Health News 24/7 : मोबाइल से बच्चों की आंखों की रोशनी जाने का ख़तरा
Alert ...! स्मार्टफोन पर घंटों गेम खेलने वाले बच्चों की आंखों की रोशनी कमजोर होने की संभावना अधिक
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नई दिल्ली (समयधारा) : देश में कोरोना वायरस का ख़तरा बढ़ता ही जा रहा है l
इस बीच देश भर में 21 दिन का लॉक डाउन लगा है l हम में से सभी लोग घर पर बैठने को मजबूर है l
ऐसे में हमारे बच्चे घर में पूरा दिन मोबाइल पर गेम खेलकर दिन गुजार रहे है l
बच्चों को तो छोड़ों घर के सभी लोग गेम खेलकर अपना दिन गुजार रहे है l
क्या ऐसे में हमारे बच्चों को हमें स्मार्ट फ़ोन पर गेम खेलने की अनुमति देनी चाहियें या नहीं..?
आपके बच्चे अगर स्र्माटफोन पर घंटों समय बिताते हैं, वे गेम खेलते रहते हैं और कम्प्यूटर या टैबलेट पर अधिक समय काम करते हैं,
तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है।
महामारी में महिलायें पुरुषों के मुकाबले ज्यादा जीवित रहती है..!
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मगर चिंता छोड़िए और उन्हें खेलने के लिए स्मार्ट फ़ोन की जगह घर के खेल व्यापार, लूडो, शतरंज, कैरम आदि गेम दीजियें।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चे हर रोज मोबाइल पर गेम खेलना कम करते जायेंगे तो उनकी आंखों की रौशनी जाने का ख़तरा कम हो जाएगा l
निकटदृष्टि दोष (मायोपिया) : इस रोग में पास की नजर कमजोर होती है।
इसमें पास की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। इसमें रोशनी आंख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिंब बना देता है (न कि रेटिना पर)।
इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब स्पष्ट नहीं बनता (आउट ऑफ फोकस) और चींजें धुंधली दिखती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस परिस्थिति का कारण है आंखों के लिए प्राकृतिक रोशनी की कमी।
लंदन में मूरफील्ड्स आई हॉस्पिटल में ओप्थाल्मोलॉजिस्ट की सलाहकार एनेग्रेट डाल्मान-नूर ने कहा,
“इसमें मुख्य कारण सीधे तौर पर प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश के संपर्क में कमी की संभावना है।
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जो बच्चे अधिक पढ़ते हैं, अधिक रूप से कम्प्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं
और जिन्हें बाहर खेलने-कूदने का कम अवसर मिलता है, उनमें यह कमी साफ नजर आती है।”
अभिभावकों के लिए बच्चों को इन उपकरणों के इस्तेमाल से रोकना बड़ा काम है।
इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को जितना हो सके, उतने अधिक समय के लिए बाहर खेलने के लिए लेकर जाएं।
‘बीबीसी हेल्थ’ की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर क्रिस हेमंड ने कहा,
“हमें पता है कि आज के समय में बच्चों के बीच निकटदृष्टि दोष की समस्या आम बात हो गई है।”
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हेमंड ने कहा, “निकटदृष्टि दोष को रोकने का सही तरीका स्मार्ट फ़ोन पर अधिक से अधिक कम समय बिताना है।
इसमें दो घंटे बाहर बिताने से बच्चों में इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।”(कोरोना खत्म होने के बाद) फिलहाल उन्हें घर में ही रखें
इसके साथ ही बच्चों को ओमेगा-3 की डाइट देना जरूरी है।
इसके साथ ही उन्हें विटामिन-ए, सी और ई की भी जरूरत होगी, जो उनकी आंखों के लिए अच्छी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें बच्चों की नियमित रूप से आंखों की जांच भी मददगार साबित हो सकती है।
(इनपुट समयधारा के पुराने पन्नों से)
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