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नई दिल्ली (समयधारा) : सुप्रीम कोर्ट अवमानना मामले में आज प्रशांत भूषण मामलें की सजा पर फैसला देगा l
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दो दिन का समय दिया था अपनी बयान पर पुनर्विचार करने के लिए l
जिस पर देश के जाने माने वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की अवमानना मामले में एक बार फिर माफी मांगने से इनकार कर दिया है।
प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना दूसरा जवाब दाखिल किया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने संस्था की भलाई के लिए ये ट्वीट किए थे
और ये इसके लिए माफी मांगना सही नहीं समझते। उनका कहना है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे
और अगर वे माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं।
गौरतलब है कि 20 अगस्त को प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर सुनवाई टाल दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था।
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प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना का दोषी मानते हुए 24 अगस्त तक अपनी बगावती बयानबाजी पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने का समय दिया था।
सोमवार को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने लिखा है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे
और अगर वे माफी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज्यादा विश्वास रखते हैं।
प्रशांत भूषण ने आगे कहा है कि आज के परेशानी भरे दौर में भारत के लोगों को अगर किसी से उम्मीद बंधती है तो वो सुप्रीम कोर्ट है,
ताकि देश में कानून व्यवस्था और संविधान को स्थापित रखा जा सके, नाकि किसी निरंकुश व्यवस्था को।
देश के नामी वकीलों में से एक भूषण ने अपने जवाब में लिखा है कि यही वजह है कि जब चीजे भटकती हुई दिखें, तो हम बोलें।
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इस अदालत से मिला जिम्मेदारी का एहसास ही हमें यह विशेष कर्तव्य देता है। उन्होंने लिखा है कि मेरे बयान सद्भावनापूर्ण थे,
मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी न्यायाधीश को निशाना बनाने के लिए टिप्पणी नहीं की थी। वह मेरी सकारात्मक आलोचना थी।
इससे पहले 20 अगस्त को भी सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने यह स्पष्ट किया था कि वे किसी भी कीमत पर माफी नहीं मांगेंगे,
बल्कि कोर्ट जो सजा देगा, वे उसे भुगतने के लिए तैयार हैं। प्रशांत भूषण को उनके 2 ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जा चुका है।
भूषण ने 2 जून 2020 को अपने ट्वीट्स में चीफ जस्टिस पर टिप्पणी की थी। साथ ही उन्होंने कुछ अन्य न्यायाधीशों की कथित तौर पर आलोचना की थी।
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इससे पहले,
वरिष्ठ वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो दिन का समय दिया है l
सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप अपने बयान पर पुनर्विचार कर सकते है l
इस पर प्रशांत भूषण ने कहा की वह पुनर्विचार तो कर सकते है, पर कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं करेंगे l
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को दो दिन का समय दे दिया l अब इस पर आगे का फैसला सोमवार को सुनाया जाएगा l
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एक्टिविस्ट और वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार को कहा कि वह अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगेंगे।
उन्होंने कहा कि वह इस बात से निराश और दुखी हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यह नहीं बताया कि
किस आधार पर उनके ट्वीट को कोर्ट की अवमानना मानी गई है।
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भूषण ने महात्मा गांधी की कही गई बातों का जिक्र करते हुए कहा, “मैं किसी से दया नहीं मांग रहा हूं।
मैं उदारत के लिए निवेदन नहीं कर रहा हूं। कोर्ट मुझे जो भी सजा देना चाहे दे सकता है।”
प्रशांत भूषण ने अदालल से कहा कि मेरे ट्वीट को कोर्ट की अवमानना का आधार माना गया, लेकिन यह तो मेरी ड्यूटी है।
इसे संस्थानों को बेहतर बनाए जाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।
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मैंने जो भी लिखा वह मेरी निजी राय और मेरा विश्वास है। मुझे अपने विचार प्रकट करने का पूरी अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा अदालत की अवमानना केस में सजा पर बहस शुरू हो गई है।
प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा सुनाने को लेकर होने वाली सुनवाई टालने की मांग की है।
उस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जब तक आपकी पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं होता,
सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। प्रशांत भूषण ने न्यायालय से कहा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा पर दलीलें अन्य पीठ को सुननी चाहिए।
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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सजा तय करने पर अन्य पीठ द्वारा सुनवाई की भूषण की मांग को खारिज कर दिया।
जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच ने प्रशांत को पिछले हफ्ते ही अवमानना केस में दोषी ठहराया था।
प्रशांत भूषण की तरफ से पेश हो रहे वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर लॉर्डशिप इस सुनवाई को समीक्षा तक टाल देंगे,
तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा। हालांकि, बेंच में शामिल जज जस्टिस गवई ने केस को दूसरी बेंच को ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया।
इस मामले में हमारे पास समीक्षा याचिका दायर करने के लिए 30 दिन का समय है।
हम क्यूरेटिव पिटीशन डालने पर भी विचार कर रहे हैं। उन्होंने सजा की सुनवाई दूसरी बेंच को देने की अपील करते हुए कहा कि
यह जरूरी नहीं कि यही बेंच उनके मुवक्किल को सजा सुनाए।
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इससे पहले पूर्व जज कुरियन जोसेफ ने कहा है कि प्रशात भूषण के मामले को कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए।