महिला आरक्षण – सरकारी जूमला या सच में महिलाओं के हित की है बात

यानी राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस कानून के तहत महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

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नयी दिल्ली (समयधारा) : देश भर में भारतीय जनता पार्टी जश्न मना रही है, कारण साफ़ है उनका कहना है कि वह महिलाओं के हित के लिए सोचती है l

और नारी के हित के लिए ही उसने(बीजेपी) संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) जिसे ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ (Nari Shakti Vandan Adhiniyam) का नाम दिया है उसे उसने पास करवा दिया l 

यानी राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस कानून के तहत महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पास मोदी ने दिया धन्यवाद

इस विधेयक को विपक्षी पार्टियों का भी भरपूर समर्थन मिला। इसे कांग्रेस, सपा, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों का समर्थन मिला।

भले ही विपक्ष ने इस बिल पर अपना समर्थन दे दिया है, लेकिन कुछ एक मद्दों को लेकर, वो विरोध करता भी दिखाई दे रहा है।

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साथ ही कई पार्टियों ने महिला आरक्षण से जुड़े विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ करार दिया और इसके समय को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है,

पहले जान लेते है इस विल की खासियत और कमी 

  • महिला आरक्षण के लागू होने की राह में अब भी दो रुकावटे हैं- पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन। विधेयक के अनुसार, नई जनगणना के बाद परिसीमन होगा, उसके बाद महिला आरक्ष लागू किया जाएगा। इससे साफ होता है कि महिला आरक्षण प्रावधान 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही लागू हो पाएगा।

महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पास, राज्यसभा में आज चर्चा, बिल के पक्ष में 454 विपक्ष में 2 वोट 

  • विपक्ष को एक सबसे बड़ा ऐतराज ये भी है कि महिला आरक्षण के लिए 15 साल का समय ही क्यों सीमित रखा गया है। क्योंकि इसमें कहा गया है कि आरक्षण शुरू होने के 15 साल बाद प्रावधान प्रभावी होना बंद हो जाएंगे।
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  • बिल के अनुसार, हर एक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।
  • नारी शक्ति वंदन विधेयक में ये भी कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में SC/ST आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

यह है इस बिल की कुछ बातें वाद-विवाद तो चलता रहेगा l पर कुछ सवाल ऐसे है जिनका जवाब जानना जरुरी है…

महिला आरक्षण बिल – विपक्ष साथ पर क्यों हो रहा है विवाद..? जानें 33% आरक्षण की सभी बातें

  • क्या सच में यह विधेयक भारतीय महिलाओं के लिए एक मिल का पत्थर साबित होगा..?
  • क्या सत्ताधारी सरकार इस बिल से अपने वोट बैंक को तो नहीं साध रही ..?
  • क्या सच में 33 फीसदी आरक्षण से सब कुछ बदल जाएगा…?
  • क्या महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन नजर आयेगा..?
  • संसद में महिलाओं के आरक्षण से देश की सभी महिलाओं को किस तरह से फायदा होगा..?

हमनें बेहद ही सटीकता से इस विधेयक के सभी पहलुओं पर गौर किया और इन सब सवालों सहित कई और सवालों के जवाब तलाशने की एक कोशिश की l

चलियें जानते है हमें इस बिल के पास होने से इस समय क्या-क्या मिला l अब आप कहेंगे की इस समय क्यों..?

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क्योंकि यह बिल आज पास हुआ है तो इसका नफा नुकसान आज ही आंका जाएगा ना l

भविष्य हमने देखा नहीं है और कल कौन सी सरकार कब क्या फैसला ले इस पर भी अभी संसय है.. ?

तो आज की स्थिति में इस बिल के पास होने से इसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होगा..?

बीजेपी ने इस बिल को पास कर 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए एक मास्टर स्ट्रोक खेला है l

उसके इस कदम से  वह देश की महिलाओं को यह बताने में कामयाब रही कि वह उनके हित के बारें में सोचते है l

वह इस बिल को आज पास करवा कर यह सन्देश विश्व सहित पुरे भारत में पहुंचाएगी की उनकी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं के हित के लिए ही सोचते है l

2024 में देश की महिलाएं सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी जो महिलाओं की पार्टी है उन्हें वोट दे l

और जनता इसके विरोध में वोट दे ऐसा होना संभव नहीं दिख रहा क्योंकि जो दिखता है वो ही बिकता है l भारतीय जनता पार्टी यह दिखा रही है…

विडम्बना यह है कि इस बिल के पास होने से आज महिलाओं को क्या मिला इसका जवाब किसी भी महिला के पास नहीं है..?

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यह कानून 2029 के लोकसभा चुनाव के पहले लागू नहीं होगा तो महिलाओं को आज क्या मिला…?

