शायरी : बहुत सी है जगह रहने की यूं तो, मगर औक़ात में रहने का अपना ही मज़ा है.

माना कि औरों की मुकाबले, कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने,पर खुश हूं कि खुद गिरता संभलता रहा पर किसी को गिराया नही मैंने !

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बहुत सी है जगह रहने की यूं तो ,. मगर…

” औक़ात ” में रहने का अपना ही मज़ा है !!….

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माना कि औरों की मुकाबले,

कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने,,

पर खुश हूं कि खुद गिरता संभलता रहा पर

किसी को गिराया नही मैंने !

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(इनपुट सोशल मीडिया से )
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Vinod Jain