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जानियें Economic Survey की Railway, IMP&EXP, GDP ग्रोथ से लेकर सभी अहम् बाते

Union Budget 2022 से पहले इकॉनोमिक सर्वे की दस्तक से शेयर बाजार हुआ गुलजार

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नयी दिल्ली (समयधारा) : आखिरकार जिसका इंतजार था वह इकॉनोमिक सर्वे 2022 (Economic Survey 2022) आ गयाl

इस बार के इकॉनोमिक सर्वे की खास बातें तो आप जानना ही चाहेंगे l  चलिए बताते है सर्वे की अहम् बातें l 

  • मार्च, 2022 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ 9.2 फीसदी रह सकती है।
  • आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2023 में समाप्त होने वाले अगले वित्त वर्ष में 8-8.5 फीसदी की ग्रोथ रहने का अनुमान जाहिर किया गया हैl
  • रेलवे की क्षमता बढ़ाने और पैसेंजर का ट्रैवल एक्सपीरियंस बढ़ाने के लिए कई बातें शामिल हैं।
  • गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी l
  • जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदानl
  • वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों के जल्द पटरी पर लौटने से कंजम्प्शन में तेज इंप्रूवमेंट देखने को मिलेगा।

अगर ध्यान से देखा जाएँ तो इकॉनोमिक सर्वे की टॉप 10 बातें यह रही l 

1. इस वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान इंडियन इकोनॉमी की जीडीपी की ग्रोथ 9.2 फीसदी रहेगी।

2. अगले वित्त वर्ष (2022-23) इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 8 से 8.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

3. चालू वित्त वर्ष (2021-22) में एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्रोथ 3.9 फीसदी रहेगी।

4. इस वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान इंडस्ट्रियल सेक्टर की ग्रोथ 11.8 फीसदी रहने का अनुमान है।

5. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ 8.2 फीसदी रह सकती है।

6. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान एक्सपोर्ट में 16.5 फीसदी इजाफा हो सकता है।

7. इस वित्त वर्ष के दौरान इंपोर्ट में 29.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।

8. चालू वित्त वर्ष में कंजम्प्शन 7 फीसदी बढ़ा है। इसमें सरकार का बड़ा योगदाना है।

9. इस वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान रेलवे में कैपिटल एक्सपेंडिचर 65,157 करोड़ रुपये रहा है।

10. वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 70-75 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है।

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  • आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2023 में समाप्त होने वाले अगले वित्त वर्ष में 8-8.5 फीसदी की ग्रोथ रहने का अनुमान जाहिर किया गया हैl

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) एक साल पहले की तुलना में 8.4 फीसदी बढ़ी।https://samaydhara.com/business-hindi/news/economic-survey-2022-news-updates-in-hindi-budget-2022/

इस प्रकार भारत दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती इकोनॉमीज में से एक बना रहा।

पहले एडवांस एस्टीमेट के मुताबिक, मार्च, 2022 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ 9.2 फीसदी रह सकती है।
बजट पहले संसद में पेश बजट पूर्व आर्थिक समीक्षा इकोनॉमी की स्थिति के बारे में बताती है और नीतिगत सुझाव देती है,
अक्सर जीडीपी अनुमान पर चूक जाता है। कोविड महामारी के बीच जनवरी,

2021 में पेश पिछली समीक्षा में 2021-22 के लिए 11 फीसदी इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया गया था।

  • मार्च, 2022 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ 9.2 फीसदी रह सकती है।
हालांकि, भारत के सांख्यिकी मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में 9.2 फीसदी इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया है।
2020 में कोविड महामारी के सामने आने से कुछ महीने पहले संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वे में 6-6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया गया था,
जबकि इसके विपरीत 2020-21 में इकोनॉमी में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।

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  • रेलवे की क्षमता बढ़ाने और पैसेंजर का ट्रैवल एक्सपीरियंस बढ़ाने के लिए कई बातें शामिल हैं।
सरकार अगले 10 साल तक रेलवे में खूब पैसा डालेगी। दरअसल, सरकार रेलवे को वर्ल्ड क्लास का बनाना चाहती है।
https://samaydhara.com/business-hindi/budget-2022-know-current-income-tax-slab-can-get-exemption-in-income-tax/
इसके लिए बड़े निवेश की जरूरत है। अभी दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले इंडियन रेलवे काफी पीछे है।
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) में रेलवे की क्षमता बढ़ाने और पैसेंजर का ट्रैवल एक्सपीरियंस बढ़ाने के लिए कई बातें शामिल हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। वह मंगलवार को बजट (Budget 2022) पेश करेंगी।

