Bhai Dooj 2025 पर बहनें इस शुभ मुहूर्त में करें तिलक, जानें पूजा विधि, भाई दूज क्यों मनाया जाता है, महत्व, इतिहास, और देशभर में परंपराएँ

🪔भाई दूज 2025: प्यार,अपनापन और रक्षा का पवित्र पर्व, जानें देश-विदेश में इस दिन को कैसे मनाया जाता है, भाईदूज-भाई टीका-भाऊबीज-भाई फोंटा-यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया

Bhai Dooj 2025 पर बहनें इस शुभ मुहूर्त में करें तिलक, जानें पूजा विधि, भाई दूज क्यों मनाया जाता है, महत्व, इतिहास, और देशभर में परंपराएँ

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“भाई दूज क्यों मनाया जाता है | Bhai Dooj 2025 का महत्व, इतिहास, और देशभर में परंपराएँ”


🪔भाई दूज 2025: प्यार, अपनापन और रक्षा का पवित्र पर्व

🌸भाई-बहन के अटूट प्रेम का दिन

भारतीय संस्कृति में हर रिश्ता अपनी जगह बेहद खास होता है, पर भाई-बहन का रिश्ता सबसे अनोखा और भावनात्मक होता है। यह रिश्ता प्रेम, सुरक्षा और अपनापन का प्रतीक माना जाता है।
हर साल दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज इस प्रेम और विश्वास का उत्सव है।
यह दिन न केवल एक त्योहार है, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते का उत्सव भी है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, आरती उतारती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसे स्नेह और सुरक्षा का वचन देता है।


📖 भाई दूज का इतिहास और पौराणिक कथा

भाई दूज के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाती हैं।

🕉️ 1. यमराज और यमुना की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव की संतान यमराज (मृत्यु के देवता) और यमुना (पवित्र नदी) भाई-बहन थे।
यमुना अपने भाई यमराज को बार-बार अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में इतने व्यस्त थे कि वह नहीं जा पाए।

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आखिरकार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे।
यमुना ने खुशी से अपने भाई का स्वागत किया, तिलक लगाया, स्वादिष्ट भोजन कराया और उनके दीर्घायु की कामना की।

यमराज इस स्नेह से अत्यंत प्रसन्न हुए और बोले —

“जो भी आज के दिन अपनी बहन के घर तिलक लगवाएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा।”

तभी से यह दिन ‘यम द्वितीया’ या भाई दूज के नाम से मनाया जाने लगा।


🕉️ 2. भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण जब नरकासुर का वध करके लौटे, तो उनकी बहन सुभद्रा ने उनका स्वागत किया।
सुभद्रा ने उनके माथे पर तिलक लगाया, आरती उतारी और दीपक जलाया।
तब श्रीकृष्ण ने सुभद्रा से कहा कि जो भी व्यक्ति आज के दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे दीर्घायु, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होगी।
इस कारण से भी यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।


🌼 भाई दूज का धार्मिक महत्व

भाई दूज को “भ्रातृ द्वितीया”, “यम द्वितीया”, या “भाऊ बीज” के नाम से भी जाना जाता है।
यह दिन भाई-बहन के रिश्ते में आशीर्वाद, प्रेम और कृतज्ञता का संदेश देता है।

  • इस दिन बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं।
  • भाई बहनों को उपहार देकर सुरक्षा और साथ का वचन देते हैं।
  • इस दिन बहनें यमराज और यमुना की पूजा भी करती हैं ताकि उनके भाई को कभी अकाल मृत्यु का सामना न करना पड़े।

🌞 भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि: 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार
पंचांग अनुसार:

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ — 22 अक्टूबर 2025, रात 8:16pm बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त — 23 अक्टूबर 2025, रात 10:46pm बजे तक
  • शुभ मुहूर्त (तिलक समय): दोपहर 01:13 PM से दोपहर 03:28 PM (02 घंटा 15 मिनट)
  • ब्रहम मुहूर्त (Brahma Muhurat) – 4:05 AM to 04:55 AM
  • अभिजित मुहूर्त (Abhijit Muhurat) – 11:08 AM to 11:54 AM
  • निशिताकाल मुहूर्त (Nishita Muhurat) – 11:06 PM to 11:56 PM
  • अभ्यंग स्नान का समय: सूर्योदय से 6:45 बजे तक (यह समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इस दौरान यम द्वितीया योग बनता है।)
  • (विभिन्न ज्योतिषियों और पंडितों से सलाह के बाद शुभ मुहूर्त (तिलक समय): सुबह 10:00am बजे से दोपहर 3:28pm बजे तक)

