Mother’s Day Special Exclusive:ममता की मूरत और संकट में विधाता की सूरत है ये ‘मां’

Mother's Day 2021 : इस कलयुग में एक माँ को माँ का दर्जा मिला..या बेटों-बेटियों के स्वार्थ ने सब कुछ छीन लिया

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Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

नई दिल्ली (समयधारा) : देश भर में कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है l

वही इस बीच कोरोना की पहली लहर के बाद अब दूसरी लहर और तीसरी लहर का खौफ सिर पर मंडरा रहा हैl

आज इसी खौफ के बीच कोरोना से हुए एक बड़े फायदे की तरफ हम आपका ध्यान खींचना चाहते है l

मदर डे (Mother’s Day) पर एक माँ के आत्मसम्मान को लेकर जीने के दृढ निश्चय के बारे में बताएँगे 

म कुछ कहें इससे पहले एक छोटी सी दर्दनाक  व संघर्ष से भरी एक वीरांगना की सच्ची कहानी के  बारें में आपको बताते है l

भारतीय समाज की दुर्दशा को बयान करती यह कहानी दिल्ली के एक बहुत प्रगतिशील, भरे-पूरे और पढ़े-लिखे परिवार की सच्ची कहानी है l

यां यूँ कहे कि यह आज लगभग हर परिवार की ही कहानी है l

मुख्य पात्र को छोड़कर इस कहानी के अन्य पात्रों और स्थानों के नाम हम बदल रहे हैं ताकि निजता का सम्मान बरकरार रहें। 

दिल्ली की एक 82 वर्षीय अपंग वृद्ध महिला (कलावती ) का 23 अप्रैल 2021 को उसके अपने घर में सुबह तकरीबन 6.30 से 7.30 के आसपास स्वर्गवास हो गया l

9 बच्चों (2 लड़के – 7 लड़कियों ) की माँ कलावती(Kalawati) की मृत्यु उम्र पूरी होने के बाद सुकूनभरी हुई। 

Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

अब आप सोच रहे होंगे कि कोई भी मौत सुकूनभरी कैसे हो सकती है? हो सकती है!

विशेषकर वर्तमान के हालातों में जब हर दूसरा व्यक्ति कोरोनावायरस जैसी महामारी से दम तोड़ रहा है। 

ऐसे में 82वर्षीय अपंग कलावती को यह महामारी छू भी न सकीं और उन्होंने अपने जीवन के करीब 82 वर्ष पूर्ण करके शांति व सुकून के साथ अंतिम सांस ली।

यह सुकून प्रत्यक्षदर्शियों ने अंत समय में उनके मुख पर साफतौर पर देखा जोकि कोरोना महामारी में वाकई बहुत बड़ी बात है।

कलावती को न सिर्फ कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी से पूरी तरह बचाकर रखा गया बल्कि उन्हें इस कलयुग में आत्मसम्मान से जीने का हक भी मिला

और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह रही उनका आत्मविश्वास और उनकी सबसे छोटी बेटी ‘अवनि’ का दृढ़ निश्चय

“अवनि” ने न सिर्फ अपनी ‘माँ’ की हर ख्वाहिश को पूरा किया बल्कि उन्हें अपनी जिंदगी भी सौंप दी l

पिछले करीब-करीब 20 से 22 सालों से अपनी माँ के साथ अवनि दिल्ली के अलकनंदा क्षेत्र में रह रही है l

कलावती के पति का देहांत 1997 में हो गया था l Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

उसके बाद 2000 तक उसकी सबसे छोटी बेटी अवनि को छोड़ 6 बेटियां शादी कर अपने-अपने घर जा चुकी थी l

वहीं दूसरी ओर, उनका बड़ा बेटा अपनी पत्नी संग हापुड़ में शिफ्ट हो गया था l  छोटा बेटा भी शादी करके अमेरिका में बस गया और पीछे रह गए तो बस कलावती और अवनि l

यहाँ तक तो सब कुछ ठीक था पर मुश्किलों का पहाड़ तो टूटना 2013 में शुरू हुआ l

हैप्पी मदर्स डे

वक्त के साथ कलावती के शरीर ने जवाब देना शुरू कर दिया और उसके घुटनों ने उसे अपाहिज बना दिया l

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जब इंसान अपाहिज होता है तो उसके साथ उसकी जिंदगी लाचार होना शुरू हो जाती है l यही शुरुआत कलावती के जीवन में भी हो गई l

