संपादक की कलम से

2 अक्टूबर गांधी जयंती विशेष : ब्लैक एंड व्हाइट ज़माने से आज के रंगबिरंगे गांधी

गांधी जयंती : देश के नोटों/वोटों पर विराजमान गांधीजी की क्या यही है असली पहचान..?

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gandhi jayanti  from black and white to colorful gandhi

नई दिल्ली (समयधारा) : आज एक बार फिर गांधी जयंती(gandhi jayanti) है और देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी गांधी जयंती को बड़े धूमधाम से लोग मना रहे हैl 

लोग तो इस तरह से इस जयंती को मनाते है, जैसे उनके अलावा गांधी जी का कोई सच्चा अनुयायी है ही नहीं l 

पर हाँ सच मानो! तो यही लोग गांधी के सच्चे उतराधिकारी भी है .. हाँ! क्योंकी कम से कम इन्होंने गांधी की अहमियत को बचाकर तो रखा है l 

अगर यह ‘गांधी जयंती’ नहीं मनाते, तो शायद हम अपने देश के इतिहास को अच्छी तरह से जान ही नहीं पाते l

कम से कम इस बहाने हम अपने इतिहास से जुड़े तो है l

हमने गांधीजी को ब्लैक एंड व्हाइट ज़माने से… आज के रंगबिरंगे गांधी की पहचान में तब्दील कर दिया। हमने उन्हें अपने रंगरूप में ढ़ाल लिया l 

“कहते है न बाप बड़ा न भैया, भई…सबसे बड़ा रुपया”

हमारे वरिष्ठ कुछ लोगों ने इस कहावत को अमल में लाया और गांधीजी को इस तरह से समझा कि उन्होंने रुपये पर ही गांधीजी को चिपटा दियाl

गांधीजी के रुपये पर आ जाने से देश-विदेश में भारतीयों की एक अलग पहचान बनी l वहीं आम लोगों ने भी गांधी को अपने जीवन में उतारना शुरू कर दिया l

हाँ उन्होंने गांधीजी को अपना बनाना शुरू कर दिया l कोई इसे लेकर अपना काम निकाल रहा है तो कोई इसे देकर l

नेता वोट मांगने लगे, तो ख़ास लोग गांधीजी को नोटों के जरिये बेचने लगे l

gandhi jayanti  from black and white to colorful gandhi

नोटों पर गांधी की छाप ने वोटों पर भी इसका असर दिखाना शुरू कर दिया l गांधी को अब सभी लोगों ने भुनाना शुरू कर दिया l

उनके विचारों को नहीं सिर्फ और सिर्फ उनकी छाप को, जो अब नोटों पर विराजमान है l

सच में गांधी तो देश के हर घर में पहुँच गए l  अब वह सबके पास सुरक्षित है..!

कोई इसे पास आने पर,वापस देना नहीं चाहता..!  बड़ी मज़बूरी से लोग गांधीजी को देते है l

कुछ लोग तो इससे आगे बढ़कर गांधीजी को कैद कर लेते है l गांधीजी को वो गुप्त स्थान पर छिपा कर रख लेते है l

यही गांधीजी की समझ आज हमारे समाज में है l गुमनामी के अँधेरे में यही गांधीजी की आज पहचान है l

यही तो सपना था गांधी को हर घर में, हर एक की जेब में, सभी जगह पहुँचाना और देखिये न! गांधी जी सब जगह पहुँच ही गए l

आम हो या खास, सभी के लिए गांधी बन गए वो हथियार जिसे चलाकर वह अपना हित साधने लगे l

gandhi jayanti  from black and white to colorful gandhi

इन्होंने न सिर्फ गांधीजी को बेचा l बल्कि गांधीजी की आत्मा को छलनी-छलनी कर दिया l

नोटों पर आने से इनके महत्व को तो बड़ा बना दिया l

पर इन्हें दिल से सम्मान देकर, इनके विचारों को अपने दैनिक जीवन में उतारकर, जीने की सोच को कहीं पीछे छोड़ दिया l

क्या आपने सोचा है? गांधीजी को हम सच्ची श्रद्धांजलि कब अर्पित करेंगे? सिर्फ उनकी जयंती को मनाकर या फिर उनके नाम से गरीबों में दान कर या उनके मूल्यों को अपने जीवन में उतारकर।

खादी पहनने से कोई भी गांधीवादी या स्वदेशी नहीं हो सकता l गांधी बनने के लिए उनके जैसे विचारों को अपने जीवन में उतारना होगाl

जो पहचान हमने गांधीजी को नोटों पर लाकर दी है, वहीं पहचान अब उनके विचारों को, उनके  मूल्यों को जिंदगी में उतारकर हमें देने की जरुरत है l

आज एक और गांधी क्रांति की जरुरत है। एक ऐसी क्रांति जो हमारे बिखरे समाज को, हमारे दोगले समाज को, फिर एक कर सकें l

gandhi jayanti  from black and white to colorful gandhi

भाईचारे की नई मिसाल पेश कर सकें l जीवन में गांधी को उतारना जितना सरल है, उतना कुछ भी नहीं l बस जरुरत है तो दृढ़ संकल्प की।

जानिए आज के दौर की गांधी की कहानी इन छोटी सी चार पंक्तियों में…

“नोटों पर गांधीजी की छाप है

गांधीजी सभी जगह विराजमान है l

कभी इनकी सिर्फ जयंती पर पूछ थी

आज उनका हर जगह सम्मान है l

व्यापारियों के भोजन का निवाला

वहीं हर नेता की गाँधीवादी पहचान है l

लेन-देन की जो है सबसे बड़ी जरुरत

 गली-मोहल्ले में इनकी मूर्ति आम है l

आम हो या ख़ास, सभी का साथी गांधी

आज हर जगह विद्यमान है l

जादू से यह नींद में आ जाते

अब तो सपने में भी गांधी का ही स्थान है l

गांधीजी सभी जगह विराजमान है, गांधीजी सभी जगह विराजमान है…

दोस्तों गांधीजी को नोटों पर उतारकर हमने उन्हें ख़ास तो बना दिया, किंतु आम जिंदगी में उतारकर हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि कब अर्पित करेंगे ?

gandhi jayanti  from black and white to colorful gandhi

एक बार फिर हम गांधी जयंती मनाएंगे, एक बार फिर हम गांधी जयंती पर लंबा चौड़ा भाषण सुनेंगे और सुनायेंगे l

कभी स्टेट्स, तो कभी मैसेज के जरिये, उन्हें याद करेंगे…लेकिन जब उनके आदर्शों को जीवन में उतारने की बारी आएगी l

तो हम अपने कदमों को मीलों पीछे खींच लेंगे l कारण बस एक ही है, उनकी जरुरत सिर्फ नोट पर है हमारे दिल में नहीं l हमारे जीवन में नहीं l

Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।