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2014 में मोदी ने जिसका किया विरोध, सत्ता में आते ही बजाई उसकी ढ़ोल!

अब पुन: लोकसभा चुनाव 2019 होने वाले है और मोदी सरकार फिर से अपने वादों का संकल्प पत्र जारी करने वाली है

नई दिल्ली, 8 अप्रैल: Hindi opinion on BJP 2019 LS polls manifesto Vs BJP 2014 manifesto Modi on 100percent FDI retail– लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) का पहला चरण शुरू होने में अब महज चार दिन ही बाकी है। कांग्रेस अपना चुनावी घोषणापत्र रिलीज कर चुकी है और मोदी नित भाजपा भी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अब अपना संकल्प पत्र आज जारी कर सकती है।

पिछले पांच साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है और विपक्ष की भूमिका में है। ऐसे में देश की जनता के लिए ये जानना जरूरी है कि सत्तारूढ़ दल  यानि भाजपा ने 2014 के अपने चुनावी घोषणापत्र (BJP 2014 manifesto) में किए गए कितने वादों को इन पांच साल में निभाया और कितने वादों से वो मुकर गई। कांग्रेस के 2019 के लोकसभा चुनावी घोषणापत्र में न्याय योजना (NYAY) के तहत अति गरीबों के खाते में 72,000 रुपये सलाना के वादे को प्रधानमंत्री मोदी ने एक ढकोसला वादा करार दिया है और कहा है कि ये कांग्रेस का बस एक झूठा चुनावी वादा है।

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खैर, अब ये तो वक्त और जनता ही तय करेगी कि क्या सच्चा है और क्या झूठा, लेकिन यहां ये जानना जरूरी है कि क्या खुद पीएम मोदी जी ने 2014 के अपने घोषणापत्र (BJP 2014 manifesto) में जिन बातों का वादा किया था, उन्हें वैसा ही पूरा किया?

क्या उन्होंने पांच साल पहले जनता से कोई झूठ नहीं बोला था?

वैसे तो भाजपा ने 2014 के अपने चुनावी घोषणापत्र (BJP 2014 manifesto) में बहुत से वादे किए थे। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई (100percent FDI in single brand retail) का प्रखर विरोध किया था और कहा था कि कांग्रेस सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानि एफडीआई (FDI) करके देश को विदेशी कंपनियों के हाथ बेच रही है, लेकिन भाजपा ऐसा नहीं करेगी और 2014 के अपने चुनावी घोषणापत्र में भी मोदी नित भाजपा ने रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई (100percent FDI in single brand retail) का विरोध किया था और कहा था कि वे खुदरा व्यापार में एफडीआई का समर्थन नहीं करेगी और देश की रक्षा, विमान, ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार से जुड़े सौदों में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का समर्थन नहीं करेगी।

नीचे देखें भाजपा के 2014 के चुनावी घोषणापत्र का एफडीआई (100percent FDI in single brand retail) को लेकर किया वादा:

Loksabha Election 2019: BJP 2014 manifesto status check- Modi cabinet U-turn 100percent FDI in single brand retail and air India shows double standard

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Loksabha Election 2019: BJP 2014 manifesto status check- Modi cabinet U-turn 100percent FDI in single brand retail and air India shows double standard

भाजपा ने सत्ता में आने पर क्या किया?- 2014 में देश की जनता ने भारी बहुमत से नरेंद्र मोदी के नाम और वादों पर भरोसा करके उन्हें सत्ता की कुर्सी पर काबिज किया।

सत्ता में आने के बाद 10 जनवरी 2018 को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग करके सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (100percent FDI in single brand retail) यानि एफडीआई (FDI) को मंजूरी दे दी।

जी हां, विपक्ष में रहते हुए भाजपा और खुद मोदी रिटेल में जिस 100 फीसदी एफडीआई के प्रखर विरोधी रहे थे ,उन्होंने सबसे पहला यूटर्न अपने उसी चुनावी घोषणापत्र और वादे पर लिया और सिंगल ब्रांड रिटेल में ऑटोमैटिक रूट के द्वारा 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी।