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🌺 भाई दूज की पूजा विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi 2025)

  1. सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल पर चौक बनाकर, लकड़ी के पाट पर भाई को बैठाएं।
  3. थाली में तिलक सामग्री — कुमकुम, चावल, दीपक, मिठाई और फूल रखें।
  4. दीपक जलाएं और भगवान गणेश तथा यम-यमुना का आह्वान करें।
  5. अब भाई के माथे पर चंदन-कुमकुम का तिलक लगाएं, फूल अर्पित करें और आरती उतारें।
  6. मिठाई खिलाएं और भाई की लंबी उम्र की कामना करें।
  7. भाई अपनी बहन को उपहार दें और रक्षा का वचन दें।

💞 भाई दूज का आध्यात्मिक संदेश

भाई दूज हमें यह सिखाता है कि रिश्ते केवल जन्म से नहीं, बल्कि भावनाओं और विश्वास से बनते हैं।
यह दिन भाई-बहन के बीच त्याग, प्रेम और आत्मीयता की भावना को मजबूत करता है।
आज के समय में जब रिश्तों में दूरी बढ़ रही है, यह पर्व हमें अपने परिवार और संबंधों की अहमियत याद दिलाता है।


🌿 भारत के विभिन्न राज्यों में भाई दूज कैसे मनाया जाता है

🌸 उत्तर भारत

उत्तर भारत में इसे भाई दूज या यम द्वितीया कहा जाता है।
यहां बहनें भाई को घर बुलाती हैं, तिलक लगाती हैं और मिठाई खिलाती हैं।
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में यह दिन अत्यंत श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।


🌺 महाराष्ट्र और गुजरात

महाराष्ट्र और गुजरात में इसे भाऊबीज कहा जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाई को आमंत्रित करती हैं और “आर्ती थाळी” सजाती हैं।
भाऊबीज के समय बहनें विशेष रूप से “पान सुपारी”, “नारियल” और “मिठाई” देती हैं।


🌼 पश्चिम बंगाल

बंगाल में इसे भाई फोंटा कहा जाता है।
यह पर्व बंगाल में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।
बहनें “फोंटा” नामक तिलक लगाकर भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और विशेष व्यंजन बनाती हैं।


🌿 दक्षिण भारत

दक्षिण भारत में इस पर्व का स्वरूप थोड़ा अलग है।
यहां यह त्योहार यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया के रूप में मनाया जाता है।
बहनें भाई के लिए दीप जलाती हैं और उसकी कुशलता की प्रार्थना करती हैं।


🌾 नेपाल में भाई टीका

नेपाल में भाई दूज को “भाई टीका” कहा जाता है।
यह वहां का एक बहुत बड़ा त्योहार है जो दीपावली के अंतिम दिन मनाया जाता है।
बहनें भाइयों के माथे पर सात रंगों का तिलक लगाती हैं और “भाई टीका मंत्र” पढ़कर आशीर्वाद देती हैं।

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🪔 भाई दूज और दिवाली का संबंध

भाई दूज, दिवाली के पांच दिवसीय पर्व का अंतिम दिन होता है।
पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भाई दूज मनाया जाता है।
यह पूरा त्योहार अंधकार से प्रकाश की यात्रा, और स्वार्थ से त्याग की भावना का प्रतीक है।


🌹 भाई दूज का सांस्कृतिक महत्व

भाई दूज केवल तिलक और मिठाई तक सीमित नहीं है, यह हमारे संस्कारों और परंपराओं की आत्मा है।
यह दिन सिखाता है कि जीवन में रिश्तों की देखभाल और सम्मान उतना ही जरूरी है जितना आत्म-विकास।
भाई दूज का हर तिलक, हर दीपक, भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है।


🕯️ भाई दूज 2025 के लिए शुभ संदेश

🌺 “तिलक लगाकर बहना करे आरती, मिले भाई को लंबी उम्र की सच्ची ज्योति।”
🪔 “भाई दूज का ये पावन दिन लाए खुशियां अनंत, बहना के प्रेम में बसी रहे सदा जीवन की महक।”

भाई दूज केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक भावना है —
एक ऐसा दिन जब भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपने स्नेह, कृतज्ञता और प्रेम को प्रकट करते हैं।
यह त्योहार परिवार को जोड़ने, भावनाओं को समझने और जीवन में आभार और अपनापन को महत्व देने का संदेश देता है।

“जहाँ बहन की दुआ और भाई का स्नेह मिलता है, वहाँ सच्चा सुख बसता है — वही है भाई दूज का अर्थ।”

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समयधारा डेस्क: