Editorial on Budget-2022-23 in hindi, Budget 2022 Editorial- "कभी प्यासे को पानी...बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा" की तर्ज पर बजट 2022
Editorial on Budget-2022-23 in hindi
नयी दिल्ली (समयधारा):मोदी सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में अपना 7वां बजट पेश किया l
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह चौथा बजट पेश किया l इस बार भी बजट(Budget) पेपर लेस यानी डिजिटल बजट पेश किया गया l
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बजट से आम आदमी को क्या मिला..?
एक बार फिर कही उसे ठगा तो नहीं गया l या फिर सच में नयी उम्मीदों को जगाकर मोदी सरकार ने अपना वादा पूरा किया l
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पहले संक्षेप में इस बजट की मुख्य बातें जानना जरुरी है l यह इसलिए भी जरुरी है कि इससे आप इस बजट का सही विश्लेषण कर सकते है l
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अब इस बजट में ऐसी कोई बात नहीं है जिसे हम कहे कि सरकार ने बहुत ही शानदार बजट पेश किया है l
पर इस पर भी सरकार की तरफ से यह तर्क आ रहा है कि बजट 2022(Budget 2022)भविष्य को लेकर बनाया गया है l इसके दूरगामी परिणाम दिखेंगेl
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वही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा “हमारी सरकार ने टैक्स स्लैब में कोई कटौती नहीं की तो कोई नया टैक्स लगाया भी नहीं है,
लेकिन कई बार टैक्स में कटौती की जा सकती है और कई बार जनता को भी इंतजार करना पड़ता है l”
वही विपक्ष ने इस बजट को कॉर्पोरेट का बजट (पूंजीवादी बजट) कहा है और कहा कि इस बजट में आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं हैl
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पूर्व वित्त मंत्री वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिंदबरम ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि आज का बजट भाषण किसी वित्त मंत्री द्वारा पढ़ा गया, अब तक का सबसे पूंजीवादी भाषण था।
‘गरीब’ शब्द पैरा 6 में केवल दो बार आता है और हम वित्त मंत्री को इसे याद रखने के लिए धन्यवाद देते हैं कि इस देश में गरीब लोग हैं; लोग इस पूंजीवादी बजट को खारिज कर देंगे
अब पक्ष और विपक्ष के बीच हम नहीं पिसना चाहते है l हम तो बस इस बात से सहमत होते है की इस बजट में आम आदमी के लिए क्या है।
बजट से आम आदमी को क्या-क्या मिला ? पहली नजर में इस बजट में आम आदमी के लिए कोई राहत भरी खबर नहीं है l
ऐसे में बजट 2022 के बारे में क्या कहा जाएँ l एक्सपर्ट ने इस बजट को नपातुला बताया है l
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पर इस बजट को वर्तमान का बजट न बताकर भविष्य का बजट बताया गया है l ऐसे बजट का क्या फायदा जिसका वर्तमान में फायदा न हो l
वो आपने गीत तो सुना ही होगा “कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं…बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा” इस बार का बजट इस गाने को सार्थक करता है l
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आम आदमी कोरोना महामारी और उसके कारण हुए लॉकडाउन से पीड़ित है। उसके घर में अब आय का कोई जरिया नहीं बचा है और वित्त मंत्री साहिबा भविष्य के बारें में बात कर रही है l
वित्तमंत्री अगले 25 साल की रूपरेखा रख रही है,लेकिन वर्तमान में इनकम को लेकर कोई नयी बात नहीं कही गई।
भविष्य किसने देखा है? मैं यानी की हम आम लोग,अब,आज मर रहे है, हमें अभी केंद्र सरकार से कुछ उम्मीदें है,जिन्हें हम चुनकर लाये है।
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पर हम लाचार है क्योंकि हमने इन्हें 5 साल के लिए चुना है और वह 5 साल तक तो अपनी मर्जी चलाएंगे l
ऐसा नहीं है की सरकार के पास आय का जरिया नहीं है l सिर्फ ऑइल(OIL-PETROL-DIESEL) से सरकार की झोली में कई लाखों कारोड़ो रुपये का राजस्व आया है l
पर बहुत ही कम लोग इस के बारें में बात करेंगे बहुत ही कम लोग आवाज उठाएंगे,
और आवाज उठेगी तो वह दबा दी जायेगी l वह आम जनता तक नहीं पहुँच पाएगी l क्या किया जाए..?
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जब-जब चुनाव आते है, हम यह सब भूल जाते हैl फिर एक बार धर्म के नाम पर,पाकिस्तान के डर,खोखले राष्ट्रवाद और नोट के बदले वोट देकर अपने लिए फिर सरकार चुन लेते है l
बजट में बहुत कुछ नया दिया जा सकता था, बहुत कुछ आम लोगों के हक़ में फैसला लिया जा सकता था l
पर न सरकार ने इस की सुध ली और न हम आम जनता को इससे कोई फर्क पड़ता है l सब कुछ बिका हुआ है l
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और जो न बिका है उसे डराया-धमकाया जा रहा है l जो नहीं डर रहा उसकी आवाज को दबाया जा रहा है l
काश कोई ऐसा बजट आये जिसमे हम आम जनता को भी शामिल किया जाये, हम आम जनता की तकलीफों को भी समझा जाएँ l
मैं यह नहीं कहता की हमें रियायत दो मैं यह नहीं कहता की TAX में छूट दो l पर जीने का हक़ तो हमें है मुझे मेरा हक़ दो l
मुझे वो दो जिसका मैं हकदार हूँ जिसके लिए मैंने आप को चुना है कम से कम मेरा मान तो रखो….
इस बजट से मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग को खासी निराशा हाथ लगी है। न वर्तमान में रोजगार के लिए संसाधन बढ़ाएं गए और न ही इनकम टैक्स स्लैब में कोई रियायत दी गई।
जिंदगी का एक सिंपल सा फंडा है- आप अपना आज सुधार लो,आने वाला कल अपने आम सुधर जाएगा।
25सालों का ब्लूप्रिंट तैयार करने से पहले अगर सरकार इस बात को याद रख लेती तो आम जनता भी कहती है अबकी बार आम आदमी की झोली भरने वाली सरकार।
पर ऐसा नहीं हुआ। चूंकि ईश्वर हो या सरकार…मदद केवल उनकी की जाती है,जो अपनी मदद आप करते(God Helps Those Who Help Themselves) है।
जब वोट ही आप धर्म,जात,सांप्रदायिकता,इतिहास के गड़े मुर्दों के आधार पर देंगे तो बजट ही क्या खुद सरकार भी आपको सिर्फ यही देगी।
शेयर बाजार ऊपर, सेंसेक्स 734 अंक निफ्टी 200अंक बैंकनिफ्टी 706 अंक ऊपर
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