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Dhanteras 2020:आज है धनतेरस, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से होंगे धनवान

इस वर्ष धनतेरस और छोटी दिवाली एक ही दिन 13 नवंबर को पड़ रहे है।चूंकि बड़ी या मुख्य दिवाली 14 नवंबर को है...

Dhanteras 2020-today-puja-shubh muhurat 

 इस वर्ष लोगों में दुविधा है कि धनतेरस असल में कब है। 12 नवंबर या 13 नवंबर। आपको भी दुविधा है तो हम बता देते है कि मुख्य रूप से धनतेरस आज,13 नवंबर, प्रदोष व्रत के साथ शुक्रवार को ही है।

इसप्रकार आज धनतेरस (Dhanteras 2020-today) है। आज के दिन कुछ शुभ चीजों की खरीदारी करने से और मां लक्ष्मी व भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से घर में धनधान्य,सुख-समृद्धि बरकरार रहती है।

मां लक्ष्मी की कृपा बरसाने वाला दीपोत्सव दिपावली का पावन पर्व धनतेरस से ही शुरू हो जाता है।

दिवाली (Diwali) को पांच दिन का त्यौहार कहा जाता है और धनतेरस उसका पहला दिन है, जब हम मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा के लिए नई वस्तुएं खरीदते है।

धनतेरस(Dhanteras)को धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi),धन्‍वंतरि त्रियोदशी(Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है।

 

जानिएं कब है धनतेरस (Dhanteras kab hai)?

धनतेरस का पावन पर्व प्रतिवर्ष दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास की तेरस अर्थात 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है।

इस वर्ष धनतेरस 13 नवंबर, शुक्रवार को है। इसके अतिरिक्त इस बार धनतेरस दीवाली के एक दिन पहले ही मनाया जा रहा है।

दूसरे शब्दों में कहें तो इस वर्ष धनतेरस और छोटी दिवाली एक ही दिन 13 नवंबर को पड़ रहे है।चूंकि बड़ी या मुख्य दिवाली 14 नवंबर,शनिवार को है।

 

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त-Dhanteras 2020-today-puja-shubh muhurat 

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 12 नवंबर 2020 को रात 09 बजकर 30 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्‍त: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक

धनतेरस पूजा मुहूर्त: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 28 मिनट से रात 05 बजकर 59 मिनट तक।

 

कुल अवधि: 30 मिनट

प्रदोष काल: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 07 मिनट तक।

वृषभ काल: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 32 मिनट से रात 07 बजकर 28 मिनट तक।

 

Dhanteras 2020-today-puja-shubh muhurat 

धनतेरस की पूजा विधि

धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है।

– धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है। इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें।

धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें:

“मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|

त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||”

– धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है। इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्‍प अर्पित करें। फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्‍चे मन से इस मंत्र का उच्‍चारण करें:

ॐ  श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्‍लीं श्रीं क्‍लीं वित्तेश्वराय नम:

धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है। इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है।

 

Dhanteras 2020-today-puja-shubh muhurat-significance 

धनतेरस महत्व-Dhanteras importance

ऐसा कहा जाता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही माता लक्ष्‍मी (Maa Laxami) और भगवान कुबेर (Kuber) प्रकट हुए थे।

ऐसी मान्यता है कि इसी दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म हुआ था।

इसी कारण इस दिन माता लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है।

भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय ‘राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ (National Ayurveda Day) के नाम से मनाता है।

इसके अतिरिक्त, धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा (Yamaraj Puja) भी की जाती है।

 

धनतेरस पर इनकी करनी चाहिए खरीदारी-dhanteras shopping

-धनतेरस पर सोने-चांदी के जेवर और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।

-धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है।

-फिर इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस (Chhoti Diwali or Narak Chaturdashi), बड़ी या मुख्‍य दीपावली (Diwali), गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja) और अंत में भाई दूज या भैया दूज (Bhai Dooj) का त्‍योहार मनाया जाता है।

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।

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