Editorial-On-5-States-Election-Results Vision-Future-Plans
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नयी दिल्ली (समयधारा) : देश के 4 बड़े राज्य और पूर्वोत्तर के 1 राज्य के चुनाव परिणाम आ गए l
जहाँ एक और हिंदी भाषी राज्य यानी मध्यप्रदेश-राजस्थान-छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया l
वही दूसरी और दक्षिण के तेलंगाना में कांग्रेस ने बाजी मारी l इन चुनावों को लोकसभा चुनाव के पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा थाl
जहाँ इस चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी के समक्ष विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने ताल ठोककर चुनाव में जोर-शोर से हिस्सा लिया l
चुनावी रैलियों में वही मीडिया से लेकर सभी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए बड़ा जनादेश की बात की जा रही थी l
एग्जिट पोल में कांग्रेस को राजस्थान सहित छत्तीसगढ़’ में सत्ता में वापसी की बात वही मध्यप्रदेश में कड़ी टक्कर की बात बताई गयी थीl
पर नतीजों ने सभी लोगों को चौका दिया l खासकर छतीसगढ़ और राजस्थान में l
इन चुनाव के नतीजों ने कई समीकरणों को बदल दिया l और राजनीती में कई नए सवाल को भी जन्म दे दिया l जैसे..
महिला आरक्षण – सरकारी जूमला या सच में महिलाओं के हित की है बात
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देश भर की लगभग सभी पार्टियों ने इस चुनाव में रेवड़ी बाटने यानी कई वादें कियें l वही जिन्होंने रेवड़ी बाटी उसको भी चुनाव में जोर-शोर से प्रचार किया l दक्षिण से आई इस प्रथा को उत्तर भारत के चुनावों में आजमाने का रिस्क/दावं सभी पार्टियों ने आजमाया l पर विपक्ष जहाँ इस मामले में फ़ैल हो गया वही केंद्र में काबिज बीजेपी पर लोगों ने भरोसा जताया l’ पर क्या लोकसभा चुनावों में रेवड़ियों का बोलबाला रहेगा l बातें तो कही होंगी पर आज की जनता जो मोबाइल पर आई सभी बातो को सत्य मानती है क्या वो इन रेवड़ियों के झासें में आसानी से आ जाएगा..? इन चुनावों में कम से कम इस बात को जनता ने नकार दिया l अगर नकारा न होता तो जो चुनाव के नतीजे आये है वह कुछ और होते l यहाँ आपका सवाल होगा बीजेपी ने भी तो कई वादें कियें स्कूटी से लेकर गैस सस्ता देने तक के कई वादें किये तो क्या इस वजह से वह चुनाव नहीं जीतें l तो हमारा सीधा सा जवाब होगा नहीँ..! क्योंकिः जो वादे बीजेपी ने किये थे लगभग वही सब वादें अन्य पार्टियों ने भी किये थे l खासकर कांग्रेस ने इन वादों को निभाने का दम भी भरा था तो कम से कम इस चुनाव में रेवड़ियों का असर इतना नहीं दिखा l अलबता यहाँ पर बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली है l चुनाव जीतने के बाद इन रेवड़ियों के बाटने का दबाव l अगर विपक्ष ने पूरा जोरशोर लगाकर इन रेवड़ियों को यानी बीजेपी के वादों को जनता तक पहुँचाया जो वादे बीजेपी ने कीये और पुरें न किये उसे तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ी परेशानी खडा कर सकता है l विपक्ष को सारी बातें भूलकर एक होकर बीजेपी पर उसी के हथियार यानी रेवड़ियों वाले बड़े औजार से वार करना होगा l जीत होगी या नहीं यह पता नहीं पर इससे विपक्ष को कम से कम एक नया हथियार तो मिल ही जाएगा l
