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नई दिल्ली, (समयधारा) : पिछली सर्दी को दिल्लीवासी अभी तक भुला नहीं पाए हैl
इस समय भी दिल्ली का तापमान काफी गिर गया है, और ऐसे में ठंड से बचकर रहने में ही समजदारी है l
दिल्ली व देश के विभिन्न इलाकों में तापमान 18 से 12 डीग्री सेल्सियस से भी नीचे
पहुंच जाने के कारण कंपकंपी और ठिठुरन से ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ सकते हैं।
बढ़ती ठंड के मद्देनजर न्यूरो विशेषज्ञों ने लोगों से ठंड से बचकर रहने की सलाह दी है।
नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के न्यूरो सर्जन और ब्रेन स्ट्रोक विशेषज्ञ डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि पिछले करीब
एक सप्ताह से उनके पास हर दिन ब्रेन स्ट्रोक के मरीज आ रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों के दौरान उनके पास ब्रेन स्ट्रोक के तीन गुना अधिक मरीज आए हैं और ब्रेन स्ट्रोक के मामलों की वृद्धि के लिए ठंड जिम्मेदार है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भीषण ठंड के कारण 70 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि अत्यधिक ठंड में होने वाली मौतों का मुख्य कारण ब्रेन स्ट्रोक एवं हार्ट अटैक होता है।
उनके अनुसार सर्दियों में शरीर का रक्तचाप बढ़ता है, जिसके कारण रक्त धमनियों में क्लॉटिंग होने से स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
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ब्रेन स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण रक्तचाप है। रक्तचाप अधिक होने पर मस्तिष्क की धमनी या तो फट सकती है या उसमें रुकावट पैदा हो सकती है।
इसके अलावा इस मौसम में रक्त गाढ़ा हो जाता है और उसमें लसीलापन बढ़ जाता है, रक्त की पतली नलिकाएं संकरी हो जाती हैं,
जिससे रक्त का दबाव बढ़ जाता है। अधिक ठंड पड़ने या ठंडे मौसम के अधिक समय तक रहने पर
खासकर उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों में स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है।
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इसके अलावा सर्दियों में लोग कम पानी पीते हैं जिसके कारण रक्त गाढ़ा हो जाता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
गुप्ता ने सर्दियों में अधिक मात्रा में पानी तथा तरल पदार्थ पीने की सलाह दी है।
डॉ. गुप्ता के अनुसार, स्ट्रोक से बचने के लिए लोगों को ठंढ से बचने के अलावा शराब और धूम्रपान का सेवन कम करना चाहिए।
अत्यधिक ठंड का मौसम शुरू होते ही, बच्चों में सिर दर्द होने का खतरा 15-20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
ऐसा विशेष रूप से उन बच्चों में अधिक होता है जो माइग्रेन से ग्रस्त होते हैं।
छोटे बच्चे सिर दर्द या अन्य समस्याओं के बारे में ठीक से नहीं बता पाते हैं, बल्कि वे इसे अन्य तरीकों से प्रकट करते हैं।
जैसे, वे चिड़चिड़े और जिद्दी हो जाते हैं और उन्हें सोने और खाने में समस्या हो सकती है।
( इनपुट समयधारा के पुराने पन्नो से )
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