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Economic Survey 2023 जानियें सब कुछ

अर्थव्यवस्था की ग्रोथ, जीडीपी, म्यूच्यूअल फंड्स, स्वास्थ्य, शेयर बाजार, एफडीआई, एक्सपोर्ट,टैक्स, मुद्रा फीसदी आदि को लेकर आर्थिक सर्वेक्षण की सभी बातें.

 Economic Survey 2023-24 Union Budget Expectations News Updates In Hindi Economic Growth GDP Mutual Funds Health stock market FDI Export Globel Trade TAX Inflation

नयी दिल्ली (समयधारा ) : 31 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद में वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2023) पेश किया l 

आइये जानते है इस इकॉनोमिक सर्वे में केंद्र सरकार ने क्या-क्या पेश कियाl 

  • अर्थव्यवस्था की ग्रोथ (Economic Growth) 
  • जीडीपी (GDP) 
  • म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) 
  • स्वास्थ्य (Health) 
  • शेयर मार्केट (stock market) 
  • एफडीआई (FDI)   
  • एक्सपोर्ट और ग्लोबल ट्रेड (Export Globel Trade )
  • टैक्स (TAX ) 
  • मुद्रा फीसदी (Inflation)
  • अर्थव्यवस्था की ग्रोथ (Economic Growth) 

इसमें इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ को लेकर अनुमान लगाया गया है। अर्थव्यवस्था के बारे में कई अहम जानकारियां इसमें हैं।

लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात इकोनॉमिक रिकवरी के बारे में कही गई है। कहा गया है कि इकोनॉमी कोरोना के मुश्किल दौर से बाहर निकल चुकी है।

इनफ्लेशन (Inflation) के घटने की उम्मीद जताई गई है। बताया गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार (Forex) को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।

यह करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) की भरपाई के लिए पर्याप्त है। इसमें कहा गया है कि कंपनियों एनबीएफसी और बैंकों की बैलेंसशीट बेहतर हुई है।

इकोनॉमी में कर्ज की मांग बढ़ी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इसमें इंडियन इकोनॉमी की गुलाबी तस्वीर पेश की गई है।

सबसे पहले हम इकोनॉमिक ग्रोथ की बात करते हैं। आर्थिक सर्वे में अगले फाइनेंशियल ईयर में इकोनॉमी की ग्रोथ 6-6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया गया है।

ग्रोथ का बेसलाइन फोरकास्ट 6.5 फीसदी है। इस फाइनेंशियल ईयर में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई है।

ग्रोथ का यह अनुमान पूरी दुनिया में इंडिया को अलग खड़ा करता है।

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इसकी वजह यह है कि जब अमेरिका इंग्लैंड और यूरोप जैसी बड़ी इकोनॉमी ग्रोथ के लिए संघर्ष कर रही हैं तब इंडियन इकोनॉमी अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ रही है।

विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में चिंता दूर करने की कोशिश की गई है। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है।

यह करेंट अकाउंट डेफिसिट को पूरा करने में सक्षम है।

यह भी कहा गया है कि RBI के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट की स्थिति में घरेलू करेंसी को संभालने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल की गुंजाइश है।

महंगाई ने साल 2022 में लोगों का बजट बिगाड़ने का काम किया। लेकिन अब इससे राहत मिलने की उम्मीद है।

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि आने वाले दिनों में रिटेल इनफ्लेशन में कमी आएगी। इस फाइनेंशियल ईयर में एवरेज रिटेल इनफ्लेशन 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है।

लेकिन अगले फाइनेंशियल ईयर यानी 2023-24 में इसके 6 फीसदी से नीचे रहने की उम्मीद है।

यह RBI के लिए अच्छी खबर है क्योंकि रिटेल इनफ्लेशन को वह 6 फीसदी से ऊपर नहीं जाने देना चाहता है।

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि सरकारी बैंकों की वित्तीय सेहत में सुधार आया है। इससे वे कर्ज की बढ़ती मांग पूरा करने की स्थिति में हैं।

