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Special Story:बुजुर्गों को आत्मसम्मान से जीना सीखा रही है डिग्निटी फाउंडेशन संस्था,’वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे ‘पर लोगों को किया जागरुक

जब आपके घर के बुजुर्ग या कोई युवा भी अक्सर छोटी-छोटी बातें भूलने लगते है,चिड़चिड़े हो जाते है,अपनों पर ही शक करने लगते है,अपनी दैनिक कार्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाते है, उन्हें ठीक से बोलने या अपनी समस्या दूसरों को समझाने में दिक्कत आने लगती है,ज्यादा गुस्सा आने लगता है या फिर अचानक से उदासी और अकेलापन लगते लगता है, आंखों की रोशनी कम होने लगती है, मूड स्विंग्स,थकान-कमजोरी या फिर चरित्र में बदलाव होने लगते है,यह लक्षण दिखने लगे तो समझ जाएं कि संभवत: उन्हें अल्जाइमर रोग हो गया है।

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हमारे देश,समाज और परिवार की रीढ़ होते है- बुजुर्ग। उनके मूल्य,उनका मार्गदर्शन ही किसी भी परिवार,समाज और देश के युवाओं के व्यक्तित्व की नींव बनता है लेकिन बदलते वक्त के साथ बुजुर्ग जब अपने सोचने-समझने की शक्ति खोने लगते है।

अपनी दैनिक जरुरतों के लिए अपने ही बच्चों पर आश्रित होने लगते है,तब समस्या खड़ी होती है उस बुजुर्ग रूपी पेड़ को संभालने की जिसकी शाखाओं पर बच्चे रूपी पत्तों ने अपना जीवन को जीना सीखा।

बुढ़ापे में यूं तो शरीर कई प्रकार की मानसिक और शारीरिक बीमारियों से ग्रस्ति हो जाता है,लेकिन भारत सहित विश्वभर में बुजुर्गों में जिस मानसिक विकार की अधिकता पाई जाती है-वह है अल्जाइमर(Alzheimer)

अल्जाइमर क्या है-लक्षण-कारण

हालांकि प्रतिस्पर्धात्मक जीवन, एकाकीपन और अवसाद ने आज अल्जाइमर को सिर्फ बुजुर्गोे की बीमारी नहीं रहने दिया है बल्कि अब यह 30-50 तक के प्रौढ़ युवाओं में भी सामान्य रूप से देखने को मिल रही है।

आज समयधारा न्यूज पोर्टल की छठीं वर्षगांठ, 10 अक्टूबर 2022(Samaydhara-6th-anniversary)के शुभ अवसर पर हम आपके लिए हमारे-आपके परिवार से जुड़े बुजुर्गों और उनकी सेवा में निरंतर प्रयासरत समाज के कुछ चुनिंदा लोगों और संस्थाओं के योगदान के विषय में स्पेशल स्टोरी लाएं(Special-Story-on-Samaydhara-6th-Anniversary)है।

समयधारा छठीं वर्षगांठ

जिनके विषय में आपको पता होना चाहिए ताकि आप भी समय रहते अपने प्रियजनों को उनके दुश्वार हालातों से बाहर निकाल सकें या फिर आप अगर खुद अल्जाइमर या डिमेंशिया सरीखे मानसिक विकारों से ग्रस्त है तो समय रहते उपचार का लाभ उठा सकें।

चूंकि समयधारा.कॉम(Samaydhara.com)की संस्थापिका/डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ रीना आर्य जी(Reena Arya-Founder/Director/Editor-in-chief) ने स्वंय अपनी माता जी स्वर्गीय श्रीमति कलावती(Late Mrs. Kalawati)जी को एफटीपी डिमेंशिया(FTP Dementia)से ग्रस्त होने पर न केवल सम्मानजनक जीवन दिया, बल्कि उचित देखभाल,प्यार-समर्पण और बेहतरीन इलाज के सहारे उनके जीवन के अंतिम वर्षों को खुशियों और सम्मान से भर दिया।