इतना ही नहीं, एयर इंडिया में भी मोदी कैबिनेट ने 49 फीसदी हिस्सेदारी लेने के लिए विदेशी कंपनियों को मंजूरी दे दी। ये मोदी सरकार का एक और बड़ा वादा था जिसपर उन्होंने जनता से झूठ बोला था। चूंकि विपक्ष में रहते हुए भाजपा और 2014 से पहले बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा,विमान सौदों और खुदरा व्यापार में 100 फीसदी एफडीआई करने के कांग्रेस सरकार के फैसले का प्रखर विरोध किया था, लेकिन वहीं नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को मंजूरी दे दी। बल्कि देखा जाए तो कांग्रेस के समय से भी ज्यादा अधिकार मोदी ने विदेशी कंपनियों को दे दिए। 

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क्या थी कांग्रेस की खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश नीति (FDI) ?

कांग्रेस ने खुदरा या रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अपनी नीति के तहत 30 फीसदी कच्चे माल को देश से ही खरीदने की विदेशी कंपनियों को बाध्यता दी थी, लेकिन 10 जनवरी 2018 में पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस नियम में ढ़िलाई बरतते हुए विदेशी कंपनियों के लिए इस 30 फीसदी बाध्यता को भी खत्म कर दिया।

कांग्रेस की एफडीआई नीति (FDI) के अंतर्गत सिंगल ब्रांड रिटेल व्यापार में ऑटोमैटिक रूट से 49 फीसदी का विदेशी निवेश और इससे ज्यादा का निवेश 100 फीसदी तक करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी थी।

मोदी की सिंगल ब्रांड रिटेल में एफडीआई नीति- मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही रिटेल में एफडीआई नीति ((100percent FDI in single brand retail) में जो बहुत बड़ा यूटर्न लिया वो ये था कि उन्होंने यूपीए सरकार द्वारा लाई गई 30 फीसदी की स्थानीय खरीदारी की विदेशी कंपनियों पर बाध्यता को भी पूरी तरह खत्म कर दिया और इसके कारण अब विदेशी कंपनियां सिंगल ब्रांड रिटेल में बिना सरकारी मंजूरी के भारत में अपना स्टोर खोल सकती है यानि जहां पहले विदेशी निवेश रिटेल में 49 फीसदी ऑटोमैटिक था वही मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही 100 फीसदी कर दिया।

उस समय कांग्रेस ने इसका प्रखर विरोध करते हुए इसे मोदी की कथनी और करनी और दोमुंहेपन की निशानी करार दिया था। कांग्रेस ने रिटेल में मोदी द्वारा 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दिए जाने के फैसले को लेकर कहा था कि इस यूटर्न से साफ हो गया है कि मोदी सरकार केवल मेक इन इंडिया की बात करती है लेकिन जो नियम देश की भलाई के लिए बनाए गए थे उनमें उन्होंने खुद ही ढ़ील दे दी।

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इतना ही नहीं, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिंह ने भी इसे देश के छोटे कारोबारियों और खुदरा व्यापार के लिए घातक कदम बताया था और कहा था कि रिटेल में 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी भाजपा का यूटर्न या दूसरे शब्दों में कहे तो अपनी बात से मुकर जाना है।

सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी के मोदी सरकार के फैसले पर सीएआईटी यानि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने भारी विरोध जताया था और एक बयान जारी कर कहा था कि सरकार द्वारा सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी का सीएआईटी विरोध करती है चूंकि इससे रिटेल क्षेत्र में MNC कंपनियां आसानी से आ जाएंगी और भाजपा ने अपने चुनावी वादे का भी उल्लंघन किया है। 

ANI

@ANI

The Confederation of All India Traders (CAIT) strongly opposes move to allow 100% FDI in single brand retail through automatic route as it will facilitate easy entry of MNCs in retail trade of India and will also violate poll promise of BJP: Statement

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जैसा कि हमने देखा भी आगे चलकर मल्टी ब्रांड रिटेल में वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट की डील इसका ताजा उदाहरण है।

अब पुन: लोकसभा चुनाव 2019 होने वाले है और मोदी सरकार फिर से अपने वादों का संकल्प पत्र जारी करने वाली है। कांग्रेस के घोषणापत्र को झूठा करार देने वाली सत्तारूढ़ पार्टी क्या रिटेल में एफडीआई को 100 फीसदी मंजूरी देकर और एयर इंडिया की 49फीसदी हिस्सेदारी विदेशी कंपनियों को देकर झूठी साबित नहीं हो चुकी है? आर्थिक सुधार के नाम पर मोदी ने वही किया जो कांग्रेस अपने समय कर रही थी। फिर कांग्रेस गद्दार और भाजपा देशभक्त कैसे हो गई? 