इकोनॉमी में क्रेडिट की मांग काफी बढ़ी है। जनवरी से नवंबर 2022 के दौरान MSME सेक्टर की क्रेडिट की मांग 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है।

एमएसएमई को सरकार की इमर्जेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी स्कीम (ECLGS) से काफी मदद मिली है। सर्वे में कहा गया है कि बड़ी कंपनियों की भी क्रेडिट की मांग बढ़ी है।

कृषि सेक्टर की ग्रोथ को लेकर खुशी जताई गई है। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि पिछले कई सालों से एग्री सेक्टर की ग्रोथ अच्छी रही है।

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इसमें फसलों और पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने की सरकार की पॉलिसी का बड़ा हाथ है।

सरकार ने क्रॉप डायवर्सिफिकेशन मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और फॉर्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाया है।

इसका फायदा कृषि क्षेत्र को मिला है। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने के भी अच्छे नतीजें आए हैं।

आर्थिक सर्वे में स्टील उत्पादन में इंडिया की उपलब्धियों का खास जिक्र है।

इसमें कहा गया है कि इंडिया स्टील उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी ताकत बन गया है।

यह दुनिया में स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। इस फाइनेंशियल ईयर में स्टील क्षेत्र का प्रदर्शन शानदार रहा है।

फिनिश्ड स्टील का प्रोडक्शन 8.8 करोड़ टन और कंजम्प्शन 8.6 करोड़ टन रहा है।

  • जीडीपी (GDP)

Economic Survey 2023: केंद्र सरकार का जीडीपी की तुलना में कर्ज का रेश्यो (debt to GDP ratio) बीते 15 साल में मामूली बढ़ा है।

वहीं इसी अवधि में अन्य देशों के लिए इसमें खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मंगलवार 31 जनवरी को संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वे 2022-23 में ये बातें कही गई है।

सर्वे में कहा गया कि 2005 से 2021 के बीच विभिन्न देशों के जीडीपी की तुलना में सरकार के कर्ज के रेश्यो में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है।

हालांकि भारत के लिए यह बढ़ोतरी मामूली रही और यह रेश्यो 2021 में लगभग 84 फीसदी हो गया जो  2005 में यह 81 फीसदी के स्तर पर था।

सर्वे के मुताबिक ऐसा बीते 15 साल के दौरान लचीली इकोनॉमिक ग्रोथ के चलते ग्रोथ-इंटरेस्ट रेट में सकारात्मक अंतर के चलते संभव हुआ।

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वहीं इससे सरकार का कर्ज-जीडीपी का स्तर टिकाऊ बना रहा। वित्त वर्ष 21 यानी महामारी से प्रभावित साल के दौरान

भारत का कर्ज-जीडीपी रेश्यो बढ़कर 89.6 फीसदी हो गया था और मार्च 2022 के अंत तक यह घटकर 84.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया “वित्त वर्ष 21 के दौरान केंद्र और राज्यों ने महामारी के चलते खासा कर्ज लिया था

जिसके चलते जीडीपी की तुलना में सरकार की सामान्य देनदारियों का अनुमान खासा बढ़ गया था।

हालांकि वित्त वर्ष 22 (संशोधित अनुमान) में यह रेश्यो अपने पीक से नीचे आ गया।

जीडीपी (GDP) के प्रतिशत के रूप में सामान्य सरकारी घाटा वित्त वर्ष 21 के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद कंसोलिडेट हुआ है।

सरकार के मीडियम टर्म में फिस्कल कंसोलिडेशन (fiscal consolidation) की राह पर आगे बढ़ते रहने का अनुमान है।

  • म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) 

Economic Survey 2023 : अप्रैल-नवंबर की अवधि के दौरान म्यूचुअल फंड्स में नेट इनफ्लो में सालाना आधार पर 72 फीसदी की गिरावट आई है।

आज यानी 31 जनवरी को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023 से यह जानकारी मिली है।

पिछले वित्त वर्ष की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023 की अप्रैल-नवंबर अवधि के दौरान म्यूचुअल फंड्स में सिर्फ 70 000 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ है।