रीना आर्य अपनी माता जी स्वर्गीय कलावती जी के साथ

जिसकी बदौलत स्वर्गीय श्रीमति कलावती जी, डॉक्टर्स द्वारा लिखित में दो से तीन महीने के अंतर्गत मृत्यु भविष्यवाणी प्राप्त करने के बावजूद भी हंसी-खुशी और सम्मान के साथ तीन साल और ज्यादा जिंदा रही।

जिससे साबित होता है कि उचित देखभाल,सम्मानजनक जीवन और बेहतरीन इलाज और खुराक के सहारे हम हमारे वरिष्ठ नागरिकों और बुजुर्गों को न केवल खुशनुमा,स्वस्थ्य जीवन दे सकते है बल्कि उनकी जिंदगी के कुछ और साल बढ़ा सकते है।

जब आपके घर के बुजुर्ग या कोई युवा भी अक्सर छोटी-छोटी बातें भूलने लगते है,चिड़चिड़े हो जाते है,अपनों पर ही शक करने लगते है,अपनी दैनिक कार्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाते है,

उन्हें ठीक से बोलने या अपनी समस्या दूसरों को समझाने में दिक्कत आने लगती है,ज्यादा गुस्सा आने लगता है या फिर अचानक से उदासी और अकेलापन लगते लगता है,

आंखों की रोशनी कम होने लगती है, मूड स्विंग्स,थकान-कमजोरी या फिर चरित्र में बदलाव होने लगते है,यह लक्षण दिखने लगे तो समझ जाएं कि संभवत: उन्हें अल्जाइमर रोग हो गया है।

जिसकी उपचार के सहारे रोकथाम हो सकती है।

अल्जाइमर एक मानसिक विकार या न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर है,जिसे अक्सर पढ़े-लिखे लोग भी सठियाना बोलते है,जोकि सरासर गलत है।

हमारे दिमाग के सोचने,समझने की शक्ति,याद रखने या तर्क देने वाले सेल्स व कोशिकाएं जब सिकुड़ने लगती है तो अल्जाइमर की समस्या होने लगती है।

अल्जाइमर रोग का एक लक्षण डिमेंशिया भी है। जिसके बार में हम आगे विस्तार से बात करेंगे।

अल्जाइमर के कारण व्यक्ति द्वारा चीजों को याद रखने की क्षमता प्रभावित होती है। वह भूलने लगता है। उसे बोलने,सोचने-समझने,चीजों को याद रखने, दैनिक कार्यों को पूरा करने और व्यवहार में दिक्कत आने लगती है।

ऐसे में जागरुकता की कमी के कारण परिजन अपने बुजुर्गों में हो रहे,इन बदलावों को लेकर सहज नहीं हो पाते और इसे बुढ़ापे में सठियाना,समझकर उन्हें उनके हालातों पर छोड़ देते है।

जबकि यही उन्हें सबसे पहले आगे आकरअपने बुजुर्ग या फिर अल्जाइमर से ग्रस्त प्रियजन की मदद करनी चाहिए,लेकिन इस बीमारी की जानकारी न होने के कारण वह जाने-अनजाने अल्जाइमर से ग्रस्त इंसान को उसके हाल पर छोड़ने पर विवश हो जाते है।

इसी कारण विश्वभर में 21 सितंबर का दिन ‘वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे'(World Alzheimer’s Day)के नाम से मनाया जाता है।

डिग्निटी फाउंडेशन द्वारा वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे समारोह पर लेख

अल्जाइमर के मुख्य कारण है- हाई ब्लड प्रेशर,डायबिटीज,स्मोकिंग,कोलेस्ट्रॉल,हाइपर कोलेस्ट्रोलेमिया,सिर पर चोट लगना,दुर्घटना होना और आनुवांशिक कारण। 

अल्जाइमर(Alzheimer)जहां एक मानसिक बीमारी है,तो वहीं डिमेंशिया कोई विशेष बीमारी नहीं बल्कि कई बड़े से लक्षणों का समूह है।

डिमेंशिया(Dementia)सिर्फ भूलने की बीमारी नहीं बल्कि अल्जाइमर सहित कई अन्य कारणों के कारण होने वाला एक लक्षण डिमेंंशिया भी है।

