साल 2014 तक रेलवे में पूंजीगत खर्च सिर्फ 45,980 करोड़ रुपये सालाना था।
गुड्स और पैसेंजर ट्रेन्स की रफ्तार सुस्त थी। बेहतर पैसेंजर सर्विसेज की बहुत कमी थी।
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रूट पर ज्यादा ट्रेन्स होने से काफी कंजेशन था। 2014 के बाद रेलवे में निवेश बढ़ाने के गंभीर प्रयास शुरू हुए।
इसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में पूंजीगत खर्च बढ़करर 2,15,000 करोड़ रुपये पहुंच गया।
यह 2014 के मुकाबले पांच गुना है। सोमवार को पेश इकोनॉमिक सर्वे में ये बातें कही गई हैं।
रेलवे की क्षमता बढ़ाने के लिए कई प्रोजक्ट्स पर काम चल रहा है।
इससे आने वाले दिनों में रेलवे देश की ग्रोथ का इंजन बनेगा।
नेशनल रेल प्लान में 2030 तक रेलवे नेटवर्क की कैपेसिटी बढ़ाने का प्लान तैयार किया गया है,
जो साल 2050 तक की ग्रोथ की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त होगी।
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इसके तहत न सिर्फ पैसेंजर डिमांड बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है बल्कि इससे माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी जोर है।
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अभी माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 26-27 फीसदी है। इसके बढ़ाकर 40-45 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया गया है।
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है, “58 प्रोजेक्ट की पहचान सुपर क्रिटिकल के तौर पर की गई है।
इन्हें इस साल दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। 68 प्रोजेक्ट्स की पहचान क्रिटिकल के रूप में की गई है।
इन्हें मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इससे उन रूट्स पर रेलवे की कैपेसिटी बढ़ जाएगी,
जिनका इस्तेमाल मिनरल की ढुलाई के लिए होता है।” इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर जोर देने के अलावा रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन पर भी जोर दे रहा है।
अगले साल दिसंबर तक रेलवे अपने पूरे नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन करना चाहता है।
साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट को आधुनिक बनाने पर फोकस है।
इससे इस रूट पर ट्रेंस की स्पीड बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी।
know-about-economic-survey-2022 all-important-things-from-railway imp-exp gdp-growth-etc इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि रेलवे देश में तैयार ‘कवच’ जैसी टेक्नोलॉजी को अपना रहा है। इसके अलावा वंदे मातरम जैसी ट्रेनों के जरिए पैसेंजर को बेहतर एक्सपीरियंस देने पर फोकस है।
- गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी l
इसके अलावा, सर्वे में कहा गया कि 2021-22 में भारत के गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
ग्लोबल स्तर पर सप्लाई से जुड़ी बाधाओं के चलते ट्रेड कॉस्ट बढ़ने के बावजूद 2021-22 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट लगातार 8वें महीने 30 अरब डॉलर से ज्यादा रहा।
एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दोनों ही महामारी से पहले के स्तरों से ऊपर बने हुए हैं, जो तब से 11 फीसदी ज्यादा हैं।
समीक्षा में कहा गया, “वैक्सीनेशन कवरेज में तेज बढ़ोतरी के साथ आगे प्राइवेट कंजम्प्शन में मजबूत रिकवरी दिखने का अनुमान है।”
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के डाटा के मुताबिक, दिसंबर में लगभग 8.27 लाख करोड़ रुपये के 456 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जबकि अक्टूबर में 7.71 लाख करोड़ रुपये के 422 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे।
सर्वे में कहा गया, “2021-22 में सरकारी कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान के साथ कुल कंजम्प्शन में 7.0 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।”
- जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदानl
प्राइवेट कंजम्प्शन से देश में कंज्यूमर्स द्वारा खरीदे गए गुड्स और सर्विसेज पर खर्च की गई धनराशि का पता चलता है।
इसमें 2021-22 में 6.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस प्रकार प्राइवेट कंजम्प्शन महामारी से पहले के स्तरों की तुलना में 97 फीसदी के स्तर पर है।
जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान को देखते हुए, इसमें बिना किसी अनुकूल बेस की मदद के 6-7 फीसदी की ग्रोथ रेट खासी अहम है।https://samaydhara.com/india-news-hindi/budget-2021-kya-sasta-aur-kya-mehnga-union-budget-2021-updates-in-hindi/
लेकिन महामारी के चलते घरेलू इनकम घटने से, प्राइवेट स्पेंडिंग की यह स्थिति कोई आश्चर्य की बात नहीं है।