“पहलगाम की चीख: क्यों तेरा ज़मीर अब भी सोया है?”

पहलगाम के आतंकी हमले पर सुंदर और दिल को छू लेने वाली कुछ पंक्तियाँ हमारे पाठकों के लिए

Pahalgam Ki Cheekh 

Pahalgam Ki Cheekh 

पहलगाम के आतंकी हमले पर पूरे देश में शोक की लहर थी l वही कई लोगों को पहलगाम की घटना ने हिला कर रख दिया थाl 

कुछ सवाल जो पहलगाम की घटना में बाकी रह गए थे शायद इन पक्तियों के माध्यम से वह सवाल जीवित हो उठे हो l  

क्यों तेरा जमीर न जागा..?

  • पूछने से पहले धर्म कौन सा, क्या था खतरा ए काफिर उनसे,   क्यों तेरा जमीर न जागा ..?
  • छलनी-छलनी कर रहा था जब तू जन्नत का दर्रा-दर्रा, तब भी… क्यों तेरा जमीर न जागा..?
  • रोते-बिलखते उन लाचारों के, उस भयावह मंजर को देख भी… क्यों तेरा जमीर न जागा..?
  • मासूमों के तडपने की… वह दिल दहलाने वाली कराह से भी… क्यों तेरा जमीर न जागा ..?
  • कह रहा था… उस जन्नत का हर कौना-कौना, बेरहम माँ हूँ तेरी मत कर छलनी सीना मेरा..!!
  • फिर भी क्यों तेरा जमीर न जागा..? क्यों तेरा जमीर न जागा
  • मिटटी में मिलने वाले, इस वजूद पर फक्र करने वाले, क्यों तेरा जमीर न जागा ..?
  • फिर रहा है, इन काफिरों के, बहकावे में भागा-भागा बता,  क्यों तेरा जमीर न जागा  ..?
  • जन्नत नहीं तुझे जहन्नुम पहुंचाएंगे… जब तेरे कर्मा..!!
  • खुद से पूछेगा तब तू..?  क्यों मेंरा जमीर न जागा.. उस वक्त… क्यों मेरा जमीर न जागा…? 

दोस्तों आप को यह पंक्तियाँ कैसी लगी कमेंट्स कर जरुर बताएं या हमें ईमेल (contact@samaydhara.com) करें l 

Pahalgam Ki Cheekh 

Dharmesh Jain: धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।