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RBI ने 6.5% ही रखा रेपो रेट,नहीं किया कोई बदलाव,GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान

आरबीआई(RBI)के इस कदम से एक राहत यह देखी जा रही है कि रेपो रेट(Repo Rate)में बदलाव न होने से मकान,वाहन और अन्य ऋणों की ब्याज दरों में फिलहाल बढ़ोतरी नहीं होगी।

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नई दिल्ली:RBI-unchanged-Repo-Rate-keeps-at-6.5%-GDP-Growth-Rate-prediction-6.5%-भारतीय रिज़र्व बैंक(Reserve Bank of India)की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने FY24 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर(Repo Rate)को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया यानि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया।

इतना ही नहीं, RBI ने FY24 GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.5% पर बरकरार(RBI-unchanged-Repo-Rate-keeps-at-6.5%-GDP-Growth-Rate-prediction-6.5%)रखा, जबकि उम्मीद है कि FY24 CPI मुद्रास्फीति 5.1% रहेगी।

आरबीआई(RBI)के इस कदम से एक राहत यह देखी जा रही है कि रेपो रेट(Repo Rate)में बदलाव न होने से मकान,वाहन और अन्य ऋणों की ब्याज दरों में फिलहाल बढ़ोतरी नहीं होगी।

केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर नहीं बढ़ाने का निर्णय बाजार उम्मीदों के अनुरूप है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा(RBI-unchanged-Repo-Rate-keeps-at-6.5%-GDP-Growth-Rate-prediction-6.5%)है।

पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में वृद्धि दर के अनुमान को 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था।

वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 5.1 प्रतिशत किया गया है. पहले इसके 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया था।

मौद्रिक नीति समिति (MPC) की मंगलवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिये गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है।”

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. शेष साल में भी इसके लक्ष्य से ऊपर ही रहने का अनुमान(RBI-unchanged-Repo-Rate-keeps-at-6.5%-GDP-Growth-Rate-prediction-6.5%) है।

दास ने कहा, ‘‘एमपीसी अपने उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करेगी।”

रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं।

अप्रैल की पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में भी रिजर्व बैंक ने रेपो दर में बदलाव नहीं किया था. इससे पहले मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये रिजर्व बैंक पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।

केंद्रीय बैंक नीतिगत दर के बारे में निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. उसे मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

आरबीआई का अनुमान है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आठ प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहेगी।

दास ने कहा कि मुद्रास्फीति को तय दायरे में बनाए रखने के लिए एमपीसी त्वरित और उचित नीतिगत कार्रवाई जारी रखेगी।

गवर्नर ने कहा कि घरेलू मांग की स्थिति वृद्धि के लिए सहायक बनी हुई है, ग्रामीण मांग बेहतर हो रही है. उन्होंने रुपये का जिक्र करते हुए कहा कि यह इस साल जनवरी से स्थिर है।

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने ई-रुपये वाउचर के दायरे को बढ़ाने का फैसला किया है. अब गैर-बैंकिंग कंपनियों को इस तरह के उत्पाद जारी करने की अनुमति दी जाएगी।

साथ ही रिजर्व बैंक ने बैंकों को ‘रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड जारी करने की अनुमति दी।

आपको बता दें कि रेपो रेट का अर्थ होता है कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर. बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है. रेपो रेट कम होने का अर्थ है की बैंक लोगों को कम ब्याज दर पर लोन देगा और अगर यह बढ़ती है तो बैंक अपने लोन महंगा करता है और लोगों की ईएमआई भी बढ़ जाती है. या कहें तो लोन महंगे हो जाते हैं।

 

 

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(इनपुट एजेंसी से भी)

Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।