चीन का बहिष्कार शुरू! रेलवे ने रद्द किया चीनी कंपनी को दिया 471 करोड़ रु का ठेका
केंद्र ने BSNL को भी निर्देश दिया था कि वह अपने 4जी अपग्रेड में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल न करें...
नई दिल्ली:Indian railway cancelled Chinese firm Rs 471 cr contract– भारत-चीन सीमा विवाद (India-China face off) के मद्देनजर भारत की ओर से चीन के खिलाफ कड़ा संदेश देने की कोशिशें शुरू हो गई है। भारतीय रेलवे (Indian railway) ने चीन (China) की कंपनी को दिया 471 करोड़ रु का ठेका रद्द कर दिया।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से 471 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया था, जिसमें चीनी कंपनी को 417 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगाना था।
इससे पूर्व केंद्र ने BSNL को भी निर्देश दिया था कि वह अपने 4जी अपग्रेड (BSNL 4G Upgradation) में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल न करें और अगर कोई टेंडर है तो नए सिरे से बिडिंग प्रोसेस करें।
भारतीय रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) ने बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशंस ग्रुप कॉ. लि. (Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group) को दिया कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया है।
Indian railway cancelled Chinese firm Rs 471 cr contract
In view of poor progress, it is decided by Dedicated Freight Corridor Corporation of India (DFCCIL) to terminate the contract with Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group Co. Ltd. pic.twitter.com/CZerMVSwIf
— ANI (@ANI) June 18, 2020
भारत के इस कदम को गलवान घाटी(Galwan valley) में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
चूंकि लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून सोमवार की रात को चीनी-भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के 20जवान शहीद हो गए और सूत्र कह रहे है कि कई लापता है।
तभी से देश में चीन के खिलाफ गुस्से का माहौल है। स्वदेशी जागरण मंच सरीखे कई संगठन देश में चीन के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार को लेकर मोर्चा निकाल रहे है। इसके लिए सोशल मीडिया पर भी हैशटैग #BoycottChina अभियान ने जोर पकड़ लिया है।
ऐसे में चीनी कंपनी से 471 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट छिन्न लेना, सीधा-सीधा चीन को कड़ा संदेश देने की कोशिश है।
Indian railway cancelled Chinese firm Rs 471 cr contract
चीन की कंपनी को कानपुर-दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। भारतीय रेलवे के इस प्रोजक्ट के अंतर्गत कानपुर और दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के सेक्शन के बीच 417 किमी में सिग्नलिंग व टेलीकम्युनिकेशंस का काम होना था। जिसकी लागत 471 करोड़ रुपये है।
कब दिया गया था कॉन्ट्रैक्ट?Indian railway cancelled Chinese firm Rs 471 cr contract
भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी को जून 2016 में 471 करोड़ में कॉन्ट्रैक्ट दिया था। इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करते हुए रेलवे ने आधिकारिक रूप से यह बयान दिया ह कि चार वर्षों में केवल 20 फीसदी कामकाज चीनी कंपनी ने किया है।
कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने को लेकर बताया गया है कि कंपनी अग्रीमेंट के अनुसार, इस प्रॉजेक्ट को लेकर टेक्निकल डॉक्युमेंट जैसे लॉजिक डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग नहीं जमा की गई है।
इसके अतिरिक्त साइट पर कंपनी का कोई इंजीनियर या अधिकारी भी उपलब्ध नहीं होता था।
रेलवे ने कहा है क इश काम में देरी होने की पूरी संभावना है चूंकि कंपनी ने अभी तक किसी भी स्थानीय एजेंसी के साथ किसी प्रकार का कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया है। इस सिचुएशन में कामकाज में तेजी कैसे आ सकती है।
कॉन्ट्रैक्ट कैंसल करने को लेकर भारतीय रेलवे ने कहा कि कई बार कंपनी अधिकारियों के साथ बैठक भी हुई,जिसमें इन समस्याओं के बारे में बार-बार अवगत कराया गया लेकिन कंपनी ने इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया।
चीन को आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखाने की तैयारी
सिर्फ केंद्र ही नहीं बल्कि देश के व्यापारिक संगठन कैट (CAIT) ने भी चीनी प्रोड्क्टस का बहिष्कार करने और भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियान को और ज्यादा तेज करने का फैसला किया है।
इस संगठन ने ऐसे 500 सामानों की लिस्ट तैयार की है, जिन्हें चीन से नहीं मंगाने का फैसला लिया गया है।
हालांकि इस फैसले से व्यापारियों का एक वर्ग खुश नहीं है चूंकि वह एडवांस पेमेंट कर चुके है और इससे उन्हें लाखों-करोड़ों का नुकसान होने की संभावना है।
चीन के सैनिकों ने गलवान घाटी में जो खूनी खेल खेला उसके बाद भारतीय दूर संचार मंत्रालय (DoT) ने बीएसएनएल (BSNL) को निर्देश दिया है कि वह 4जी अपग्रेडेशन के लिए चाइनीज टेलिकॉम इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल नहीं करे।
उसने कहा कि वह BSNL के 4जी अपग्रेडेशन का टेंडर कैंसल कर देगा और नए टेंडर में चीनी कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति नहीं मिलेगी।
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