ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया क्या है
What-is-obstructive-sleep-apnea-know-OSA-symptoms-cause-treatment-in-hindi
नई दिल्ली:आज सुबह ही खबर आई की बॉलिवुड के मशहूर संगीतकार और गायक बप्पी लाहिड़ी(Bappi Lahiri passes away)का निधन हो गया।डॉक्टर के मुताबिक उनका निधन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA)के कारण हुआ है।
ऐसे में जरुरी है कि आप भी जानें कहीं आप भी तो ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया(obstructive-sleep-apnea)से ग्रस्त तो नहीं?
ताकि वक्त रहते उचित उपचार के सहारे आप अपनी और अपने परिजनों की जिंदगी बचा सकें।
किसी भी बीमारी का इलाज तभी संभव है जब आपको उसका कारण और लक्षण पता हो। उस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हो।
कई बार कुछ लोगों की नींद रात में बार-बार टूटती है।कुछ लोग सोते-सोते अचानक से उठ बैठते है या फिर नींद में बेचैन होकर करवट बदलते रहते है।
इतना ही नहीं, बहुत बार देखा गया है कि सोते समय सांस लेने में तकलीफ के कारण भी ऐसा होता है।
अगर आपको भी रात में कई बार सांस लेने में तकलीफ होती है और इसके कारण आपकी नींद खुल जाती है,तो हो सकता है कि आप भी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित हो।
एक रिसर्च में सामने भी आया है कि भारत में तकरीबन 40 लाख से भी ज्यादा लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक,यदि कोई शख्स सांस लेने में परेशानी के कारण बार-बार रात में जागता है और फिर पूरा दिन उसका सिरदर्द(Headache)रहता है और थकान के साथ सुबह मुंह सूखा हुआ अनुभव करता है तो यह ओएसए की बीमारी के लक्षण है।
चलिए अब आपको विस्तार से बताते है कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) क्या(kya hai obstructive sleep apnea)है,इसके लक्षण,कारण और इलाज क्या है:
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ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक नींद से जुड़ी बीमारी है।इस बीमारी में व्यक्ति को अक्सर सोते समय सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है।
कुछ पलों के लिए सांस लेने की प्रक्रिया रुक जाती है और फिर दोबारा शुरु हो जाती है। इससे मरीज की नींद बार-बार खुलती है।
बार-बार सांस रुकने के कारण पूरी रात करवटें बदलता रहता है।इसके कारण कई बार मरीज मुंह खोलकर भी सोता है,यह भी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का एक अन्य लक्षण है।
खर्राटे, नींद की गड़बड़ी और थकान इस विकार के सामान्य लक्षण हैं।
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लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि यह एक बीमारी है। नींद के दौरान प्रर्याप्त ऑक्सीजन शरीर में नहीं जाता। एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (OSA) विकार से पीड़ित महिलाओं में कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।
सिबिया मेडिकल सेंटर, लुधियाना के कार्डियोलॉजिस्ट और डायरेक्टर (Cardiologists & Director) डॉ. एसएस सिबिया कहते हैं कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सोते समय, नाक में एयर फ्लो कम हो जाता है।
क्योंकि इसमें नाक और मुंह के ऊपरी हिस्से में हवा भर जाती है। यह बीमारी तीन प्रकार की होती है, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, सेंट्रल स्लीप एपनिया और कॉन्प्लेक्स स्लीप एपनिया।
जानते है इसके तीनों प्रकार के बारे में विस्तार से:
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यह एपनिया का कॉमन प्रकार है। इसमें एयर पैसेज में रुकावट के कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, स्लीप एपनिया के 90-96 प्रतिशत मामले इसी से जुड़े होते हैं।
इस डिसऑर्डर में ब्रीदिंग बार-बार रुकती है और कुछ देर बार खुद ही शुरू हो जाती है। इसका कारण मसल्स को ब्रेन से प्रॉपर सिग्नल नहीं मिलना होता है।