वर्ष 2016-17 में उसकी एकमात्र कुंवारी पुत्री अवनि की सगाई हुई l बस यही एक बात है जो कलावती के लिए मरते दम तक सुकूनभरी रही l

बढ़ती उम्र के कारण कलावती की हालत अचानक 2017 में ज्यादा ख़राब हो गयी और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया l

जब अवनि ने उनके गिरते स्वास्थ्य और इलाज के बारे में अपने सभी 8 भाईयों और बहनों को बताया तो बड़ी बेटी पार्वती को छोड़ लगभग सभी ने अपने हाथ पीछे खींच लियें l

किसी ने भी कलावती के लिए न पैसा, न टाइम देना अपनी जिम्मेदारी समझी l

पर अवनि ने हार नहीं मानी और अपनी शादी व करियर को दांव पर रख कलावती की सेवा में लग गयी l

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नतीजा जब 2018 में डॉक्टर ने माँ के अंतिम वक्त की भविष्यवाणी कर दी और कहा कि दो माह से ज्यादा नहीं बचेगी

तो सही इलाज,खान-पान,रखरखाव और एक्सरसाइज के सहारे अवनि ने अपनी माँ को फिर से ज़िंदा कर समाज के साथ-साथ अपने भाइयों और बहनों के मुंह पर करारा तमाचा मारा l

Happy Mother’s Day

यहाँ वह बेटी की जगह कलावती की माँ बन गयी l Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

और उसके अंत समय तक उसने कलावती को माँ बन कर नहीं बल्कि एक छोटी प्यारी नन्हीं सी बच्ची की तरह रखा और उसे अपनी बेटी बनाकर संभाला l

वैसे भी कहा जाता है कि बुढ़ापे में माता-पिता बच्चा बन जाते है और बच्चे माता-पिता की जिम्मेदारी निभाते है। कलावती के जीवन में यही काम उनकी सबसे छोटी बेटी अवनि ने किया।

कलावती का अंत समय काफी अच्छा व खुशनुमा रहा l उसकी बेटी अवनि ने अपनी मां के स्वास्थ्य और शरीर की जरुरतों के अनुसार, पूर्ण सुविधाजनक एक बड़ा सा कमरा किराये पर अलग से लिया l

Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

जहां उसके लिए 24*7 एक ट्रेंड अटेंडेंट रखी l अटेंडेंट पर नजर रखने के लिए कमरे में कैमरे भी लगवाएं l

इतना ही नहीं 24*7 उसने कलावती को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया l

उसने साफ़ शब्दों में अपने होने वाले ससुराल में कह दिया कि जब तक उसकी माँ स्वस्थ नहीं हो जाती, तब तक वह शादी के लिए सोच भी नहीं सकती l

अगर इंतजार करना है तो कर सकते हो या फिर आप नीरज(अवनि के मंगेतर) की शादी कहीं और करवा सकते है l

पर मुंबई के रहने वाले नीरज ने न सिर्फ अवनि का इंतजार किया बल्कि मां के पालन-पोषण में पूरा साथ भी दिया l अवनि के साथ नीरज ने भी एक बेटे की तरह कलावती का ख्याल रखा l

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इसी वजह से कलावती जोकि 2017/18 में मरणावस्था में पहुँच गयी थी, उसको नया जीवन अवनि और नीरज ने दिया l

जिसमें उसका साथ कलावती की सबसे बड़ी बेटी पार्वती ने भी दिया l

अवनि एक जुझारू,सहासी व अन्याय को न सहने वाली आज की नारी है l

उसने अपनी माँ कलावती के हक़ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मार्च 2019 में अपने सभी गैरजिम्मेदार भाई-बहनों के खिलाफ केस कर दिया l

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यह कलावती और अवनि के लिए काफी मुश्किल फैसला था। लोग बाहर वालों से तो लड़ सकते है पर अपनों से लड़ना काफी मुश्किल होता है l

केस से बौखलाए बड़े भाई और अन्य बहनें अवनि को न सिर्फ मारने आएं  बल्कि उन्होंने अवनि के चरित्र पर भी    लांछन लगाएं ताकि उसकी हिम्मत तोड़ सकें l पर कहते है न ‘सांच को आंच नहीं’ l

अवनि न घबराई, न डरी और न ही टूटी… जिसका नतीजा यह हुआ कि दो और बहनों ने मां के लिए अवनि का साथ दिया l