इसे आप यूं समझ सकते है। जैसे बुखार एक लक्षण है लेकिन इसके होने के कई कारण हो सकते है। बुखार आपको मलेरिया के कारण भी हो सकता है, निमोनिया के कारण भी,किसी वैक्सीन के कारण या फिर इंफेक्शन,डेंगू,फ्लू या मौसम में बदलाव के कारण भी।

ठीक इसी प्रकार डिमेंशिया कई बड़े लक्षणों का एक समूह है जोकि अल्जाइमर नामक बीमारी के कारण भी हो सकता है और कई अन्य बीमारियों के कारण भी यह मानसिक विकार हो सकता है।

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अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या फर्क है?-Difference Between Alzheimer and Dementia

 

डिमेंशिया में मरीज को नई बातें याद रखने में परेशानी होती है, तर्क समझ नहीं आते, लोगों पर शक करने लगते है, मेल-जोल में झिझकने लगते है,दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते,चीजें भूलने लगते है,अपने इमोेशन्स को ठीक से संभाल नहीं पाते,बोलने और सोचने में दिक्कत आने लगती है और पर्सनैलिटी में बदलाव आ जाता है इत्यादि।

इस प्रकार के सभी लक्षण मस्तिष्क में हानि के कारण होते है और डिमेंशिया से ग्रस्त मरीज के लिए जिंदगी जीना दुश्वार हो जाता है। वह खुद के लिए और अपने साथ रहने वाले के लिए बड़ी समस्या बन जाता है।

हालांकि ध्यान देने योग्य बात यह है कि जरुरी नहीं कि डिमेंशिया से ग्रस्त मरीज की याददाश्त खराब ही हो बल्कि कई लोगों में मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर भी देखने को मिलते है।

उन्हें झूठ बोलने, बातचीत करने, हाल की चीजों और लोगों को याद रखने, मन में भ्रम बढ़ने की स्थिति पैदा हो जाती है। यह सभी लक्षण डिमेंशिया के मरीज में देखने को मिलते है।

कई बार मरीज में सिर्फ चाल और संतुलन में दिक्कत,बोलने में परेशानी या फिर कई अन्य लक्षण देखने को मिलता और याददाश्त ठीक रहती है।

दरअसल, डिमेंशिया(Dementia),जिसे मनोभ्रंश भी कहतै है, बीमारी के लक्षण कई अन्य रोगों के कारण हो सकते है। जैसे कि- अल्ज़ाइमर रोग, लुई बॉडीज वाला डिमेंशिया, वास्कुलर डिमेंशिया (नाड़ी सम्बंधित/ संवहनी मनोभ्रंश),फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, पार्किन्सन, आदि।

अक्सर कई लोग और मीडिया पब्लिकेशन्स भी अल्जाइमर और डिमेंशिया को एक ही बीमारी के दो अलग नाम से जोड़कर देखते है या फिर कई लोग अल्जाइमर से और आगे की अवस्था को डिमेंशिया समझते है या फिर दोनों को दो अलग-अलग बीमारी(Difference Between Dementia and Alzheimer)समझते है।

जबकि ये तीनों ही दावे गलत और भ्रामक है।

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डिमेंशिया किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं है बल्कि कई लक्षणों का समूह है। ये लक्षण है- याददाश्त कमजोर होना,बातचीत में दिक्कत होना,योजना बनाने और निर्णय लेने में दिक्कत होना,दैनिक कार्यो में दिक्कत होना, अपने आसपास के लोगों पर शक करना इत्यादि।

इसलिए डिमेंशिया कई बड़े लक्षणों का समूह है,जिसका कारण कई अन्य बीमारियां हो सकती है और उनमें सर्व प्रमुख मानसिक बीमारी है-अल्जाइमर।

कई अन्य बीमारियां भी इसका कारण है जैसेकि कि लुई बॉडीज वाला डिमेंशिया, वास्कुलर डिमेंशिया (नाड़ी सम्बंधित/ संवहनी मनोभ्रंश),फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, पार्किन्सन,इत्यादि।

