नई दिल्ली:Supreme Court on migrants laborers-सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है कि राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को 15 दिन में उनके घर वापस भेजें।
कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण लगे लॉकडाउन (Lockdown) की सबसे ज्यादा मार प्रवासी मजदूर (migrants laborers) झेल रहे है।
इसी मुद्दे पर डाली गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस संबंध में कुछ निर्देश जारी (Supreme Court on migrants laborers)करेंगे।
सभी प्रवासियों को 15 दिन का समय परिवहन के लिए दिया जाएगा। इस बारे में सभी राज्य रिकॉर्ड पर बताएं कि कैसे वह रोजगार व अन्य तरह की राहत प्रदान करेंगे और साथ ही सभी प्रवासियों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।
केंद्र की ओर से इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने बताया कि हमने कल हलफनामा दाखिल कर दिया है।
केंद्र की ओर से बताया गया कि विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिकों को उनके राज्य तक पहुंचाने के लिए 4,270 श्रमिक ट्रेनें तैनात की गई हैं,
इसमें यूपी ने 1625 ली हैं। केंद्र ने कहा कि अधिकतर ट्रेनें यूपी या बिहार में खत्म हो रही है। उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकारों के संपर्क में है।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि केवल राज्य सरकार ही इस कोर्ट को बता सकती है कि कितने प्रवासियों को अभी ट्रांसपोर्ट किया जाना है और कितनी ट्रेनों को दोबारा से चलाया जाएगा।
मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया है जिसमें पूछा गया था कि कितने श्रमिकों को अभी भी स्थानांतरित किया जाना है और इसके लिए कितनी ट्रेनें चाहिए।
अब कुल आवश्यक ट्रेनें 171 हैं। राज्यों ने एक चार्ट तैयार किया है क्योंकि वे ऐसा करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति हैं।
मामले में जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपके चार्ट के अनुसार महाराष्ट्र ने केवल एक ट्रेन के लिए कहा है तो SG ने कहा-हां, महाराष्ट्र में हमने पहले ही 802 ट्रेनें चलाई है।
इस पर बेंच ने कहा कि क्या हमें इसका मतलब यह निकालना चाहिए कि कोई अन्य व्यक्ति महाराष्ट्र नहीं जाएगा? जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने हमें यही बताया है।
राज्य सरकार द्वारा अनुरोध करने पर 24 घंटे के भीतर रेल गाड़ियां मुहैया कराई जा रही हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों को अपनी मांग रेलवे को सौंपने के लिए कहेंगे।
Supreme Court on migrants laborers