नई दिल्ली, 6 मई : तीसरा मोर्चा-कांग्रेस के बिना संभव नहीं l
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का कहना है कि तीसरे मोर्चे का गठन करने का प्रयास करने वाले कांग्रेस को इससे अलग-थलग नहीं रख सकते।
उनका कहना है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष को राज्य विशेष भाजपा विरोधी धड़े के रूप में एक साथ आगे आना चाहिए।
हालांकि, उन्होंने उन खबरों को खारिज किया कि तृणमूल कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसी पार्टियां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व से सहज नहीं हैं और उन्हें द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के.स्टालिन के तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से बात करने से कोई समस्या नहीं है।
कमलनाथ ने उन सुझावों को भी खारिज किया कि कांग्रेस अपनी मुस्लिम समर्थक की छवि को तोड़ने के लिए उदार हिंदुत्व रुख को अपना रही है।
कमलनाथ ने आईएएनएस से साक्षात्कार के दौरान कहा, “कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है। इसे अलग-थलग नहीं किया जा सकता। सवाल भाजपा विरोधी मोर्चे का है। इसे राज्य विशेष के लिए होना चाहिए। मूलभूत चीज यह है कि इसे भाजपा विरोधी धड़ा होना होगा। भाजपा के पास संसद में मात्र 31 फीसदी वोट हैं और वे दावा करते हैं कि उनके पास पूरे देश का जनादेश है।
उनसे राव जैसे नेताओं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयासों का जिक्र करते हुए पूछा गया कि क्या यह कांग्रेस को इससे अलग-थलग करने का प्रयास है?
क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट रखने के इस तरह के प्रयासों की गति बीते दो महीनों में बढ़ी है। राव की समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) के नेता एच.डी देवगौड़ा, डीएमके नेता स्टालिन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन सहित कई पार्टियों के नेताओं के साथ मुलाकातें बढ़ी हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से भी समर्थन मिला है। राव ने ममता से भी मुलाकात की थी, जो विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कर रही हैं।
ममता ने दिल्ली के अपने दौरे के दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की थी। इसके अलावा उन्होंने शिवसेना, टीआरएस, बीजू जनता दल, समाजवार्दी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और डीएमके के सांसदों से भी मुलाकात की थी।
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की थी और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी का भी उन्हें समर्थन मिला था।
ममता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और इस तीसरे मोर्चे से कांग्रेस को जोड़ने पर जोर दिया था।
कमलनाथ ने कहा कि सोनिया से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से मुकाबले पर चर्चा की गई।
उन्होंने कहा, “हम इस पर चर्चा कर रहे हैं। हर चीज पर बात हो रही है, क्योंकि संसदीय चुनाव बस एक साल ही दूर है।”
कमलनाथ (71) ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के बीच चर्चा समावेशी है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रस्तावित भाजपा विरोधी मोर्चे का नेतृत्व करने को लेकर कोई सवाल नहीं है।
उन्होंने राहुल के नेतृत्व में विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व करने के सवाल के बारे में कहा, “हर कोई हर किसी से बात कर रहा है। सभी एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।”
यह पूछने पर कि क्या 2019 के चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “देखते हैं.. यह मोदी विरोधी, भाजपा विरोधी मुकाबला होगा।”
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रयान सहित कई लोगों ने सुझाव दिया है कि विपक्ष को अपनी ताकत के बल पर चुनाव लड़ना चाहिए। अगले लोकसभा चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राष्ट्रपति की शैली के चुनाव के तौर पर नहीं लेना चाहिए।
ओ’ब्रायन ने सुझाव दिया था कि सामूहिक नेतृत्व प्रत्येक राज्य में भाजपा के खिलाफ सभी दलों को एक साथ लाएगा और हर राज्य में एक मजबूत चेहरे के साथ मोदी का सामना करना और आसान होगा।
यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व करेगा? जवाब में कमलनाथ ने कहा कि हर चीज राज्य विशेष के लिए होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हर राज्य की अलग परिस्थियां रहती हैं। जैसा पश्चिम बंगाल है, वैसा हरियाणा नहीं। इसी तरह केरल तमिलनाडु से अलग है।”
सोनिया गांधी भी भाजपा के नेतृत्व में सरकार की नीतियों के खिलाफ विभिन्न नीतियों पर विपक्ष को एकजुट करने के लिए बैठकों का आयोजन कर रही हैं। इन दलों में कुछ कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग (यूपीए) से बाहर के भी हैं, जिन्होंने पिछले साल राजग के खिलाफ राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार उतारे थे।
कमलनाथ ने कहा कि चंद्रशेखर राव के कांग्रेस की सहयोगी पार्टी डीएमके से बात करने में कुछ गलत नहीं है।
उन्होंने कहा, “क्यों नहीं? मुझे लगता है कि हर किसी को हर किसी से बात करनी चाहिए। फिर हर कोई हर किसी के रुख को समझेगा। इसमें कुछ गलत नहीं है। आप देखते ही हो कि चर्चा नहीं करने के कितने बुरे परिणाम निकलते हैं।”
कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व अपनाने के सावल पर कमलनाथ ने कहा, “हम सभी धार्मिक हैं। इस चीज को इस तरह तोड़-मरोड़कर पेश करना भाजपा की साजिश है। हम सभी मंदिर जाते हैं। मैंने कुछ साल पहले छिंदवाड़ा में 101 फीट ऊंचा हनुमान मंदिर बनवाया था। मैं मंदिरों में गया। क्या इसका यह मतलब है कि मैं हिंदू समर्थक बन रहा हूं? मैं हिंदू हूं। मैं हिंदुत्ववादी नहीं हूं। हम समावेशी हैं। कांग्रेस की राजनीति बहुत समावेशी है। हम समाज को बांट नहीं सकते।”
–आईएएनएस