जैसेकि पार्किन्सन के मरीजों में डिमेंशिया के लक्षण भी नजर आ सकते है। कई अन्य बीमारियों में भी डिमेंशिया के लक्षण दिख सकते है। जैसेकि किसी को अल्जामर भी हो सकता है और नाड़ी संबंधी डिमेंशिया भी हो सकता है,जिसे मिक्स डिमेंशिया कहते है।

मान लीजिए किसी को अल्जामर मनोरोग है तो उसे हम कह सकते है कि इसे डिमेंशिया भी है और अल्जाइमर भी। लेकिन वहीं किसी को लुई बॉडीज डिमेंशिया है और अल्जाइमर नहीं है तब उसे कहेंगे कि इस मरीज को डिमेंशिया या लुई बॉडीज डिमेंशिया है। उसे अल्जाइमर नहीं कहेंगे।

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भारत में भी कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं लोगों को अल्जाइमर और डिमेंशिया सरीखी मनोविकारों के बारे में जागरुक करने के उद्देश्य से ‘वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे’ मनाती है।

इन्हीं मे से एक संस्था है डिग्निटी फाउंडेशन(Special Story-World-Alzheimers-Day-2022-celebration-by-Dignity-Foundation)

अक्सर हमारे देश में बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए,जैसी बातें बोली तो जाती है,लेकिन उम्र के जिस पड़ाव पर उन्हें सबसे ज्यादा प्यार,सम्मान और समर्पण की जरुरत होती है,

उस समय ज्यादातर लोग किन्हीं भी कारणों के चलते अपने बुजुर्गों को न समय दे पाते है,न उनकी समस्या को समझ पाते है,ऐसे में डिग्निटी फाउंडेशन(Dignity Foundation)सरीखी संस्थाएं देश के बुजुर्गों को सम्मानजनक जीवन जीने के गुर सीखा रही है।

उनके प्रियजनों को राह दिखा रही है कि किस प्रकार वह बुजुर्गों के मानसिक और शारीरिक विकारों को समझकर उनके साथ पेश आएं।

इतना ही नहीं, डिग्निटी फाउंडेशन देश की सर्वाधिक पुरानी और गैर लाभकारी संस्था है जोकि वरिष्ठ और बुजुर्गों को सम्मानजनक जीवन देने के लिए निरतंर प्रयासरत(Special Story-World-Alzheimers-Day-2022-celebration-by-Dignity-Foundation)है।

जिसका उद्देश्य वरिष्ठ और बुजुर्गों को एहसास दिलाना है कि बुढ़ापा बोझ नहीं है बल्कि उम्र की स्वाभाविक अंतिम अवस्था है और इसे भी खुशी-खुशी,सम्मानजनक रूप से जिया जा सकता है। 

अपने इसी उद्देश्य को फलिभूत करते हुए डिग्निटी फाउंडेशन ने बीते दिनों 21 सिंतबर 2022 को धूमधाम से ‘वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे'(Special Story-World-Alzheimers-Day-2022-celebration-by-Dignity-Foundation)मनाया,

जहां बुजुर्ग और वरिष्ठ नागरिकों ने न केवल अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए समां बांधा बल्कि लोगों को भी अल्जाइमर के प्रति जागरुक किया।

 

अल्जाइमर और डिमेंशिया दो ऐसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है,जिनके बारे मे्ं आम जनता के बीच जागरुकता की कमी है और इसका खामियाजा ही हमारे वरिष्ठ नागरिक उठाते है।

चूंकि उनके परिजनों को पता ही नही होता कि उनके बुजुर्ग कितनी तकलीफ में है। ऐसे में डिग्ननिटी फाउंडेशन जैसी संस्थाएं बुजुर्ग और परिजनों के बीच पुल का काम करती है। उन्हें जागरुक करके दोनों के जीवन को आसान बनाती है।

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डिग्निटी फाउंडेशन संस्था- Dignity Foundation

डिग्निटी फाउंडेशन द्वारा वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे समारोह

अपने नाम को चरितार्थ करती हुई डिग्निटी फाउंडेशन सालों से वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक जीवन जीने में सहायता प्रदान कर रही है। 