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इस समय विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती है बीजेपी के खिलाफ वह कौन सा मुद्दा लायें जिससे वह बेकफूट पर आ जाए ..? मुद्दे तो कही है पर विपक्ष अपने स्वार्थ वश या यूँ कहे की अन्य मुद्दों के कारण वह जरुरी मुद्दों को भूल जाता हैl
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इस बार के चुनाव में विपक्ष ने एक मुद्दा उठाया जातिगत गणना का यानी देशभर में जाती के हिसाब से जनगणना हो l इससे उनका मकसद था जातिगत मतों को अपनी तरफ आकर्षित करना l पर विपक्ष यह बात पूरी तरह से जनता तक पहुँचाने में नाकाम रहा l मुद्दा तो उन्होंने जोर-शोर से उठाया पर वह उनके पक्ष में नहीं गया l इस वजह से अब इस मुद्दे को वह लोकसभा चुनाव में किस तरह से भुनाएगी यह भी देखना जरुरी है l अगर वह इस मुद्दे को लोकसभा में उठाना चाहती है तो उसे जनता को इसके फायदे बताने होंगे उसे क्योंकि जनता के लिए जनगणना एक आम बात है l उसे नहीं पता की जनगणना’ से कितने फायदे हो सकते है l भारत बहु भाषी देश है और यहाँ विभिन्न वर्ग के लोग रहते है l OBC/SC/ST पंडित ब्राहमण आदि जातियों को साधने के लिए यह नया शिगूफा यानी मुद्दा विपक्ष को मिला वह इसे हथियार बनाकर खूब जोर शोर से लड़ा l पर इस मुद्दे का कोई खास फर्क इन चुनावों में नहीं दिखा l
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बीजेपी ने इस चुनाव में जीत के बाद तमाम मतदाताओं को खासकर महिला मतदाता को उन्हें वोट देने के लिए शुक्रिया अदा किया l क्या सच में ऐसा हुआ l इस बार के चुनाव में खासकर मध्य प्रदेश में महिलाओं ने जमकर मतदान किया l लाडली योजना ने शिवराज चौहान की नैया को पार लगा दिया l मोदी ने महिलाओं के आरक्षण देने की जो रणनीति थी वह काम आई l भले ही यह आरक्षण 2024 के इलेक्शन में लागू नहीं होगा पर बीजेपी ने इसे अपना चुनावी हथियार बनाया और इस मुद्दे को जोरशोर से प्रचार में भुनाया l जिसका नतीजा देश के सामने है l इसलिए विपक्ष को अगर बीजेपी से लड़ाई लड़नी है तो उसे महिलाओं के लिए कुछ विशेष पैकेज लेकर आना होगा l उसे महिलाओं के हित के बारें में न सिर्फ सोचना होगा बल्कि उसे देश की तमाम महिला मतदाताओं तक अपनी बात को रखना भी होगा l
इस बार के चुनाव में किस व्यक्ति ने किस जाति’ के ब्यक्ति ने किस पार्टी को मत दिया उसका मूल्यांकन करना जरुरी है l बात करें छतीसगढ़ की तो वह बस्तर संभाग से बीजेपी को जबरदस्त मत मिलें जिसका नतीजा वह वहां फिर से सत्ता में काबिज हो गयीl खुद को OBC समुदाय का बताकर मोदी और शिवराज चौहान ने मध्य प्रदेश में बीजेपी की नैया को पार लगाया l विपक्ष को भी जातिगत नेताओं तथा उनके समुदाय के युवा चेहरों को सामने लाना होगा l इस बार इन 5 राज्यों की जनता ने भ्रष्टाचार-महंगाई, जाति सहित कई लुभावने वादों को भी ध्यान में रखकर मतदान किया l इसलिए चुनाव का विश्लेषण कर किस राज्य में किस वजह से उन्हें जीत मिली है l इसका मूल्यांकन कर अपनी रणनीति को बनाना है l न सिर्फ बनाना है बल्कि उसे यथार्थ में उतारना भी है l
