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कोझिकोड/मलप्पुरम, 24 मई : निपाह वायरस (एनआईपी) से गुरुवार की सुबह एक और मरीज की मौत के बाद केरल में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 12 हो गई है।
कोझिकोड में बीमारी का एक और मामला सामने आया है। एक नर्सिग की छात्रा की जांच में वायरस होने की पुष्टि हुई है।
एक निजी अस्पताल ने मूसा नाम के मरीज की मौत की पुष्टि की।
इस अस्पताल में मूसा का इलाज चल रहा था। इस महीने की शुरुआत में उनके दो बेटों और एक रिश्तेदार का भी निधन हो गया था।
यह लोग निपाह की चपेट में आने वाले पहले लोगों में शामिल हैं जिसकी पिछले हफ्ते सूचना दी गई थी।
इस बीच एनआईपी के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या में गिरावट आई है लेकिन कोझीकोड के आयुक्त यू.वी.जोस ने 31 मई तक सभी सार्वजनिक सभाओं, ट्यूशन कक्षाओं सहित सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों पर रोक लगा दी है।
यह कदम लोगों को भीड़ व समूह में एक-दूसरे के संपर्क में आने से रोकने के लिए उठाया गया है।
कालीकट विश्वविद्यालय ने गुरुवार को इस सप्ताह होने वाली सभी परीक्षाओं को स्थगित करने की घोषणा की। जिले में मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक लोक सेवा परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को कहा कि पुणे में परीक्षण के लिए कुल 160 नमूने भेजे गए हैं।
इसमें से 22 के परिणाम आए हैं, जिनमें से 14 में वायरस के होने की पुष्टि की गई है।
इन 14 के साथ कोझिकोड की एक नर्सिग की छात्रा वायरस से संक्रमित पाई गई है।
कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में 136 मरीज और पास के मलप्पुरम जिले में 24 मरीज हैं, जिन्हें निगरानी में रखा गया है।
इस बीच अधिकारियों ने एनआईपी पीड़ितों के अंतिम संस्कार के लिए एक प्रोटोकॉल जारी किया है।
वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दाह संस्कार को सबसे बेहतर बताया गया है, लेकिन यदि परिवार दफनाने का विकल्प चुनते हैं तो शव को एक पॉलीथीन बैग से ढका जाना होगा और फिर बहुत गहरे गड्ढे में दफनाना होगा।
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में मेडिकल पेशेवरों व स्वास्थ्य विशेषज्ञों को तैनात किया है। इसके अलावा निजी क्षेत्र भी कोझिकोड व मलप्पुरम में काम कर रहा है। साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।
मलप्पुरम जिला मेडिकल अधिकारी के.सकीना ने मीडिया से कहा कि जिले के लोगों को सिर्फ यही करने की जरूरत है कि वे स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।
उन्होंने कहा, “हालात नियंत्रण में है। यह देखने में आया है कि यदि किसी को बुखार है तो घबराहट फैल जा रही है। और, जब किसी में इस बीमारी के होने की पुष्टि हो जा रही है तो फिर उसके सभी पड़ोसी व संबंधी भी घबरा जा रहे हैं।”
डॉक्टर सकीना ने कहा, “हमने एक नियंत्रण कक्ष खोला है और हम सर्तक हैं। इसे रोकने के लिए हर संभव उपाय कर रहे हैं। किसी को डरने की जरूरत नहीं है, इसके बजाय हमारे साथ सहयोग करना चाहिए।”
कोझिकोड के अधिकारियों ने दो कर्मचारियों पर सरकारी शवदाह गृह में दाहसंस्कार में सहयोग नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है।
एनआईवी का संचरण संक्रमित चमगादड़, सूअरों व दूसरे एनआईवी संक्रमित व्यक्तियों से सीधे संपर्क से होता है।
–आईएएनएस