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HOLI शायरी : आँगन में होती तो हम गिरा भी देते, साहेब… कम्बख़्त आदमी ने “दीवार” दिल मे उठा रखी है
(1) माना की औरों की मुकाबले, कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने,,
पर खुश हूं कि खुद गिरता संभलता रहा पर किसी को गिराया नही मैंने!
(2) फर्क तो अपनी अपनी सोच में है वरना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होती…
(3) आँगन में होती तो हम गिरा भी देते, साहेब…
कम्बख़्त आदमी ने “दीवार” दिल मे उठा रखी है…
(4) बहुत सी है जगह रहने की यूं तो ,. मगर…
” औक़ात ” में रहने का अपना ही मज़ा है !!….
(5) इश्क न होने के सिर्फ दो तरीके थे…
दिल न बना होता, या तुम ना बनी होती…