इसके पहले वित्तीय वर्ष 2022 की अप्रैल-नवंबर अवधि के दौरान भारतीय म्यूचुअल फंड्स ने 2.5 लाख करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो देखा था।

इस दौरान ग्रॉस इनप्लो 58.6 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि रिडेम्प्शन 56.1 लाख करोड़ रुपये रहा।

हालांकि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों के दौरान रिडेम्प्शन बढ़कर 68.4 लाख करोड़ रुपये हो गया

जबकि आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक इस दौरान 69.1 लाख करोड़ रुपये का ग्रॉस इनफ्लो था।

पूरे वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान म्यूचुअल फंड्स में 2.5 लाख करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ और इस दौरान 90.7 लाख करोड़ रुपये का रिडेम्प्शन देखा गया।

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साल 2022 यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते प्रभावित रहा। इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी की गई।

इन वजहों से ग्लोबल स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

इसमें कहा गया है कि इस दौरान भारत में म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के ज़रिए निवेश जारी रहा।

दस्तावेज़ में आगे कहा गया है कि इस वर्ष अप्रैल-नवंबर की अवधि के दौरान ग्रोथ या इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम और सॉल्यूशन-ओरिएंटेड स्कीम वाली कुछ योजनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक रूझान देखा गया।

दूसरी ओर इनकम या डेट-ओरिएंटेड स्कीम और हाइब्रिड स्कीम में पिछले वर्ष की समान अवधि में प्रवाह की तुलना में आउटफ्लो देखा गया है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि लिक्विड फंड्स और हाइब्रिड स्कीमों से आउटफ्लो मुख्य रूप से कॉरपोरेट्स द्वारा बढ़ते इंटरेस्ट रेट सायकल

लिक्विडिटी जरूरतों और एडवांस टैक्स कमिटमेंट्स से प्रभावित थे। इनकम या डेट-ओरिएंटेड स्कीम ने इस वित्तीय वर्ष के नवंबर तक 1.1 लाख करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो देखा

जबकि ग्रोथ या इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम में 90 000 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ है।

इस अवधि के दौरान हाइब्रिड स्कीम से 13 649 करोड़ रुपये की निकासी हुई। विशेष रूप से इंडेक्स फंड्स गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ)

अन्य ईटीएफ और विदेशों में निवेश करने वाले फंडों की अन्य स्कीम में इस साल 1 लाख करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो देखा गया।

इसके अलावा बाजार के प्रदर्शन की बदौलत म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में नवंबर 2022 के अंत में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM 30 नवंबर 2023 के अंत में 40.4 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि एक साल पहले यह 37.3 लाख करोड़ रुपये था।

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  • स्वास्थ्य (Health)

Economic Survey 2023:  देश के लोगों को सस्ते में अच्छी दवाईयां उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार ने पिछले साल अहम फैसले लिए।

आज संसद में चालू वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक सेहत की रिपोर्ट पेश हुई।

इसमें सरकार ने जानकारी दी कि पिछले साल कितनी दवाईयों की अधिकतम कीमत तय हुई

और इसके अलावा सस्ते में दवाईयां उपलब्ध कराने के लिए जनऔषधि केंद्र खोलने का फैसला किया गया।

केंद्र सरकार ने 2022 तक NLEM 2015 के तहत 358 दवाओं के 890 फॉर्मूलेशन के लिए अधिकतम कीमत तय किया था।

ये दवाईयां अलग-अलग बीमारियों से संबंधित हैं और इनकी अधिकतम कीमत नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन्स (NLEM) 2015 के तहत तय की गई हैं।

दवाइयों की अधिकतम कीमत को नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी तय करती है।

जिन फॉर्मूलों की दवाईयों की अधिकतम कीमत तय की गई हैं

उनका इस्तेमाल संक्रामक बीमारियों तनाव सुगर कैंसर टीबी सांस की बीमारियों और स्किन की बीमारियों इत्यादि से जुड़े रोगों में होता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल सिंतबर में NLEM 2022 लागू किया था।

