Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court
हिंडनबर्ग रिपोर्ट(Hindenburg-Report) में अडाणी ग्रुप(Adani Group)के लिए किए गए सनसनीखेज दावों के ऊपर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में सोमवार 15 को सुनवाई हुई।
जिसमें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड(SEBI)ने अपना हलफनामा दायर करके(Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court) बताया कि सेबी वर्ष 2016 से अडाणी ग्रुप की जांच नहीं कर रहा।इस तरह के सभी दावे तथ्यात्मक रूप से निराधार(फैक्चुअली बेसलेस) है।
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से जो जवाब कोर्ट में दाखिल करके कहा है कि ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (GDRs) जारी करने के मामले में जांच पूरी करने के बाद कानूनी प्रोसेस के तहत एक्शन लिया जा चुका(Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court) है।
अडाणी ग्रुप की कोई भी लिस्टेड कंपनी 2016 की इस जांच का हिस्सा नहीं है, जिसमें 51 भारतीय कंपनियां शामिल हैं।
जानें सेबी ने हलफनामे में क्या कहा?-Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court
- याचिकाकर्ताओं की तरफ से जिस जांच का जिक्र किया गया है। उसका हिंडनबर्ग रिपोर्ट से कोई लेना-देना नहीं है। ये जांच 51 लिस्टेड कंपनियों के GDR मामले में की गई थी।
- अडाणी ग्रुप पर 2016 से SEBI की जांच के आरोप तथ्यात्मक रूप से निराधार हैं।
- मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग के मामले में SEBI ने 11 देशों के रेगुलेटर्स से संपर्क किया है। इन सभी रेगुलेटर्स से जानकारी देने के लिए आवेदन भेजे गए हैं।
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- SEBI ने IOSCO के MMOU के तहत उठाए गए 4 मामलों में जानकारी जुटाने की मौजूदा स्थिति के बारे में एक्सपर्ट कमेटी को एक विस्तृत नोट दिया है।
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए 12 ट्रांजैक्शंस के आरोप पर मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि जिन ट्रांजैक्शंस की बात की गई है, वो काफी जटिल हैं और उनके साथ कई सब-ट्रांजैक्शंस जुड़े हुए हैं।
- अलग-अलग सोर्स से जुटाई गई जानकारी का एनालिसिस किए बिना, अंतिम निर्णय पर पहुंचना कानूनी रूप से सही नहीं होगा।
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रेगुलेटर 2016 से अडाणी ग्रुप की जांच नहीं कर रहा
इसके साथ ही SEBI ने ये भी साफ किया कि मार्केट रेगुलेटर 2016 से अडाणी ग्रुप की जांच नहीं कर रहा है। SEBI की तरफ से ये जवाब ऐसे वक्त में आया(Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court)है, जब ये आरोप लग रहे थे कि GDR मामले में अडाणी ग्रुप पर 2016 से जांच चल रही है। हालांकि, अब SEBI ने अपने जवाब में इसे पूरी तरह से तथ्यहीन बताया है।जांच का समयपूर्व निष्कर्ष न्याय के हित में नहीं होगा
सेबी ने कोर्ट से यह भी कहा कि उसकी जांच का कोई भी गलत या समयपूर्व निष्कर्ष न्याय के हित में नहीं होगा और कानूनी रूप से अस्थिर होगा। रेगुलेटर ने बताया कि मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग के मामले में 11 विदेशी नियामकों से पहले ही संपर्क किया जा चुका है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अडाणी ग्रुप ने अपने पब्लिकली अवेलेबल शेयरों के संबंध में किसी भी मानदंड का उल्लंघन किया है या नहीं।विदेशी रेगुलेटर्स से जानकारी के लिए कई आवेदन भेजे गए हैं
सेबी ने बताया कि इन सभी विदेशी रेगुलेटर्स से जानकारी देने के लिए कई आवेदन भेजे गए हैं और सबसे पहला आवेदन 6 अक्टूबर 2020 को भेजा गया था। इसके साथ ही अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच कर रही स्वतंत्र कमेटी को जांच की इस प्रोग्रेस के बारे में जानकारी दे दी गई है।ट्रांजैक्शंस की जांच के लिए कई सोर्सेज से जानकारी जमा करनी होगी
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए 12 ट्रांजैक्शंस के आरोप पर मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि जिन ट्रांजैक्शंस की बात की गई है, वो काफी जटिल हैं और उनके साथ कई सब-ट्रांजैक्शंस जुड़े हुए हैं। इन ट्रांजैक्शंस की जांच के लिए घरेलू और इंटरनेशनल बैंकों समेत अलग-अलग सोर्सेज से जानकारी जमा करनी होगी। अलग अलग सोर्स से जुटाई गई जानकारी का एनालिसिस करने के बाद ही अंतिम निर्णय पर पहुंचा जा सकता है। - Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court
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मामले में अब अगली सुनवाई 16 मई को होगी
