहीं, वो रहा नहीं..
दूरियाँ
तो पहले ही आ चुकी थी ज़माने में ,
कोरोना ने आकर
इल्ज़ाम अपने सर ले लिया ।
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ ,
हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !
मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं ,
जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !
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