Loksabha Election 2019: BJP 2014 manifesto status check- Modi cabinet U-turn 100percent FDI in single brand retail and air India shows double standard

एफडीआई को लेकर 2013 में प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा था कि डिफेंस में एफडीआई राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ और खतरा है। उन्होंने कहा था कि “टेलिकॉम और डिफेंस में विदेशी निवेश से सुरक्षा को खतरा हो सकता है और इसके अंतर्गत लेेटेस्ट टेक्नीक मिलने की गारंटी भी नहीं”

हैरत है भाजपा और मोदी ने जब खुद रक्षा,विमानन और ई-कॉमर्स के एरिया में 100 फीसदी एफ़डीआई को मंजूरी दी तो उन्हें इस कथित राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा नज़र नहीं आय़ा और न ही अंधभक्त मीडिया ने इस पर कोई सवाल ही उठाया।

एफडीआई को लेकर खुद मोदी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किए वादे का उल्लंघन किया लेकिन बिकाऊ मीडिया और अंधभक्तों को तब ये बात देश को विदेशी हाथों में बेचने सरीखी नहीं लगी,लेकिन जब यूपीए ने यहीं काम किया था तो मोदी और भाजपा ने इसे आर्थिक सुधार न मानकर विदेशी हाथों में देश को बेचने की बात लोगों के जेहन में डालकर क्या जनता को गुमराह नहीं किया?

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दिसंबर 2012 में अपने एक ट्वीट में मोदी ने लिखा था कि ”  कांग्रेस विदेशियों को राष्ट्र सौंप रही है। ज्यादातर दलों ने एफडीआई का विरोध किया है लेकिन सीबीआई के डर के कारण उन्होंने वोटिंग नहीं की और कांग्रेस पिछले दरवाजे से जीत गई”

क्या ऐसे प्रधानमंत्री उर्फ चौकीदार पर हमें भरोसा करना चाहिए? जो विपक्ष रहते हुए जिस बात का विरोध करते है और सत्ता की चाबी हाथ आते ही खुद वही करते है। सोचिएगा जरूर।

एफडीआई पर मोदी का यूटर्न कुछ ऐसा ही है विपक्ष में रहते जिसका किया विरोध सत्ता में आते ही उसकी ही बजाई ढ़ोल।

चूंकि ये लोकसभा चुनाव सत्ताधारी दल के कामकाज की परीक्षा लेने वाले होते है। विपक्ष तो पहले ही अपनी कलई पांच साल पहले खोल चुका था, तभी वो सत्तापक्ष से विपक्ष बना, लेकिन 2014 से पहले जो भाजपा विपक्ष थी जब वो सत्ता में आई तो कितना अपने वादों को अमलीजामा पहना पाई? ये जानना जनता के लिए जरूरी है।

हमें यह भी समझना होगा कि मोदी ने विपक्ष में रहते हुए जिन बातों का राष्ट्रवाद के नाम पर विरोध किया, सत्ता में आकर खुद कांग्रेस ने उन्हीं पद्चिन्हों पर वे चल दिए।

फिर मोदी देशभक्त और विपक्ष गद्दार कैसे हुआ? क्या सत्ता पाने के लिए खुद मोदी ने देश की जनता के जज्बातों के साथ नहीं खेला?

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सोचिएगा जरूर। चूंकि मुख्यधारा का मीडिया तो जनता की जिंदगी से जुड़े सवालों पर मोदी सरकार का पांच साल का रिपोर्ट कार्ड सही तरह से दिखाने से रहा। फिर चाहे रिटेल में एफडीआई, जीएसटी और अफस्पा को खत्म करने को लेकर मोदी का वहीं स्टैंड क्यों न रहा हो जो कांग्रेस का है।

मोदी सरकार ने अपने पांच साल पहले के चुनावी घोषणापत्र में किन बातों पर यूटर्न लिया या जनता से झूठ बोला…ऐसे ही अन्य वादों का रियलिटी चेक लेकर हम जल्दी ही आपके समक्ष फिर आएंगे।

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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