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‘सपा’ ‘बसपा’ हो या ‘आप’, सब बता रहे है ‘ईवीएम(EVM)’को ‘श्राप’, हमें बताइये कहा खड़े है ‘आप’.?

नई दिल्ली,16 मार्च :  उत्तर प्रदेश में सपा,बसपा की बुरी हार व पंजाब में आप की हार ने देश में एक नये विवाद(EVM) को जन्म दिया है l लोगो के बीच नयी-नयी भ्रान्तिया फ़ैल रही है l लोग कहते है की हार इंसान को दीवाना बना देती है l कभी-कभी तो यह और भी विक्राल रूप ले लेती हैl हम हार का सही आकलन करने के बदले उस हार की जिम्मेदारी किसी और पर डाल देते है l और अक्सर होता यही है हार का कोई चेहरा नहीं होता और जीत के बहुत से चेहरे होते है l अक्सर इंसान हार में उनसे क्या गलतियां हुई है उस तरफ ध्यान ही नहीं दे पाता l

यही हाल हमारे देश में अक्सर होता है सारे वो दल जो हार जाते है वह अपनी हार की जिम्मेदारी किसी भी तरह से खुद लेने के बजाय कोई ऐसा स्ट्रोंग रीज़न ढूंढतें है कि लोगो को यह लगे की वह हार उनके वजह से नहीं बल्कि इस कारण से हुई है l देश की जनता तो बेवकूफ है उसे कुछ समझ में आता ही नहीं जो मीडिया में दिखाया जाता है उसी पर विश्वास करने लगती है l पर कहते है कि आप किसी को एक बार बेवकूफ बना सकते हो दो बार बना सकते हो पर बार-बार नहीं सच्चाई तो एक दिन सामने आ ही जायेंगी l

ईवीएम(EVM) पर होने वाला विवाद भी हम लोगो को यह एहसास करा रहा है कि क्या हम आज भी बहुत बड़े बेवकूफ है लोग हमें सी..(एक बुरा शब्द) माफ़ करना मुझे पर आज की हालात देखकर यही लग रहा है कि लोग हमें C … बनाते जा रहे है और हम बनते जा रहे है …

‘जागो देशवासियों जागो’ क्या हम इतने सस्ते हो गयें है कि कोई भी पार्टी, दल,  नेता,साधू-संत,मौलाना,पादरी या समाज का हितेषी हमारे समक्ष आता है और कुछ भी कहता हैl हम सब मान लेतें है l   वह कह रहा है तो सच ही होगा क्योंकि वह भगवान् है l  जो हमें कुछ बता रहा है वह खुदा है और रब तो हमारा बुरा चाह ही नहीं सकता…! सच यही है और हम सब बहकावे में आ जातें है क्यों…..? आखिर कब तक हम सब की सुनेंगे अपनी आवाज को कब पहचानेगे l हमारी आवाज कही खो गयी है ! हमने  खुद अपने आप को बाजार में खडा कर दिया है बेचने के लिए और वो भी इतने सस्ते में की कोई भी हमें दो कोडी में खरीद सकता है l दो कोडी की कोई कीमत रह गयी है आज …! अपनी कीमत को पहचानों और दूर करों इन सब लोगों को जो आपको अपने से दूर करें l

पक्ष हो या विपक्ष सब का अपना स्वार्थ है l समाज के हीत में सोचने वालों का कोई स्वार्थ नहीं होता l यहाँ तो जो आता है ‘हम’ कहकर पहले ‘मै’ के लिए सोचता हैl अगर आप ‘हम’ के लिए नहीं सोच सकते तो कम से कम इनकी तरह ‘मै’ के लिए सोचना शुरू कर दो ..! समाज में अपने आप बदलाव आ जायेंगा l मेरी तो बस आप लोगों से इतनी सी अपील है l

सोचो – समझो – फिर चुनो, उनको जो आप के लिए चुना गया है l  क्योंकि मौके बार-बार नहीं आते l 

  

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