क्या एमसीडी चुनाव से पहले ईवीएम (EVM) के रूप में मिला नया हथियार केजरीवाल को

Share

नई दिल्ली,15 मार्च :  टेक्नोलॉजी इतने आगे बढ़ चुकी है कि लोग अब इसका इस्तेमाल बड़ी आसानी  से करने लगे है l कहते है हर किसी वस्तु, जीव,सजीव – निर्जीव आदि का मानव जीवन पर सकारात्मक व नकारत्मक दोनों प्रभाव पड़ता है l यह हमपर निर्भर करता है कि हम इसे किस रूप में ले l  कहां  एक पेपर पर वोट डाले जाते थे, एक मुहर उठाई और अपने मनपसंदीदा पार्टी के चुनाव चिन्ह पर मुहर लगा आते थे l  वो दिन ढल गए l टेक्नोलॉजी बड़ी और उन पेपरों की जगह ईवीएम (EVM) ने ले ली  और शुरुआत हुई नए भारत की, पर किसे पता था कि इसे भी हमारे नेता लोग अपना चुनावी हथियार बना लेंगे l हार की सबसे बड़ी वजह ईवीएम (EVM) को बता देंगें l एक बार फिर हारने वाली पार्टी ने अपने काम की बजाय हार का ठीकरा ईवीएम (EVM ) पर डाला और अपनी सारी नाकामियों को एक झटके में किसी और के मत्थे जड़ पल्ला झाड़ लिया l 

यह मुद्दा सब पार्टियां उठा रही है क्योंकि  वह हार गयी हैl  चलिए ले चलते है हम आपको ईवीएम (EVM) के इतिहास में… जब -जब चुनाव हुए जिस पार्टी की हार हुई उसने अपनी हार का कारण हमेशा की तरह अपनी नाकामी को पीछे रख  तरह-तरह के दूसरे कारण बताएं l जैसे कि…

हमारे कार्यकर्ताओं में एकता नहीं थी l 

हमने अपने काम को लोगों तक बराबर नहीं पहुँचाया l

विपक्षी पार्टी ने धन बल का प्रयोग किया l

हमारे पास संसाधनों की कमी थी l 

हम सिर्फ कुछ मतों से चूक गए l

और ब्ला ब्ला ब्ला फलाना-धीमकाना, और इस समय सबसे अच्छा व कारागर हथियार है ईवीएम (EVM) l हारो चुनाव तो फोड़ो सारा ठीकरा ईवीएम(EVM) पर l मशीन है जवाब तो दे नहीं पाएंगी और हम अपनी जिम्मेदारियों से भी बच जायेंगे l यही काम विपक्ष में रहते हुए बहुत बार भारतीय जनता पार्टी ने किया और अब कर रही है दूसरी सारी पार्टियां l आप जो करोंगे वही फल आपको मिलेगा l भाजपा ने  विपक्ष में रहते हुए कई बार इलेक्शन के बाद यह आरोप लगाया था कि ईवीएम(EVM) में खराबी है और कांग्रेस के निशान पर ही वोट जातें है l  तो एक बार मुझे भी इस पर विश्वास हो गया था l मैंने भी कई बार इस बात पर बहस की है  और बहस के बाद मुझे लगता था कि मैं जीत गया l मैंने बहस में सामने वालों को पछाड़ दिया पर सच में ऐसा हुआ ? नहीं ..! मै खुद मीडिया दवारा चलाये जा रहे या सुनी सुनाई बातों पर भरोसा करने लगा l आखिर में मैंने इस बात की सच्चाई की तह तक जाने की कोशिश की l कुछ तथ्य जो मुझे मालूम हुए वो इस प्रकार है l इन तथ्यों के आधार पर आप पता लगाये कि इस बात में कितनी सच्चाई है कि ईवीएम(EVM) में कुछ खराबी हो सकती है l

ईवीएम(EVM) का फुल फॉर्म है l इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(Electronic Voting Machine)

जब हम ईवीएम(EVM) में वोट डालते है l तो क्या हमारा मत हमारे दिए हुए कैंडिडेट को बराबर गया है …?

हां/नहीं …! 1998 से ईवीएम(EVM) की शुरुआत से इस पर सवाल उठायें जाते रहे है l  इस बात को जब सर्वप्रथम 2009 के चुनाव के बाद उठाया गया था तब तत्कालीन केंद्र सरकार(कांग्रेस) ने इसकी पुख्ता जांच करायी व एक कमिटी घटित की जिसकी रिपोर्ट में यह कहा गया कि ईवीएम(EVM) से कोई छेड़-छाड़ नहीं कर सकता l पर विपक्षी पार्टी भाजपा को यह बात गले नहीं उतरी l फिर उसके बाद जितने चुनाव हुए हमेशा हारने वाली पार्टी ने ईवीएम(EVM) पर बहुत बड़ा सवाल उठाया l  दरअसल चुनाव में  ईवीएम(EVM) कब,कौनसी और कहाँ जाएँगी इस बात का पता किसी भी पार्टी को नहीं  होता l प्रत्येक  मशीन सील होने से पहले उस पर 50 लोग हर चुनाव चिन्ह पर वोट डालकर चेक करते है   और कोई चुनाव अधिकारी या चुनाव से जुडा व्यक्ति उस सील को वोटिंग से पहले तोड़ नहीं सकता  और बहुत सी छोटी-छोटी बातें व उपाय ईवीएम(EVM) की सुरक्षा के लिए किये जाते  है l फिर भी अगर कोई टेक्नोलॉजी प्रॉब्लम आती है तो वहां या तो फिर चुनाव कराएं जाते है या फिर  मशीन की दोबारा  जांच करायी जाती है और जो संभव हो सके वह कदम उठायें जातें है l (जैसा की उत्तराखंड की एक सीट पर दोबारा मतदान हो रहा है क्योंकि ईवीएम सही समय पर खुली ही नहीं थी ) भगवान भी हमेशा सही नहीं हो सकता  और यह तो एक मशीन है l

बहुत सारे वाद-विवाद  अभी बाकी है l  हार का कारण ईवीएम(EVM) ही है यह तो हमें नहीं पता पर ईवीएम(EVM) को हथियार बना सभी पार्टियां समय समय पर जीतने वाली पार्टी के ऊपर वार जरुर कर रही हैं और यह तब तक चलता रहेगा जब तक हारने वाली पार्टी अपने काम व वादों को याद कर खुद जिम्मेदारी नहीं ले लेती व ईवीएम(EVM) को हथियार बनाना नहीं छोड़ती l             

समयधारा डेस्क