अब अवनि की लड़ाई जो एक मां के हक और सम्मानजनक जीवन के लिए थी, उसमें अन्य 3 बहनों का भी साथ और हाथ मिल गया l

फिर इन चारों बहनों ने अपनी मां कलावती के हक की लड़ाई लड़ी l 

जिस वजह से कलावती का अंत समय काफी अच्छा बीता l Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

कलावती शायद और ज़िंदा रह जाती अगर वह 12 अप्रैल  2021 को टायलेट से बाहर निकलते समय गिरी न होती l

गिरने की वजह से उनके सीधे हाथ की कोहनी की हड्डी टूट गयी l इसी के साथ वह बुरी तरीके से बिस्तर पर लाचार हो गयी l

पर यहाँ भी कलावती ने हार नहीं मानी l वह जीना चाहती थी l उन्हें प्लास्टर लगाया गया।

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कलावती ने इतने में भी हिम्मत नहीं हारी और अवनि से कहा कि मेरा इलाज जल्द से जल्द करवा l चूंकि मुझे अभी बहुत कुछ करना है l कलावती का इलाज चल रहा था और वह ठीक भी हो रही थी।

कलावती एक बेहद ही दृढ संकल्प वाली मेहनती,आत्मविश्वास से पूर्ण एक मजबूत महिला थी l उन्होंने कभी हार नहीं मानी l न कभी पुराने ज़माने की औरतों वाले दकियानुसी विचार और व्यवहार रखें।

इस माँ ने अपने सम्मानजनक जीवन जीने के हक और अपनी बेटी अवनि की सुरक्षात्मक जिंदगी व उसके त्याग के लिए अपने गैरजिम्मेदार और लालची बेटे-बेटियों के खिलाफ कोर्ट में अवनि का साथ दिया l

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उसने अपने हक़ के लिए भीख नहीं मांगी l बल्कि जो उसका है उसके लिए लड़ाई लड़ी lअपने आत्मसम्मान के लिए 82 की आयु में कोर्ट की लड़ाई लड़ी l

इस लड़ाई में आखिरकार जीत भी कलावती की हुई l एक मां की जीत हुई।

वर्ष 2020 अक्टूबर में कोर्ट में कलावती अपने लालची बेटे-बेटियों के खिलाफ कोर्ट केस जीत गई l यह जीत न सिर्फ कलावती की थी

बल्कि उन जैसी तमाम माँओं की थी जो अपना पूरा जीवन अपनी औलाद को पालने-पोसने में लगा देती है और बदले में सिर्फ प्यार,सम्मान और जीवनयापन का अधिकार चाहती है।

लेकिन जिसके बच्चे बुढ़ापे में उसे प्यार और सम्मान की जगह गालियां, दुत्कार देते है और जीवन जीने का हक भी उससे छीनना चाहते है।

आज की माँ सिर्फ ममता की कठपुतली नहीं, बल्कि अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ने वाली एक वीरांगना नारी है l

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जो अन्याय के खिलाफ लड़ने से कभी घबराती नहीं l ऐसी ही बहादुरी की मिसाल पेश करती सहासी मां कलावती का निधन 23 अप्रैल 2021 को शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी में हो गया।

मृत्यु के बाद भी वह हम सब के सामने एक आदर्श और आधुनिक माँ का उदाहरण रख गई l

उसने समाज की उन कुरूतियों को भी उखाड़ फेंका, जिसमें यह कहा गया है की माँ की चिता को अग्नि बेटा लगाएगा l

अगर बेटे कपूत हो तो यह काम बेटी भी कर सकती है। यह कहना था आदर्श व सहासी मां कलावती का।

इसलिए अपने जीवन के अंतिम दिनों में जब कलावती से इस बारे में पूछा गया कि अंत समय में आपकी चिता को आग तो सिर्फ बेटे ही देंगे l

तो उनका जवाब था कि पुत्र अगर कपूत हो, तो यह काम पुत्री भी कर सकती है और इसलिए मेरी चिता को आग केवल मेरी सबसे छोटी बेटी अवनि ही लगाएगी l

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कलावती की अंतिम इच्छा के अनुरूप अवनि ने न सिर्फ अपनी मां के शव का दाह-संस्कार किया बल्कि पिंड दान से लेकर तेरहवीं तक की सारी क्रिया में उसने एक बेटे से भी बढ़कर सम्मानजनक रूप से उन्हें मुक्ति प्रदान की।

