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बने रहना है जवां और करनी है तेज याददाश्त, तो खाने में इस एक चीज को रखें पास

नई दिल्ली: Gooseberry or Amla benefits– अगर आप भी अपने खाने में बस इस एक चीज को शामिल करेंगे तो न केवल जवां बने रहेंगे बल्कि आपकी याददाश्त भी तेज होती चली जाएगी। ये चीज कोई और नहीं बल्कि आंवला (Gooseberry) है।

आंवला को हर मर्ज की दवा भी कहा जाता है। कहते हैं, बुजुर्गो की बात का और आंवले के स्वाद का पता बाद में चलता  (Gooseberry or Amla benefits) है।

आंवला (Amla) को प्राचीन आयुर्वेदिक प्रणाली में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए लगभग पांच हजार साल से प्रयोग किया जा रहा है।

इसका नियमित सेवन दिल की बीमारी, मधुमेह, बवासीर, अल्सर, दमा, ब्रॉन्काइटिस तथा फेफड़ों की बीमारी में राम बाण का काम करता है।

पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आंवला के सेवन से बुढ़ापा दूर रहता है, यौवन बरकरार रहता (amla keep you young and memory sharp) है, पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, आंखों की रोशनी, स्मरणशक्ति बढ़ती है, त्वचा और बालों को पोषण प्रदान करता (Gooseberry or Amla benefits)है।

उन्होंने कहा कि दीर्घायु के लिए आंवला चूर्ण रात के समय घी, शहद अथवा पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इसी तरह आंवला चूर्ण 3 से 6 ग्राम लेकर आंवले के स्वरस और 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ दिन में दो बार चटाकर दूध पीयें, इससे बुढ़ापा जाता है, यौवनावस्था प्राप्त होती है।

उन्होंने कहा कि आंवला, रीठा, शिकाकाई तीनों का काथ बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं। सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेडा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लोह चूर्ण 10 ग्राम रातभर कढ़ाई में भिगोकर रखें तथा बालों पर इसका प्रतिदिन लेप करने से छोटी आयु में श्वेत हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।

आंवला (तस्वीर,साभार-गूगल सर्च)

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आंवले के 20 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम शक्कर और 10 ग्राम शहद पीने से योनिदाह में अत्यंत आराम होता है।

इसी तरह आंवले के बीज 3 से 6 ग्राम जल में ठंडाई की तरह पीस-छानकर उसमें शहद व मिश्री मिलाकर पिलाने से तीन दिन में ही श्वेतप्रदर में विशेष लाभ होता है।

कुछ बीमारियों में आंवले के प्रयोग की विधि :Gooseberry or Amla benefits

नेत्ररोग : 20-50 ग्राम आंवलों को जौकुट कर दो घंटे तक आधा किलोग्राम पानी में औटाकार उस जल को छानकर दिन में तीन बार आंखों में डालने से नेत्र रोगों में लाभ मिलता है।

नकसीर : जामुन, आम तथा आंवले को बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नासिका में प्रवृत रक्त रुक जाता है।

स्वर भेद : अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षर, चित्राक, इनको समान मात्रा में मिला लें, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु तथा 1 चम्मच घृत के साथ चाटने से स्वर भेद दूर होता है।

हिचकी : आंवला रस 10-20 ग्राम और 2-3 ग्राम पीपर का चूर्ण 2 चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।

वमन : हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। यह दिन में दो-तीन बार दिया जा सकता है।

अम्लपित्त : 1-2 नग ताजा आंवला मिश्री के साथ या आंवला स्वरस 25 ग्राम समभाग शहद के साथ सुबह-शाम लेने से खट्टी डकारें, अमल्पित्त की शिकायतें दूर हो जाती हैं।

पीलिया : यकृत की दुर्बलता व पीलिया निवारण के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लिया जाना चाहिए।

कब्ज : यकृत बढ़ने, सिरदर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग से आंवला से बने त्रिफला चूर्ण को प्रयोग किया जाता है।

बवासीर : आंवला को पीसकर उस पीठी को एक मिट्टी के बर्तन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरतन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। बवासीर के मस्सों से अधिक रक्तस्राव होता हो, तो 3 से 8 ग्राम आंवला चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में दो-तीन बार करना चाहिए।

अतिसार : 5-6 नग आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास लेप कर दें और नाभि की थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यन्त भयंकर अतिसार का भी नाश होता है।

कुष्ठ : आंवला और नीम के पत्ते को समभाग में महीन चूर्ण करें। इसे 2 से 6 ग्राम या 10 ग्राम तक रोजाना सुबह चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ में भी शीघ्र लाभ होता है।

खुजली : आंवले की गुठली को जलाकर भस्म करें और उसमें नारियल तेल मिलाकर गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।

Gooseberry or Amla benefits

(इनपुट एजेंसी से भी)

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