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होली के लिए गुजिया खरीद रहे हैं तो जरूर रखें इन बातों का ध्यान!

होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होली पर बनने वाली गुजिया का भी है। इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि यदि आप बाजार जाकर गुजिया खरीदने का मन बना रही हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें नहीं तो आप बीमार पड़ सकती हैं।

दाम नहीं नाम पर जाएं

अमूमन हम सोचते हैं कि मेहमानों को देने वाली गुजिया अगर सस्ती मिल जाए तो क्या बात है, लेकिन इस बार ऐसी सोच के साथ गुजिया न खरीदें बल्कि होली का जश्न मनाने के लिए ताजा और बिना मिलावट वाला गुझिया लाइसेंस प्राप्त दुकान से ही खरीदें। फिर भले ही उस लाइसेंस प्राप्त दुकान की गुजिया महंगी ही क्यों न हो। कुछ मिठाई की दुकानें अपने गुजिया को ‘शुद्ध’ घी में तले गुजिया के रूप में प्रचारित करती हैं, जबकि यह मिलावटी वनस्पति (डालडा) या रिफाइन तेल में तला हुआ हो सकता है, इसलिए लाइसेंस प्राप्त विश्वसनीय दुकान से ही गुजिया खरीदें। इसलिए इस होली खुद से वादा करें कि चंद रुपये बचाने के चक्कर में आप न तो अपने परिवार और न ही अपने रिश्तेदारों की सेहत के साथ कोई समझौता करेंगी।

गंदगी से खुद को बचाना है

होली के समय यदि आप बाजार में जाते हैं तो उस दौरान सबसे ज्यादा मक्खी और गंदगी यदि कहीं दिखती हैं तो वह मिठाइयों की दुकान पर ही होती है। कारण है काम ज्यादा और लोग कम। इन दिनों मिठादयों की दुकानों पर लोगों के पास काम ज्यादा होता है जिसके कारण सफाई पर उनका ध्यान जाता ही नहीं है। इसलिए गुजिया खरीदते समय यह भी ध्यान रखें कि दुकान स्वच्छता के मानक पर खरा उतरता है कि नहीं और उसे शोकेस के अंदर उचित तरीके से रखा गया है कि नहीं। यदि गुजिया को शोकेस के अंदर नहीं रखा है तो उस पर न जाने कितनी मक्खियों के अंडे और उनकी गंदगी पड़ी रहती है जो आपको सिवाय बीमार बनाने के और कुछ नहीं करती।

दस्ताने पहने हैं कि नहीं

दुकानदार या दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी साफ कपड़े पहने होने चाहिए और गुझिया देते समय वे दस्ताने जरूर पहने होने चाहिए और उन्हें आंख, शरीर के विभिन्न हिस्सों को छूना या छींकना नहीं चाहिए। यदि किसी दुकानदार ने दस्ताने नहीं पहने हैं और वह अपने हाथों से मिठाई बांट रहा है तो समझ लीजिए कि जिन हाथों से वह मिठाई बांट रहा है उन्हीं हाथों से वह आपके परिवार के लिए अनेकों बीमारियां भी मिठाई के साथ मुक्त में दे रहा है।

ऐसे करें सामान की परख

अगर आपको गुजिया घर पर बनाना है तो स्टार्च की मौजूदगी की जांच के लिए खोया की परख जरूर कर लें। त्यौहार के दिनों में अमूमन बाजार में नकली खोया मिलता है। इसलिए उसकी परख करना जरूरी है। खोए की थोड़ी सी मात्रा खरीदकर घर पर उसे पानी में उबाल लें और ठंडा होने पर इसमें दो बूंद आयोडिन मिला दें,अगर यह नीला पड़ जाता है तो फिर इसका मतलब यह कि स्टार्च के साथ मिलावटी खोया है। ध्यान रखें कि गुजिया बनाने के लिए उसी सामान का उपयोग करें जो असली हो और हेल्दी भी।

पुराना तो नहीं है खोया

त्यौहार के दिनों में खोए की भारी मांग के मद्देनजर कई विक्रेता पहले से ही खोया बनाकर रख लेते हैं, जबकि खोया एक निश्चित अवधि तक ही सुरक्षित रह सकता है और अगर इसे सही तापमान में उचित प्रकार से नहीं रखा गया है तो इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं, इसलिए खोए से अगर खराब, बासी महक आ रही है तो बिल्कुल नहीं खरीदें।

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।

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