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों पर अडाणी ग्रुप की कंपनियों की जांच के लिए समय बढ़ाने की सेबी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हुई। CJI ने कहा कि बाकी मैटर कल और बाद में सुनेंगे। हिंडनबर्ग पर आज CJI ने कुछ नहीं कहा है।शुक्रवार को सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वो वीकेंड में जस्टिस सप्रे कमेटी की रिपोर्ट देखेंगे और 15 मई यानी सोमवार को सेबी की याचिका पर आदेश जारी करेंगे, लेकिन आज मामले की सुनवाई टल गई है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले में अब अगली सुनवाई कल यानी मंगलवार (16 मई) को होगी।
12 मई को सेबी ने 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था
इससे पहले 12 मई को सुनवाई हुई थी, जिसमें सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने अपनी जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीयाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि 6 महीने का समय सही नहीं है।इस मामले में कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी और 2 महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा था। 8 मई को कमेटी ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। CJI ने कहा था, जस्टिस सप्रे की कमेटी की रिपोर्ट आ गई है। हम वीकेंड के दौरान ये रिपोर्ट देखेंगे।
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अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में 4 जनहित याचिकाएं दायर हुई थीं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की थीं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी।
सेबी को तीन महीने का समय दे सकता है कोर्ट
चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम 6 महीने का समय नहीं दे सकते हैं। काम में थोड़ी तेजी लाने की जरूरत है। हम अगस्त के मध्य में मामले को लिस्ट कर सकते(Hindenburg-Report-on Adani-Group-SEBI-affidavit-in-Supreme-Court) हैं। आप 3 महीने में अपनी जांच पूरी करें और हमारे पास वापस आएं। इसके बाद बेंच ने कहा था कि वह 15 मई को टाइम एक्सटेंशन के लिए सेबी के आवेदन पर अपना आदेश सुनाएगी।कोर्ट ने 2 मार्च को बनाई थी 6 सदस्यीय कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था।कमेटी के अलावा सेबी इन 2 पहलुओं पर जांच कर रही है…
- क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
- क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?
मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (A)
कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश
- सेबी के चेयरपर्सन को एक्सपर्ट कमेटी को सभी जरूरी जानकारी देनी होगी
- केंद्र सरकार से जुड़े एजेंसियों को कमेटी के साथ सहयोग करना होगा
- कमेटी अपने काम के लिए बाहरी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है
- कमेटी मेंबर्स का पेमेंट चेयरपर्सन तय करेंगे और केंद्र सरकार वहन करेगी
- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक सीनियर ऑफिसर को नॉमिनेट करेंगी
- ये कमेटी को लॉजिस्टिकल असिस्टेंस देने के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में काम करेंगे
- कमेटी के सभी खर्चों को केंद्र सरकार ही वहन करेगी
याचिकाओं में FIR दर्ज करने और जांच की मांग की गई थी
- मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।
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- विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
- जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी।
- मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।
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SC ने केस के मीडिया कवरेज पर रोक से इनकार किया था
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता। वहीं कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर चुका है और जल्द ही इसे सुनाया जाएगा। -
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से निवेशकों को नुकसान
याचिकाओं में दावा किया गया था कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे ‘निवेशकों को भारी नुकसान’ हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया है।हिंडनबर्ग ने लगाए थे शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप(Adani Group)को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।
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(सआभार-दैनिक भास्कर)