फिर इसके तहत नवंबर 2022 में फार्मा डिपार्टमेंट ने 11 नवंबर 2022 को ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर (DPCO) के शेड्यूल 1 को संशोधित किया था।

इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक NLEM 2022 के तहत 31 दिसंबर 2022 तक 119 फॉर्म्यूलेशन की अधिकतम कीमतें तय की गई।

इसके अलावा DPCO 2013 के तहत 2196 फॉर्मूलों के दवाईयों की अधिकतम कीमतें फिक्स की गईं।

आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक सभी नागरिकों को सस्ते में और अच्छी गुणवत्ता वाली दवाईयों को उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना को शुरू किया गया।

इस योजना के तहत जनऔषधि केंद्र के नाम से कई आउटलेट्स भी खोले गए हैं। सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराने के साथ-साथ यह स्वरोजगार और नियमित कमाई का भी जरिया बन गया है।

31 दिसंबर 2022 तक देश भर में 9 हजार से अधिक जनऔषधि केंद्र खोले गए और यहां 1759 दवाईयां और 280 सर्जिकल डिवाइसेज की बिक्री होती है।

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  • शेयर मार्केट (stock market) 

Economic Survey 2023:31 जनवरी को संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वे 2022-23 में कहा गया है कि भारतीय बाजार इस समय दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में महंगे नजर आ रहे हैं।

इस सर्वे में आगे कहा गया है कि भारतीय बाजारों का वैल्यूएशन MSCI के तमाम इंडेक्स

जैसे MSCI World Index MSCI Emerging Markets Index और MSCI BIC Index की तुलना में काफी महंगे नजर आ रहा हैं।

निफ्टी 50 इस समय अपने पीई रेशियो (प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो) के 21.8 गुना पर ट्रेड कर रहा है।

वहीं ऊपर बताए गए MSCI इंडेक्स 17.1 गुने से लेकर 12.2 गुने पर ट्रेड कर रहे हैं।

गौरतलब है कि MSCI वर्ल्ड इंडेक्स में दुनिया के 23 विकसित बाजारों के लार्ज कैप और मिड कैप शेयर शामिल होते हैं।

जबकि MSCI इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में 24 उभरते बाजारों के लार्ज और मिड कैप शेयर शामिल होते हैं।

वहीं MSCI BIC इंडेक्स एक फ्री फ्लोट-एडजस्टेड मार्केट कैपिटलाइजेशन वेटेड इंडेक्स है।

इसको ब्राजील चीन और भारत जैसे उभरते बाजारों के प्रदर्शन को मापने के लिए डिजाइन किया गया है।

आज आए इकोनॉमिक सर्वे में यह भी कहा गया है कि दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में महंगे होने के बावजूद भारतीय बाजारों का वैल्यूएशन अभी भी पिछले 5 साल के औसत से कम है।

निफ्टी का पिछले 5 साल का औसत पीई यानी प्राइस टू अर्निंग रेशियो 27.4 गुना है।

आज आए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि अप्रैल-दिसंबर 2022 की अवधि में भारतीय स्टॉक मार्केट ने मजबूत प्रदर्शन किया है।

इस अवधि में ब्लूचिप इंडेक्स निफ्टी-50 ने 3.7 फीसदी रिटर्न दिया है।

ग्लोबल स्टॉक मार्केट में जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता की वजह से आई गिरावट के बावजूद भारतीय बाजारों ने मजबूत प्रदर्शन किया है।

इसी अवधि में अमेरिका का S&P 500 इंडेक्स 15.3 फीसदी टूटा है। वहीं नैस्डैक 26.4 फीसदी फिसला है।

इस सर्वे में कहा गया है कि अगर बाजार का प्रदर्शन लोकल करेंसी के आधार पर देखा जाए

तो भारत ने चीन ब्राजील साउथ कोरिया फ्रांस जर्मनी हॉन्ग कॉन्ग और यूके की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।

इस सर्वे में ये भी कहा गया है कि विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के बावजूद भारतीय बाजार ने मजबूत प्रदर्शन किया है।

