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1) मेरी तन्हाई से अपनी यादों को समेट कर ले जाओ
ये काग़ज–कलम उन ज़ज्बातों को समेट कर ले जाओ
छोड़ दो मुझे अब यूँ ही तुम मेरे हाल पर अकेला
अपनी यादों से भरे वादों को समेट कर ले जाओ
2) खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाएगें;
वरना मुसाफिर खुद्दार है, यूँ ही गुज़र जाएगें!
3) किताबों मे बंद कर लो तुम अपनी ये जिंदगी..
क्यों की…..
खुली किताब के पन्ने अक्सर उड़ जाया करते है….
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(इनपुट सोशल मीडिया से )
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