Wednesday Thought : जब तक सांस है ‘टकराव’ मिलता रहेगा,

जब तक रिश्ते है ‘घाव’ मिलता रहेगा, पीठ पीछे जो बोलते है, उन्हें पीछे ही रहने दें, अगर हमारे कर्म,भावना और रास्ता सही है, तो गैरों से भी ‘लगाव’ मिलता रहेगा.

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जब तक सांस है टकराव मिलता रहेगा,

जब तक रिश्ते है घाव मिलता रहेगा,

पीठ पीछे जो बोलते है, उन्हें पीछे ही रहने दें।

अगर हमारे कर्म,भावना और रास्ता सही है,

तो गैरों से भी लगाव मिलता रहेगा।

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।