विपक्ष का यह आरोप की जुमलों के इस मौसम में ये सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। तो क्या यह सत्य नहीं है l

आँख बंद कर लेने से अन्धेरा नहीं होता, मोदी जी के कई ऐसे वादें है जो सिर्फ वादें ही रह गए इसलिए लोग उन्हें जुमलों का सरदार भी कहते है l

महिलाओं के हित के बारें में सोचने वाले नेता चाहे वो पक्ष हो या विपक्ष..? सिर्फ और सिर्फ पहले वह अपना हित फिर पार्टी का हित सोचते है..?

महिलाओं के हित के बारें में अगर यह सोचते तो आज देश में यह कानून कभी का लागू हो गया होता l

जो पहले पक्ष में था अब वह विपक्ष में है और जो विपक्ष में था वह पक्ष में..?

स्थिति आज भी जिसकी नहीं बदली वह है हमारे देश की महिलायें..! वह पहले भी वही थी जहाँ आज है…

बदलाव लाने वाले इस कानून का उसे आज फायदा नहीं हो रहा है. पर हाँ जश्न जरुर आज मनाया जा रहा है l

यह तो वही बात हुई ना की मैं लोगों को बच्चा पैदा होने से पहले या शादी होने से पहले ही मिठाई बाँट रहा हूँ..?

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खुशियाँ को मनाना गलत नहीं है पर वक्त से पहले लोगों को धोखें में रखकर बेवकूफ बनाना गलत है l

हमने अपनी वेबसाइट पर एक सुविचार डाला था जिसमें लिखा था की अगर “आप किसी का अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी मत करों

इस समय महिलाओं को जश्न की तस्वीरें और यादें देकर उनके सपनोँ को आकार देकर उनके साथ बहुत ही गलत कर रहे है l

वास्तविक स्थिति यानी आज पर अगर जश्न मनाया जाएँ तो गलत नहीं, अगर भारत विश्वकप जितने से पहले ही जश्न मनाने लगे तो क्या यह सही होगा…?

हमारे प्रधानमंत्री बेहद ही दूरदृष्टि वाले है उन्होंने वादों के पिटारों से एक और नया वादा निकालकर अभी अपनी स्थिति को काफी मजबूत कर लिया है,

पर क्या विपक्ष के आक्रमक होते वार से वह इस स्थिति पर ज्यादा दिन टिक सकते हैl

आप किसे भी एक बार बेवकूफ बना सकते हो दो बार बेवकूफ बना सकते हो पर बार-बार नहीं l

सत्य हमेशा सत्य ही रहेगा और इस बिल का सत्य यह है कि यह 2029 में लागू होगा..?

वह भी तब जब सब स्थितियां बराबर रही जिसकी उम्मीद कम ही हैl

कोई करिश्मा ही इस बिल को लागू करवाएगा विपक्ष के इस पर बौखलाना बेहद ही लाजिम है,

पर आने वाले चुनाव-सत्ता की मज़बूरी में उसने इस बिल का समर्थन कर इसे पास करवा दिया l

यहाँ विपक्ष भी गलत है जो मुद्दे वह संसद के बाहर उठा रहा है उसे संसद के अन्दर उठाकर इस बिल को पास नहीं होने देना था l

पर बीजेपी के इस (महिला आरक्षण बिल) ‘ब्रह्मास्त्र’ के आगे उनके पास एक तरफ कुआं तो दूसरी और खाई वाले हालात बन गए थे l

अगर विरोध करतें तो महिलाओं के खिलाफ वह खड़े नजर आतें और समर्थन करने पर वह बीजेपी के इस वार में फंस गए l

अब विपक्ष के पास संसद के बाहर बयानबाजी और तर्क देने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है l

दोस्तों राजनीति में जहाँ हमारी सोच खत्म होती है वहां से नेताओं की सोच शुरू होती है..

बस आप और हम तमाशा देखते रहे और अच्छे दिन आयेंगे का नारा बुलंद कर एक उम्मीद के साथ जिन्दगी आगे बढ़ाते रहे l

महिलाओं के सम्मान में फिर एक बिल आया 

 महिलाओं के उत्थान का नया फार्मूला बनवाया

आरक्षण से स्थिति को बदलने का विश्वास दिलाया 

इसके पीछे वोट की राजनीति है यह नहीं बतलाया 

भविष्य में होगा भविष्य उज्जवल ऐसा वादा है पाया 

 इन नेताओं ने एक बार फिर हमें है बहलाया 

बातों में आ जायेगे यह भरोसा नेताओं का नहीं डगमगाया 

हम फिर वही खड़े रह जायेंगे… सब खोकर, न कुछ हमने पाया

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हमारे इस लेख में आपको कुछ और कहना है या कुछ छुट गया हो तो हमें जरुर मेल कर अपनी राय से अवगत कराएँ हमारा ईमेल आईडी है Contact@samaydhara.com, धन्यवाद l

Dharmesh Jain: धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।