Samaydhara Exclusive: इंटरव्यू में हरभजन ने किया कुबूल, बचपन में लगी ये लत आज भी चैन से सोने नहीं देती

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मशहूर क्रिकेटर हरभजन सिंह को भला कौन नहीं जानता, लेकिन क्या आप पर्सनल जिंदगी और पापा भज्जी और पति भज्जी के बारे में जानना चाहते हैं। एक मुलाकात में हरभजन से एक्सक्लूसिव बात की समयधारा ने और आज समयधारा आपको बता रही है कि कैसे घर में भज्जी एक पापा और पति की जिम्मेदारी निभाते हैं।

प्रश्न- भज्जी अब आप एक खिलाड़ी, बेटे और एक पति से एक पापा बन गए हैं। ऐसे में आपकी जिंदगी में इस कदर से बदलाव आया है?

मुझे लगता है कि पापा बनने के बाद सिर्फ मैं ही नहीं हर इंसान बदल जाता है। फिर आप अपने हिसाब से नहीं बल्कि अपने बच्चे के हिसाब से काम करते हैं। आप उसी समय उठते हैं जब वो उठती है, सोते भी उसी के समय के हिसाब से हैं। जहां तक मेरी बात है तो मुझे पहले से ही सुबह उठने की आदत है। यह लत मुझे काफी पहले से है और कई बार मुझे इसके लिए लोग कहते भी हैं कि भज्जी के सुबह उठने से हम सब दुखी होते हैं, लेकिन मैं क्या करूं। क्रिकेटर हूं न, डिसिप्लिन मेरी लाइफ में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं चाहकर भी देर तक सो नहीं सकता। हालांकि खास बात है कि मेरी तरह मेरी बेटी भी सुबह उठ जाती है। 

साभार-गूगल
साभार-गूगल

प्रश्न-गीता और आप दोनों में सबसे ज्यादा बेटी के करीब कौन है और कौन उसकी बातें जल्दी समझता है?

गीता अभी अपना पूरा टाइम बच्ची को देती है, इसलिए जाहिर है कि वह उसकी सारी बातें समझती हैं और वही उनके सबसे ज्यादा करीब भी हैं। मुझे खुशी है कि मेरी बेटी को अभी अपनी मां का पूरा समय मिल रहा है और वह दोनों ही इस समय को इन्जॉय कर रहे हैं। बेटी को लेकर गीता मुझसे ज्यादा गंभीर है,क्योंकि वह मां हैं तो शायद मुझसे ज्यादा वह चीजें समझ पाती हैं। वैसे मुझे जितना भी टाइम मिलता है मैं कोशिश करता हूं कि बेटी के साथ बिताऊं। मुझे लगता है कि मैं जो भी कर रहा हूं फिर चाहे वह क्रिकेट खेलना हो या फिर कोई टेलीवीजन शो की शूटिंग, सब अपने परिवार के लिए कर रहा हूं। ऐसे में यदि मेरा परिवार ही खुश नहीं रहेगा तो उस काम का क्या फायदा।

प्रश्न- एक किक्रेटर को मैच के लिए कई दिनों तक परिवार से दूर रहना पड़ता है। तो क्या ऐसे में बच्ची की याद नहीं आती?

जहां तक मैच का सवाल है तो खेल मेरा जुनून है। उसके लिए मैं कुछ भी भूल सकता हूं और मेरी बेटी मेरी जान। मैं कोशिश करता हूं कि उसे अपने साथ ले जा सकूं, लेकिन जब नहीं लेकर जाता तो अब फोन और इतनी सारी चीजें आ गई हैं कि आप दूर रहते ही नहीं हो।  

Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l