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Valentine day special-विरोध या प्रतिरोध ‘प्रेम का अस्तित्व’ अमर है..

प्रेम का कोई मज़हब/धर्म/जात या राष्ट्र नहीं होता। प्रेम खुद में अनंत,असीमित है।

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हमारा देश विविधताओं का देश है।विभिन्न धर्मों के त्यौहार यहाँ धूमधाम से मनाएं जाते हैं,

लेकिन कोई विदेशी उत्सव यदि प्रेम का संदेश दें, तो हम उसे भी अपनाने से परहेज नहीं करते।

ये अलग बात है कि संस्कृति और मर्यादा के नाम पर यहाँ कुछ सीमाएं भी हैं और एक बड़ा वर्ग इन सीमाओं का उल्लंघन स्वीकार नहीं करता,

लेकिन  उत्साह एवं उमंग के साथ प्रेमपूर्वक मनाएं जाने वाले त्यौहारों को नकारा भी नहीं जाता।

कुछ समाजसेवी दल अवश्य इसे हमारी संस्कृति पर विदेशी हमला समझते हैं,

लेकिन आम नागरिक प्रेम का संदेश देने वाले उत्सवों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। 

यूँ तो विदेशी कहे जाने वाले अनेक त्यौहार जैसे क्रिसमस डे, हैलोवीन डे आज भारत में भी मनाए जाने लगे हैं,

लेकिन एक ऐसा दिन जिसे विदेशी खुलेपन का प्रतीक मानकर और भारतीय संस्कृति के प्रतिकूल मानकर सबसे ज्यादा प्रतिवाद झेलना पड़ा है,

वो है 14 फरवरी, यानि वैलेंटाइन डे (valentines day)

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आज भी प्रेम के प्रतीक माने जाने वाले इस त्यौहार का विरोध करने वालों की कमी नहीं है

लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस दिन बढ़ती उपहारों की बिक्री और सोशल साइट्स पर बधाई संदेशों की भरमार इस बात का प्रतीक है कि

भारत में भी  इसे दिल से स्वीकार करके मनाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है

और इस त्यौहार की धूम इस बात का प्रतीक है कि विरोध-प्रतिरोध के बावजूद भी कायम है प्रेम का अस्तित्व,

चूंकि प्रेम का कोई मज़हब/धर्म/जात या राष्ट्र नहीं होता। प्रेम खुद में अनंत,असीमित है।

शुरूआत में इसे सिर्फ प्रेमी युगलों के बीच प्यार का इज़हार करने वाले दिन का ही प्रतीक माना जाता था लेकिन हमारे देश में प्यार का बहुत व्यापक अर्थ है।

इसे सिर्फ एक स्त्री और पुरूष के बीच होने वाला संबंध ही नहीं समझा जाता बल्कि प्यार परिवार, दोस्तों यहां तक कि जानवरों के साथ भी हो सकता है।

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इन्हीं कोमल भावनाओं के कारण आज वैलेंटाइन डे (valentine’s day 2022) पर लोग अपने प्रियजनों को बधाई देते हैं।

यह सिर्फ एक दिन का त्यौहार नहीं है बल्कि 7 फरवरी से 14 फरवरी तक किसी न किसी खास दिन के रूप में मनाया जाता है। 

पहला दिन 7 फरवरी “रोज़ डे” (rose day) कहलाता है। इस दिन अपने प्रियजनों को गुलाब का फूल देकर अपनी भावनाओं का एहसास कराया जाता है।

लाल गुलाब प्रेम का प्रतीक माना जाता है तो पीला गुलाब दोस्ती का।

नारंगी रंग का गुलाब उत्साह का प्रतीक होता है तो सफेद गुलाब शान्ति का। लोग अपने मनोभावों के अनुरूप प्रेम का इज़हार करते हैं।

दूसरा दिन 8 फरवरी “प्रपोज़ डे” (Propose Day) के नाम से जाना जाता है। इस दिन प्रियजनों से अपने दिल की बातें खुलकर कही जा सकती हैं।

9 फरवरी को एक दूसरे को चॉकलेट देकर “चॉकलेट डे” (Chocolate Day) मनाया जाता है

10 फरवरी को टेडी बियर के रूप में कोमल स्पर्श का एहसास कराते हुए “टेडी डे” (Teddy Day) मना कर उपहार के तौर पर टेडी बियर का आदान प्रदान किया जाता है।

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उसके बाद 11,12 13 फरवरी “प्रोमिस डे”, “किस डे” व “हग डे” के नाम से जाने जाते हैं।

इतने दिनों तक प्रेमपूर्ण वातावरण बनाते हुए अन्ततः 14 फरवरी  (14 February) को वैलेंटाइन डे (valentines day) के रूप में मनाया जाता है

वैसे इसके मनाएं जाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन वैलेंटाइन नाम के एक संत को प्रेमियों की मदद करने के आरोप में मौत की सज़ा दी गई थी,

उन्हीं के नाम पर इस दिन का नाम वैलेंटाइन डे (valentine day) रखा गया है।

तीसरी शताब्दी में रोम के शासक क्लाउडियस ने शादी करने पर रोक लगा दी थी।

यह बात पादरी वैलेंटाइन (Valentine) को उचित नहीं लगी, और उन्होंने छुप कर प्रेमी युगल की शादी करवा दी।

इसी बात पर नाराज होकर क्रूर शासक ने उन्हें मृत्युदंड दिया। आज संत वैलेंटाइन (Saint Valentine) का नाम इतिहास में अमर हो गया है।

अब ये दिन सिर्फ़ रोम ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में प्यार के इज़हार का दिन बन गया है।

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(समयधारा के पुरानें पन्नो से)

Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।