वोलैटिलिटी इंडेक्स इंडिया विक्स भी अप्रैल-दिसंबर 2022 की अवधि में गिरा है। इसका मतलब ये है कि बाजार में वोलैटिलिटी कम हुई है।

ये दोनों स्थितियां इस बात को स्पष्ट करती हैं कि विदेशी निवेशकों में भारत के मैक्रो इकोनॉमिक फंडामेंटल्स और तुलनात्मक रूप से बेहतर मांग की स्थिति को लेकर भरोसा बना हुआ है।

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  • एफडीआई (FDI):

Economic Survey 2023: सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में एक आशावाद की झलक पेश की है।

सरकार ने कहा कि घरेलू इकोनॉमी की ऊंची ग्रोथ और महंगाई में धीरे-धीरे कमी से एफडीआई (FDI) की वापसी होने का अनुमान है।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया “रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने से

वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में मैन्युफैक्चरिंग में एफडीआई का इक्विटी इनफ्लो वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही की तुलना में कम रहा।

वैश्विक स्तर पर मॉनेट्री सख्ती के चलते एफडीआई का इनफ्लो सीमित हो गया है।

हालांकि आर्थिक विकास में ऊंची ग्रोथ बने रहने से एफडीआई की वापसी का अनुमान है।” साथ ही धीरे-धीरे महंगाई का दबाव कम होने से भी राहत मिलेगी।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (manufacturing sector) के संबंध में सर्वे में कहा गया “पिछले कुछ साल से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सालाना आधार पर एफडीआई लगातार बढ़ रहा है।

यह वित्त वर्ष 21 के 12.1 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में बढ़कर 21.3 अरब डॉलर हो गया।

विकसित देशों में महामारी के चलते लागू नीतियों के चलते ग्लोबल लिक्विडिटी में सुधार का भारत को फायदा मिला।

इकोनॉमिक सर्वे में सरकार द्वारा एफडीआई रीजीम को लचीला बनाने और विभिन्न सेक्टर्स में ग्लोबल इनवेस्टर्स को लुभाने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया गया।

सर्वे में कहा गया कि वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में भले ही एफडीआई में गिरावट रही

लेकिन स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ease of doing business) में सुधार से यह महामारी से पहले के स्तरों से ऊपर बना रहा।

साथ ही भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आकर्षक निवेश स्थलों में से एक बना रहा।

सर्वे के मुताबिक सरकार ने इनवेस्टर्स के अनुकूल एफडीआई नीतियां लागू की हैं जिससे कई सेक्टरों में ऑटोमैटिक रूप से 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिल गई है।

भारत एफडीआई सीमा बढ़ाकर ग्लोबल इनवेस्टर्स के लिए अपने सेक्टरों को खोलता रहेगा। नियामकीय बाधाएं दूर की जाएंगी

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास किया जाएगा और कारोबारी माहौल में सुधार किया जाएगा।

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  • एक्सपोर्ट और ग्लोबल ट्रेड (Export Globel Trade):

Economic Survey 2023: केंद्र सरकार ने मंगलवार 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वे 2023 को पेश किया।

आर्थिक सर्वे में चेतावनी दी गई है कि ग्लोबल लेवल पर आर्थिक मंदी की आशंका के चलते भारत का एक्सपोर्ट (निर्यात) धीमा हो सकता है।

सर्वे में चेतावनी देते हुए कहा गया है “अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कमोडिटी की अस्थिर कीमतें और कच्चे माल की सप्लाई में रुकावटों के चलते ग्लोबल लेवल पर नई बाधाएं देखने को मिल सकती है

जो हमारी इंडस्ट्रियल ग्रोथ पर दबाव डाल सकते हैं। साथ ही इसमें यह चेतावनी दी गई है कि चीन में कोरोना महामारी की वापसी से सप्लाई चेन में रुकावटें देखने को मिल सकता है।

हालांकि ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2023 के दौरान इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन बढ़ा है और इसे लगातार मांग में मजबूती बने रहने से मदद मिली।