मौजूदा वक्त में डिग्निटी फाउंडेशन के चार डिमेंशिया केंद्र कुशल कार्यवाहकों द्वारा मुंबई,चेन्नई,पुणे और नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में संचालित है और इस संस्था का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा केंद्र देशभर के विभिन्न राज्यों संचालित करना है।

 डिग्निटी फाउंडेशन संस्था की संस्थापिका और अध्यक्षा डॉ. शीलू सिरीनिवासन,जोकि पीएचडी सोशोलॉजी,मुंबई MA.Phychiatric Social कामों की डिग्रियों से सम्मानित है, ने वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे के अवसर पर डिग्ननिटी फाउंडेशन संस्था की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित(Special Story-World-Alzheimers-Day-2022-celebration-by-Dignity-Foundation)किया।

सिर्फ इतना ही नहीं, यह संस्था देश के कई राज्यों में बुजुर्गों के लिए चाय-मस्ती सेंटर्स संचालित करती है,जिनमे से सफदरजंग एन्क्लेव का सेंटर तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इसे अर्चना चौधरी अपने अनुभव से संचालित कर रही है जोकि एनसीआर चैप्टर की मुखिया है।

इस संस्था के साथ जुड़ी डॉ. स्वाति अग्रवाल(Dr. Swati Aggarwal)जोकि नेहरू नगर स्थित विमहैंस अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य में व्यावसायिक चिकित्सा में परास्नातक(Masters in occupational therapy in mental health)है और डिग्निटी फाउंडेशन में बतौर डिमेंशिया व्यावसायिक थेरेपिस्ट अपनी सेवाएं दे रही है,ने समयधारा को बताया कि कैसे वह और डिग्निटी फाउंडेशन बुजुर्गों को अल्जाइमर और डिमेंशिया से डील करना सीखाते है।

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यदि आप भी इस संस्था से जुड़ना चाहते है या फिर अपने प्रियजनों में आपको भी ऊपर बताएं अल्जाइमर के लक्षण देखने को मिल रहे है और आप उनकी देखभाल के तरीके सीखना चाहते है या फिर किसी भी अन्य वजह से इस संस्था से जुड़ना चाहते है तो आप मोबाइल नंबर-8076163907 (संयोजिका,मीनू गुप्ता रॉय) और डिग्निटी फाउंडेशन संस्था के हेल्पलाइन नंबर- 8448317316, एन्रोलमेंट नंबर- 9152017120,8802086165 पर कॉन्टैक्ट कर सकते है।

विश्व अल्जाइमर्स डे के अवसर पर संस्था ने विशाल मॉल में जाकर एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया,जहां बुजुर्गों ने खूब मस्ती की।

डिग्निटी फाउंडेशन द्वारा वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे

फिर इसके बाद साकेत सिटी मॉल पहुंचकर अपनी अभिनय प्रतिभा का परिचय देते हुए इन लोगों ने समा बांधा। प्रत्यक्षदर्शियों ने यह सब देखकर न केवल खूब तालियां बजाई बल्कि अल्जाइमर के विषय में जागरुक भी हुए।

डॉ. स्वाति अग्रवाल ने हमें बताया कि इस कार्यक्रम को सफदरजंग सेंटर और गुरुग्राम में भी आयोजित किया गया,जहां बुजुर्गों ने अपने डांस से खूब मस्ती की और लोगों को आनंदित किया।

इस संस्था से जुड़े बुजुर्गों ने सबसे पहले आईएनए और दिल्ली हाट में अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दी और लोगों को मंत्रमुग्ध किया। 60-90 साल के बीच के इन बुजुर्गों ने साकेत सिलेक्ट सिटी मॉल पहुंचकर अपनी शानदार परफॉर्मेंस दी।

 

 

 

 

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(इनपुट डिग्निटी फाउंडेशन प्रेस रिलीज और डिमेंशिया हिंदी डॉट कॉम से भी)

shweta sharma

श्वेता शर्मा एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। लेकिन अब अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। श्वेता शर्मा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।