इस डिसऑर्डर में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और सेंट्रल स्लीप एपनिया दोनों के लक्षण होते हैं। इसमें भी रोगी को सोते समय सांस रुकने की प्रॉब्लम होती है।
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-सोते समय बेचैनी महसूस करना और तेज खर्राटे लेना
-दम घुटा हुआ महसूस होना और रुक-रुक कर सांस आना
-अचानक से सीने में तेज दर्द होना और पसीने आना
-दिन में ज्यादा सोना और दिनभर सुस्ती रहना
-बार-बार यूरिन के लिए प्रेशर बनना
-एकाग्रता की कमी या सिर भारी रहना
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-चिकित्सक के अनुसार वजन ज्यादा होना या गले का बाहर से बढ़ना (गर्दन का साइज 17 इंच से ज्यादा ना हो)। नाक-गले और मुंह का अंदर की तरफ से साइज कम हो जाना। या टॉन्सिल का होना या सांस की नली में अनावश्यक टिश्यूज बढ़ जाना, इसका कारण होता है।
-यदि आप अल्कोहल(Alchohal) का सेवन करते हैं या नींद(Sleep)की गोलियां खाते हैं तो यह भी स्लीप एपनिया का कारण हो सकता है।
-जंक फूड और बढ़ते टेबल वर्क के साथ घटता व्यायाम भी लंबे समय में स्लीप एपनिया का कारण बन जाता है।
-हालांकि इस सबके बीच आपको घबराना नहीं चाहिए। इस बीमारी का इलाज संभव है।
लेकिन यदि आपने इस पर ध्यान नहीं दिया तो यह कई बीमारियों का कारण बन सकता है। चलिए बताते है कि स्लीप एपनिया के कारण कौन-कौन सी परेशानियां हो सकती हैं।
दिल की बीमारी का खतरा (Heart Disease Risk)
स्लीप एपनिया से ग्रस्त व्यक्ति को ब्लड कम या ज्यादा होना, हाई ब्लड प्रेशर(Blood Pressure), कार्डियोवैस्क्युलर सिस्टम पर अचानक दबाव का बढ़ जाना आदि की समस्या हो सकती है।
इसके कारण व्यक्ति को दिल से संबंधित रोग जैसे-हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज और अन्य प्रकार की गंभीर बीमारियों का खतरा भी हो सकता है।
परस्पर रिश्तों पर प्रभाव(Relationship affect)
जब आप रात में तेज खर्राटे लेते है तो आपके साथ सोने वाले पार्टनर की नींद भी खराब होती है।नींद पूरी न हो पाने के कारण उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा और गुस्सैल होने लगता है। इसका प्रतिकूल असर आपके परस्पर रिश्तों पर पड़ता है।
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डॉ. सिबिया के अनुसार, इस परेशानी से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज पॉलीसोम्नोग्राफी या स्लीप स्टडी के माध्यम से किया जा सकता है।
-इस इलाज में शुरू में ईईजी टेस्ट, ईकेजी टेस्ट और ऑक्सीजन टेस्ट कराया जाता है।
-एक अन्य टेस्ट में रोगी को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें रोगी के हाथों की अंगुलियों और बाजुओं में छोटी सी घड़ी जैसी डिवाइस लगा दी जाती है।
-यह डिवाइस व्यक्ति के सोने की स्थिति पर नजर रखती है। इस आधार पर डॉक्टर आगे का उपचार शुरू करते हैं।
-दंत चिकित्सा में विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति का इलाज मैंडिबुलर उन्नति उपकरण के साथ किया जा सकता है।
-यह एक मौखिक उपकरण है, जो अस्थायी रूप से जबड़े और जीभ को आगे बढ़ाता है। गले के कसने को कम करता है और वायुमार्ग की जगह को बढ़ाता है।
हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि 30 साल से ज्यादा की उम्र वाले 44% पुरुष इस परेशानी से ग्रस्त हैं। समय रहते इसे कंट्रोल करना बहुत जरूरी है, इसके कारण पैरालिसिस तक की समस्या हो सकती है।
इसके अलावा अगर आपको ओएसए से बचना है तो अपनी डाइट का भी ध्यान रखना चाहिए। डाइट के बारे में जानकारी नीचे दी गई है:
-मेलाटोनिन से भरपूर फलों का सेवन करें। अनार, अंगूर, चेरी, खीरे आदि का सेवन करने से अच्छी नींद आती है।
-फाइबर वाली डाइट और साबुत अनाज का सेवन करें। लेकिन इन्हें खाने के दौरान यह ध्यान रखें कि आपका वजन न बढ़े।
-कम वसा वाले प्रोडक्ट का सेवन करें। घी की जगह जैतून का तेल, सूरजमुखी या फ्लेक्स सीड्स वाले ऑयल का प्रयोग करें।
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