इसके अलावा सर्वे में यह भी कहा गया है कि इंडस्ट्रियल ग्रोथ के साथ-साथ इंडस्ट्री को दिए जाने वाले बैंकों के लोन या क्रेडिट की रफ्तार भी बढ़ी है।

बैंकों का क्रेडिट जनवरी 2022 से लगातार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

ग्लोबल लेवल पर अनिश्चितताओं के वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही के दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कम हुआ है।

हालांकि यह अभी भी कोरोना महामारी के पहले के स्तर की तुलना में अधिक है।

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में गिरावट आने के बाद कंपनियों की इनपुट लागत पर दबाव कुछ कम हुआ है।

इससे उनके मार्जिन में सुधार दिखने को मिल सकता है। सर्वे में कहा गया है मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्षमताओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

कई कंपनियां क्षमता विस्तार पर भी काम कर रही है जो नई निवेश गतिविधियों के लिए शुभ संकेत है।

सर्वे के मुताबिक इंडस्ट्री में क्रेडिट ग्रोथ भी काफी बढ़ा है। यह कैपिटल एक्सपेंडिचर से जुड़े निवेश के लिए शुभ संकेत है।

इसमें कहा गया ” परफॉर्मेंस लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गतिविधां बढ़ाने के लिए तैयार है।

इससे एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी निर्यात पर निर्भरता में कमी और प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित दोनों तरह के लोगों के लिए रोजगार के मौकों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

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बस कुछ ही देर में पेश होगा Economic Survey-2023

इससे पहले   देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा में पहुँच गयी है l 

बस कुछ ही देर में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ बजट सत्र की शुरुआत हो जाएगा। इसके बाद  इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा।

चालू वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमी के लिए केंद्र सरकार की ओर से क्या किया गया है? इस बारे में जानकारी मिलेगी।

दरअसल इकोनॉमिक सर्वे वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) का प्रमुख सालाना दस्तावेज हैं l

इस साल अमीर किसानों को सरकार झटका दे सकती है।

कुछ एक्सपर्ट्स इस बात की सिफारिश कर रहे हैं कि रईस किसानों पर इनकम टैक्स लगाया जाए l

हालांकि खेती-किसानी और राजनीति का गहरा संबंध होने के कारण इस बात की उम्मीद कम है कि सरकार किसानों पर इनकम टैक्स लगाने का कड़ा फैसला लेगी।

हालांकि इस बात के आसार जरूर हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  इस फाइनेंशियल ईयर में फर्टिलाइजर सब्सिडी पर खर्च घटाकर 2.5 लाख करोड़ रुपए कर सकती है।

सरकार इसे अगले फाइनेंशियल ईयर में घटाकर 1.5 लाख करोड़ तक लाना चाहती है।

लेकिन पिछले सालों के रिकॉर्ड को देखने से पता चलता है कि हर साल यह खर्च टारगेट से काफी ज्यादा रहा है। 

इससे पहले  

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आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) आन संसद में होगा पेश :  

आज से संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी।

बजट से एक दिन पहले आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2022-23 सरकार पेश करेगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सर्वेक्षण में 2022-23 रियल टर्म GDP ग्रोथ अनुमान 6.5 फीसदी रह सकती है।

इकोनॉमिक सर्वे में FY24 GDP ग्रोथ 6% से 6.8% का अनुमान लगाया जा सकता है. सर्वेक्षण में FY24 नॉमिनल GDP ग्रोथ 11% रह सकती है

जबकि रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रह सकती है। जानकारी के अनुसार इकोनॉमिक सर्वे में इस बात का जिक्र किया जा सकता है

कि FY24 24 में ग्रोथ अनुमान के लिए ग्लोबल आर्थिक स्थिति एक रिस्क फैक्टर हो सकती है।

इसके अलावा ग्रोथ के लिए प्राइवेट कंजम्प्शन हाई कैपेक्स वैक्सीनेशन प्रमुख फैक्टर हो सकते हैं।

(इनपुट मनीकण्ट्रोल हिंदी सहित एजेंसी से भी)

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