शायरी : करते है मोल भाव, भगवान की मूर्ति खरीदते वक़्त,और फिर उसी मूर्ति से घर में करोडो मांगते है.
ये नादानी भी,सच मे बेमिसाल है…! अंधेरा दिल मे है, और दिये मन्दिरों मे जलाते हैं.!
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करते है मोल भाव
भगवान की मूर्ति खरीदते वक़्त ,
और फिर उसी
मूर्ति से घर में करोडो मांगते है… !!!
ये नादानी भी,
सच मे बेमिसाल है…!
अंधेरा दिल मे है,
और दिये मन्दिरों मे जलाते हैं.!
“बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे,
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब,
तो पैग बना कर दिया करूंगा”
रोक दो मेरे जनाजे को अब
मुझमे जान आ रही हैं..
आगे से थोडा राईट ले लो
दारु की दूकान आ रही हैं
“नशा” “महोब्बत” का हो
“शराब” का हो …-
या ” दोस्ती ” का हो
“होश” तीनो मे खो जाते है
“फर्क” सिर्फ इतना है की,
“शराब” सुला देती है ..
“महोब्बत” रुला देती है, और –
“दोस्ती” यारों की याद दिला देती है
शिकायतें तो बहोत थी
ज़िन्दगी से मगर।।
कोरोना ने मुझे
खामोश कर दिया..!!!
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ ,
हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !
मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं ,
जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !
मेरा कत्ल करने की
उनकी साजिश तो देखो,
पास से गुज़रे तो
मास्क हटा के छींक दिया..
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