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Farmers Protest:किसानों-सरकार के बीच नहीं बनी बात,अब 3दिसंबर करेंगे मुलाकात

बातचीत में सरकार ने किसानों के समक्ष एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन किसानों ने इसे ठुकरा दिया...

नई दिल्ली:Farmers Protest update-आज,मंगलवार को किसानों (farmers)और सरकार के बीच नए कृषि कानूनों (New farm bill 2020)के विरोध मुद्दे पर बातचीत हुई जोकि बेनतीजा रही।

बातचीत में सरकार ने किसानों के समक्ष एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन किसानों ने इसे ठुकरा दिया।

इसलिए यह बैठक तो बेनतीजा रही लेकिन किसान और सरकार दोनों बातचीत का रास्ता खुला रखने को तैयार है। इसी कारण सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक 3दिसंबर,गुरुवार को होने जा रही है।

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Farmers Protest update

प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों से कहा कि 4 से 5 नाम अपने संगठन से दें।

एक कमेटी बना देते है जिसमें सरकार के लोग भी होंगे, कृषि एक्सपर्ट भी होंगे, नए कृषि कानून पर चर्चा करेंगे।

इससे पहले सरकार की ओर से एमएसपी(MSP) और एपीएमसी एक्ट(APMC Act) पर किसान प्रतिनिधियों के सामने प्रजेंटेशन दिया गया।

 

किसानों के आंदोलन से जुड़ी अहम बातें: Farmers Protest key points

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तीन कृषि कानूनों का विरोध(Farmers protest) कर रहे किसानों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ तीन केंद्रीय मंत्रियों ने बातचीत की शुरुआत की।

किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच किसानों का प्रदर्शन और जोर पकड़ने लगा है।

पंजाब राज्‍य से कई और किसान और हरियाणा से खाप आंदोलन के लिए दिल्‍ली पहुंच रहे हैं।किसानों ने कहा है कि मांग पूरी होने तक वे प्रदर्शन जारी रखेंगे।

-सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के साथ मंगलवार सुबह मुलाकात की।

कृषि कानूनों के खिलाफ ये किसान दिल्‍ली में मोर्चा डाले हुए हैं।समझा जाता है कि किसानों के साथ तीसरे राउंड की बातचीत में सरकार नए कृषि कानून के बारे में जानकारी के साथ इस बात का आश्‍वासन दे सकती है कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP को खत्‍म नहीं किया जाएगा।

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सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया

-पहले सरकार की ओर से 3 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव रखा गया था। गृहमंत्री अमित शाह ने शर्त रखी थी कि किसानों को बातचीत के लिए बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड पर जाना होगा और दिल्ली की सीमाओं से हटना होगा। लेकिन सशर्त बातचीत के इस प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया था।

-रविवार देर रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई बड़े नेताओं के साथ मीटिंग की थी।

अब सरकार ने सर्दी और कोरोना का हवाला देते हुए किसानों को 3 दिसंबर से पहले ही, एक दिसंबर को यानी आज बातचीत का न्‍योता दिया था।

-पंजाब किसान यूनियन के नेता अमरीक सिंह ने बात करते हुए कहा कि हम सरकार के सामने अपनी दो मांगें मुख्य तौर पर रखेंगे। पहली मांग कि तीनों कानून को तत्काल प्रभाव से वापिस लिया जाए और दूसरी मांग कि सरकार MSP की लीगल गारंटी दे।

-जिस तैयारी से किसान आए हैं, वो सोच कर आए हैं कि केंद्र सरकार इनकी बात आसानी से नहीं मानेगी। उनके पास 6 महीने का तेल, गैस, आटा, दाल, चावल हैं। वे इन तीनों क़ानूनों को वापस कराकर अपने घर जाएंगे। सरकार को इनसे खुले मन से बातचीत करनी चाहिए।

बुराड़ी के निरंकारी मैदान से कृषि कानून के खिलाफ डटे किसानों ने  बात करते हुए कहा कि हमें सरकार से बहुत उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार की नीयत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह किसानों की नहीं पूजीपतियों की सरकार है। किसानों ने साफ कर दिया कि जब तक कानून रद्द नहीं होगा तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। 

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की बात ”सुने” और मैत्रीपूर्ण तरीके से मामले को सुलझाए। विजयन ने एक ट्वीट में किसानों को देश का ”जीवन आधार” बताया और कहा कि यह उनके साथ खड़े रहने का समय है।

इस बीच, किसान आंदोलन (Farmers Protests) को लेकर हरियाणा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को अब फिर सत्ता में उसकी एक और सहयोगी पार्टी ने चेतावनी दी है।

हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) के अध्यक्ष और उनके पिता अजय चौटाला (Ajau Chautala) ने कहा कि सरकार को इस मसले पर बड़ा सोचना चाहिए और किसानों की मांगों पर कुछ समाधान निकालना चाहिए।

किसानों को दिल्ली आने से रोकने की कोशिश करने में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने भारी-भरकम तरीकों का इस्तेमाल किया था।

खट्टर के आदेश पर पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले बरसाए और कई जगहों पर उनपर वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। यहां तक कि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश में हाईवे तक खोदकर रख दिया था।

कृषि कानूनों के मामले में केंद्र में बीजेपी पहले ही अपने सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल के साथ को खो चुकी है। सोमवार को ही राजस्थान से उसके एक सहयोगी सांसद हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी से अपना रिश्ता खत्म करने की धमकी दी थी।

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है।

 

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(इनपुट एजेंसी से भी)

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