साल 2014 तक रेलवे में पूंजीगत खर्च सिर्फ 45,980 करोड़ रुपये सालाना था।

गुड्स और पैसेंजर ट्रेन्स की रफ्तार सुस्त थी। बेहतर पैसेंजर सर्विसेज की बहुत कमी थी।

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रूट पर ज्यादा ट्रेन्स होने से काफी कंजेशन था। 2014 के बाद रेलवे में निवेश बढ़ाने के गंभीर प्रयास शुरू हुए।

इसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में पूंजीगत खर्च बढ़करर 2,15,000 करोड़ रुपये पहुंच गया।

यह 2014 के मुकाबले पांच गुना है। सोमवार को पेश इकोनॉमिक सर्वे में ये बातें कही गई हैं।

रेलवे की क्षमता बढ़ाने के लिए कई प्रोजक्ट्स पर काम चल रहा है।

इससे आने वाले दिनों में रेलवे देश की ग्रोथ का इंजन बनेगा।

नेशनल रेल प्लान में 2030 तक रेलवे नेटवर्क की कैपेसिटी बढ़ाने का प्लान तैयार किया गया है,

जो साल 2050 तक की ग्रोथ की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त होगी।

https://samaydhara.com/india-news-hindi/politics/budget-2021-22-middle-class-upset-no-changes-in-income-tax-slab-benefits-for-industry/

इसके तहत न सिर्फ पैसेंजर डिमांड बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है बल्कि इससे माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी जोर है।

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अभी माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 26-27 फीसदी है। इसके बढ़ाकर 40-45 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया गया है।

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है, “58 प्रोजेक्ट की पहचान सुपर क्रिटिकल के तौर पर की गई है।

इन्हें इस साल दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। 68 प्रोजेक्ट्स की पहचान क्रिटिकल के रूप में की गई है।

इन्हें मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इससे उन रूट्स पर रेलवे की कैपेसिटी बढ़ जाएगी,

जिनका इस्तेमाल मिनरल की ढुलाई के लिए होता है।” इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर जोर देने के अलावा रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन पर भी जोर दे रहा है।

अगले साल दिसंबर तक रेलवे अपने पूरे नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन करना चाहता है।

साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट को आधुनिक बनाने पर फोकस है।

इससे इस रूट पर ट्रेंस की स्पीड बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी।

know-about-economic-survey-2022 all-important-things-from-railway imp-exp gdp-growth-etc इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि रेलवे देश में तैयार ‘कवच’ जैसी टेक्नोलॉजी को अपना रहा है। इसके अलावा वंदे मातरम जैसी ट्रेनों के जरिए पैसेंजर को बेहतर एक्सपीरियंस देने पर फोकस है।

  • गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी l

इसके अलावा, सर्वे में कहा गया कि 2021-22 में भारत के गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

ग्लोबल स्तर पर सप्लाई से जुड़ी बाधाओं के चलते ट्रेड कॉस्ट बढ़ने के बावजूद 2021-22 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट लगातार 8वें महीने 30 अरब डॉलर से ज्यादा रहा।

एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दोनों ही महामारी से पहले के स्तरों से ऊपर बने हुए हैं, जो तब से 11 फीसदी ज्यादा हैं।

समीक्षा में कहा गया, “वैक्सीनेशन कवरेज में तेज बढ़ोतरी के साथ आगे प्राइवेट कंजम्प्शन में मजबूत रिकवरी दिखने का अनुमान है।”

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इसमें तर्क दिया गया कि आईआईपी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे एचएफआई में तगड़ी मजबूती से समर्थन मिलने का भरोसा है।