जहां एक ओर, अवनि ने अपनी माँ की अस्थियाँ गंगा में विसर्जित की l तो वहीं पंडितों से शांति पाठ के अलावा ब्रह्म भोज भी करवाया l

यह कार्य कोरोनाकाल में बेहद ही महत्वपूर्ण हो जाता है चूंकि लाखों लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं कर पा रहे फिर चाहे उनकी मृत्यु उम्र पूरी होने के कारण ही क्यों न हुई हो।

कुल मिलाकर कलावती ने अपने अच्छे संस्कार अपनी बेटी को दिये है l

कलावती के अंत समय में उनके चहरे पर एक तेज था l एक नुरू था l यह तेज उनके चरित्र की उज्वलता और आत्मबल का व्याख्यान कर रहा था l

यह सुकून दिखा रहा था कि अपने अंत समय में उनकी आत्मा को शांति मिली है।

वो एक कहावत है न कि ‘एक माँ अकेली नौ-दस बच्चों को पाल सकती है पर नौ-दस बच्चें मिलकर भी एक माँ को नहीं पाल सकते’ l कुछ ऐसा ही आत्मविश्वासी,सहासी और जुझारू मां कलावती के जीवन के साथ भी हुआ था।

लेकिन उनकी परवरिश व संस्कारों की पवित्रता उनकी सबसे छोटी बेटी अवनि और सबसे बडी़ बेटी पार्वती सहित अन्य दोनों बहनों में भी अंत तक बरकरार रही।

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हे ऊपर वाले! कलावती की तरह ही हर माँ का चरित्र हो यही हमारी कामना है l

यहाँ हम एक छोटी सी कविता के माध्यम से कलावती के दर्द को बयां करने की कोशिश कर रहे है l

ताकि इन जैसे कलयुगी बेटे-बेटियों की आत्मा को हम जगा सकें l

उन्हें बता सकें की आज की माँ अपने आत्मसम्मान के लिए कुछ भी कर सकती है l

“ऐ बेटे तूने माँ की ममता के टुकड़े किये 

अंतिम वक्त तूने उसे कई हजारों दर्द दियें l 

जिस माँ ने तुझे 9 महीने पेट में रखा 

उस माँ को तूने 9 मिनट नहीं दिए … l ऐ बेटे तूने माँ की ममता के टुकड़े कियें l 

कर सकता था तू उसके लिए इतना कुछ 

पर तूने सिर्फ जलाएं अपने स्वार्थ के दीये l ऐ बेटे तूने माँ की ममता के टुकड़े कियें l 

डांट रहा था तू उसे उसकी लाचारी पर 

क्यूँ तूने Mother’s Day पर उसकी कसीदें कसें l ऐ बेटे तूने माँ की ममता के टुकड़े कियें l 

जिस माँ ने तेरे सारे सपने जियें  

उसके अरमानों के तूने क़त्ल कियें l ऐ बेटे तूने माँ की ममता के टुकड़े कियें l ” 

Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

लड़ी तू लड़ी माँ तू है सबसे बड़ी

अन्याय किया बेटों ने

तू उनसे भिड़ी, माँ तू है सबसे बड़ी

बेटों के अत्याचारों के खिलाफ

अपनी बेटी की तू ढाल बनी,  माँ तू है सबसे बड़ी

जिसने सोचा, तू है पुरानी कहानी

तू जीती-जागती एक मिसाल बनी, माँ तू है सबसे बड़ी

Mother’s Day Special-True story of mother Kalawati 

( दोस्तों यह सच्ची कहानी आपको कैसी लगी इसके बारे में हमें कॉमेंट्स करके जरुर बताएं – धन्यवाद!)

Reena Arya: रीना आर्य www.samaydhara.com की फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ है। रीना आर्य ने पत्रकारिता के महज 6-7 साल के भीतर ही अपने काम के दम पर न केवल बड़े-बड़े ब्रांड्स में अपनी पहचान बनाई बल्कि तमाम चुनौतियों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए समयधारा.कॉम की नींंव रखी। हर मुद्दे पर अपनी ज्वलंत और बेबाक राय रखने वाली रीना आर्य एक पत्रकार, कंटेंट राइटर,एंकर और एडिटर की भूमिका निभा चुकी है।