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इस चुनाव में जो सबसे बड़ी क्षति पहुंची है वह है विपक्षी एकता की यानी अभी-अभी बने I.N.D.I.A. गठबंधन की l 5 राज्यों में चुनाव के दौरान पूरा गठबंधन बिखर गया l कांग्रेस ने अपने अहंकार में अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन नहीं किया तो वही अन्य पार्टियों ने भी कांग्रेस का साथ नहीं दिया जिसका नतीजा यह हुआ की पूरा I.N.D.I.A. गठबंधन इन चुनावों में तितर-बितर हो गया l पर इस हार से I.N.D.I.A. गठबंधन को सबक लेने की जरुरत है l सेमीफाइनल में मिली हार से न घबराकर और मजबूती के साथ एक होकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव में ताल ठोकनी है l अगर I.N.D.I.A. गठबंधन मजबूती से एक साथ अपना-अपना स्वार्थ परे रखकर चुनाव लड़ता है तो वह बीजेपी के सामने एक मजबूत दावेदारी पेश कर सकता है l और केंद्र में सत्ता में भी काबिज हो सकता है l इन चुनावों ने उन्हें तोड़ा है तो 4 राज्यों में हार से वह और मजबूती के साथ जुड़ भी सकता है और यह सब पार्टियों के विवेक पर निर्भर करता है l उनका भविष्य यानी I.N.D.I.A. गठबंधन का भविष्य अब इन्ही बातों पर निर्भर करेगा l
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यहाँ एक बात गौर करने लायक है की विपक्ष में ऐसा कौन सा नेता है जिस पर I.N.D.I.A. गठबंधन एक होकर चुनाव में जा सकता है l राहुल गांधी, ममता बेनर्जी, अरविन्द केजरीवाल, नीतीश कुमार या फिर अखिलेश यादव-शरद पवार सभी लोग प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में अपने आप को रख रहे है l जिस वजह से I.N.D.I.A. गठबंधन का आधार हिला हुआ है l राहुल गांधी’ के नाम पर अगर लोग पूरा विपक्ष एक हो भी जाता है तो जो अनुभवी पुराने नेता है वो उनके नीचे काम करने से कतरायेंगे l I.N.D.I.A. गठबंधन को अपने सभी मतभेदों को दूर कर किसी एक नाम के साथ देश की जनता को भरोसा दिलाना होगा की वह एक विज़न के साथ और एक चेहरे के साथ लोकसभा चुनाव में अपोनी दावेदारी रख रहा है l जनता को उस चेहरे पर विश्वास दिलाना होगा l अगर ऐसा वह कर लेते है तो लोकसभा चुनावों में I.N.D.I.A. गठबंधन को हराना मोदी सरकार के लिए काफी मुश्किल’हो जाएगा l
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सत्तारूढ़ बीजेपी के पास एक चेहरा है मोदी और वह इस समय काफी लोकप्रिय भी है l देश भर में सभी जगह मोदी के नाम की स्वीक्रति बीजेपी ने करवाई है l चुनाव बीजेपी लड़ रही है पर मोदी का चेहरा देशभर में आगे रखा है l भारत की जनता के पास मोदी के समकक्ष कोई भी लोकप्रिय या मजबूत चेहरा कम से कम इस समय तक तो नहीं हैl जिसका सबसे बड़ा फायदा मोदी को बीजेपी को मिल रहा है l
अगर विपक्ष एक चेहरा नहीं दे सकता तो कम से कम इतना विश्वास जनता को दिला दे की लोकसभा चुनाव में अगर उन्होंने I.N.D.I.A. गठबंधन को वोट दिया तो उनका वोट व्यर्थ नहीं जाएगा l और आपसी तालमेल से वह किसी एक नाम पर राजी हो जायेंगे l पर यह मुश्किल लग रहा है कारण I.N.D.I.A. गठबंधन में प्रधानमंत्री के कई चेहरे है और कोई झुकने को तैयार नहीं है l जिसका सीधा फायदा सत्तारूढ़ बीजेपी को मिल रहा है l
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