समीक्षा महामारी के चलते डिजिटल ट्रांजैक्शन विशेषकर यूपीआई पेमेंट्स में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की ओर संकेत करती है, जो कंज्यूमर सेंटीमेंट में सुधार का भी संकेत है।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के डाटा के मुताबिक, दिसंबर में लगभग 8.27 लाख करोड़ रुपये के 456 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जबकि अक्टूबर में 7.71 लाख करोड़ रुपये के 422 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे।

सर्वे में कहा गया, “2021-22 में सरकारी कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान के साथ कुल कंजम्प्शन में 7.0 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।”

  • जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदानl

प्राइवेट कंजम्प्शन से देश में कंज्यूमर्स द्वारा खरीदे गए गुड्स और सर्विसेज पर खर्च की गई धनराशि का पता चलता है।

इसमें 2021-22 में 6.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस प्रकार प्राइवेट कंजम्प्शन महामारी से पहले के स्तरों की तुलना में 97 फीसदी के स्तर पर है।

जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान को देखते हुए, इसमें बिना किसी अनुकूल बेस की मदद के 6-7 फीसदी की ग्रोथ रेट खासी अहम है।https://samaydhara.com/india-news-hindi/budget-2021-kya-sasta-aur-kya-mehnga-union-budget-2021-updates-in-hindi/

लेकिन महामारी के चलते घरेलू इनकम घटने से, प्राइवेट स्पेंडिंग की यह स्थिति कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

इससे पहले, 

कल यूनियन बजट 2022 (Union Budget 2022) पेश  होने से पहले l

यानी बजट के ठीक एक दिन पहले संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है l

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इस बार यह इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) 31 जनवरी सोमवार को आ रहा है l जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश करेंगी।

इस बार का सर्वे इस मायने में खास है कि इसे चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) की गैरमौजूदगी में तैयार किया जा रहा है।

सीईए केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल पिछले साल 6 दिसंबर को खत्म हो गया।

तीन साल तक इस पद पर रहने के बाद उन्होंने फिर से एजुकेशन के क्षेत्र में लौटने का फैसला किया है।

सुब्रमण्यन का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार ने नए सीईओ की तलाश शुरू कर दी है। लेकिन, अब तक नई नियुक्ति नहीं हो सकी है।

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सीईए की गैरमौजूदगी में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करने का काम प्रिसिंपल इकोनॉमिक एडवाइजर और फाइनेंस मिनिस्ट्री के दूसरे अधिकारियों के जिम्मे है।
https://samaydhara.com/lifestyle/monday-thoughts-good-morning-images-motivation-quotes-in-hindi-inspirational-suvichar-7/फाइनेंस मिनिस्ट्री में सीईओ का दर्जा सेक्रेटरी के बराबर का होता है। इससे पहले भी सीईओ की गौरमौजूदगी में इकोनॉमिक सर्वे तैयार होने की मिसाल है।प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पहले साल के इकोनॉमिक सर्वे को भी सीईओ की गैरमौजूदगी में तैयार किया गया था।तब सीईओ का पद खाली था। रघुराम राजन को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त कर देने से सीईए का पद खाली हो गया था।

इस बार का इकोनॉमिक सर्वे सिर्फ एक वॉल्यूम का हो सकता है।

 

इसका मतलब है कि इसमें सिर्फ चालू वित्त वर्ष के अलग-अलग सेक्टर के डेटा होंगे।

इसमें अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ के रास्ते की बाधाओं के समाधान का व्यापक रास्ता नहीं होगा।

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आम तौर पर इकोनॉमिक सर्वे में ग्रोथ के रास्ते में आने वाली बाधाओं और उनके समाधान का जिक्र होता है।

उम्मीद है इकोनॉमिक सर्वे में चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 9.2 फीसदी रहने का अनुमान शामिल होगा।

यह आरबीआई के 9.5 फीसदी की ग्रोथ के अनुमान से थोड़ा कम है। हालांकि, यह पिछले वित्त वर्ष इकोनॉमी के प्रदर्शन के मुकाबले काफी बेहतर है।

 

पिछले वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 7.3 फीसदी गिरावट आई थी। इसकी वजह कोरोना की महामारी का इकोनॉमी पर असर था।

सरकार ने महमारी को काबू में करने के लिए लॉकडाउन लगा दिया था। इससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से थम गई थीं।

समयधारा डेस्क