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Income Tax भरा या नहीं..? जानें न भरने पर क्या होगा, पेनल्टी या जेल..!

ITR-Filing-Last-Date File-Income-Tax-Return know-what-will-happen-if-you-do-not-file-return,

ITR-Filing-Last-Date File-Income-Tax-Return know-what-will-happen-if-you-do-not-file-return

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नयी दिल्ली (समयधारा) : आज इनकम टैक्स भरने की अंतिम तारीख है और सरकार ने खबर लिखे जाने तक 31 जुलाई की डेड लाइन को आगे नहीं खिसकाया है l 

तो ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है की अगर टैक्स नहीं भरा तो कैसे मचेगा बवाल यानी इसके नुकसान क्या-क्या है l 

इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है।

अगर कोई टैक्सपेयर्स इस तारीख तक रिटर्न फाइल नहीं करता है तो वह 31 दिसंबर तक फाइल कर सकता है।

इसे बिलेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (Belated Return) कहा जाता है। इसके लिए उसे पेनाल्टी चुकानी होगी।

साथ ही टैक्स अमाउंट पर इंटरेस्ट भी देना होगा। बिलेटेड रिटर्न के बारे में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 234F में बताया गया है।

इसके अलावा अगर उसका टैक्स बनता है तो उस पर हर महीने 1 फीसदी का इंटरेस्ट भी देना होगा।

सेक्शन 234F के मुताबिक, बिलेटेड रिटर्न फाइल करने की पेनाल्टी टैक्सपेयर्स की सालाना इनकम के हिसाब से लगती है।

टैक्सपेयर्स की सालाना इनकम अगर 5 लाख रुपये तक या इससे कम है तो उसे बिलेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए 1,000 रुपये की पेनाल्टी चुकानी होगी।

अगर टैक्सपेयर की सालाना इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा हो तो उसे 5,000 रुपये की पेनाल्टी चुकानी होगी।

बिलेटेड रिटर्न इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(4) के तहत फाइल होता है। फाइलिंग का प्रोसेस वही होता है जो 31 जुलाई यानी डेडलाइन से पहले होता है।

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इसका मतलब है कि अगर कोई टैक्सपेयर किसी वजह से 31 जुलाई तक रिटर्न नहीं फाइल कर पाता है तो वह बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है।

फाइनेंस एक्ट, 2022 में सेक्शन 139(8ए) के तहत अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की सुविधा भी दी गई है।

संबंधित एसेसमेंट ईयर खत्म होने के 24 महीने के अंदर अपडेटेड रिटर्न फाइल किया जा सकता है।

बिलेटेड रिटर्न या रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन खत्म हो जाने के बाद भी अपडेटेड रिटर्न फाइल किया जा सकता है।

अपडेटेड रिटर्न फाइल करने पर कोई पेनाल्टी नहीं लगती है। लेकिन, टैक्सपेयर्स को सेक्शन 140बी के तहत अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ता है।

अपेडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्सपेयर को संबंधित साल के लिए नोटिफायड आईटीआर फार्म का इस्तेमाल करना होगा। उसे फॉर्म ITR-U भी सब्मिट करना होगा।

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रिटर्न नहीं फाइल करने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं। जो टैक्सपेयर रिटर्न फाइल नहीं करता है वह अपने करेंट एसेसमेंट ईयर के अपने लॉस को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकेगा। इसके अलावा उस पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पेनाल्टी लगा सकता है।

यह एसेस किए गए टैक्स का 50 फीसदी से लेकर 200 फीसदी तक हो सकता है। ज्यादा वैल्यू वाले मामलों में रिटर्न नहीं फाइल करने पर अदालती कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।

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