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Dev Deepawali 2023 : आज है देव दीपावली, इस शुभ मुहूर्त में करें दीपदान, जानें पूजा विधि और महत्व

इस वर्ष देव दीपावली पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं, इस दिन योग सहित कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

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देव दीपावली(Dev-Deepawali) का त्यौहार हिंदू पंचागानुसार,कार्तिक पूर्णिमा तिथि(Kartik_Purnima)को मनाया जाता है।

देव दिवाली या देव दीपावली को त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं।

दरअसल, इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसकी खुशी में इस त्योहार को मनाया जाता है।

देव दीपावली के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान का विशेष महत्व होता है। देव दीपावली के दिन सूर्यास्त के बाद दीपदान(Deepdaan) भी किया जाता है।

जानें कब है देव दीपावली ? (Dev Deepawali 2023-date)

चलिए अब बताते है कि इस साल देव दीपावली कब है और पूजा का शुभ मुहूर्त-विधि क्या (Dev-Deepawali-2023-date-puja-shubh-muhurat-vidhi-deepdaan-importance-on-kartik-purnima devdiwali) है।

इस साल देव दीपावली(Dev Deepawali) वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर रविवार को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से अगले दिन 27 नवंबर सोमवार को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट तक है l

देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में मनाई जाती है, इसलिए इस साल देव दीपावली 26 ​नवंबर रविवार को मनाई जाएगी,

जबकि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 27 नवंबर सोमवार को होगा l 

देव दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त (Dev Deepawali 2023 Puja Shubh Muhurat) 

देव दीपावली 2023 दीप जलाने का शुभ मुहूर्त

इस बार देव दीपावली पर दीप जलाने का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 08 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक है l

उस दिन आपको दीप जलाने के लिए 2 घंटे 39 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा l

27 नवंबर को वाराणसी में सूर्यास्त शाम 05:08 बजे होगा. उस समय से प्रदोष काल प्रारंभ हो जाएगा l

देव दीपावली 2023 पर शुभ संयोग-

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3 शुभ योग में है देव दीपावली 2023 इस साल देव दीपावली पर 3 शुभ योग बन रहे हैं l उस दिन रवि योग, परिघ योग और शिव योग बन रहे है l

देव दीपावली को प्रात: 06 बजकर 52 मिनट से रवि योग प्रारंभ होगा, जो दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. वहीं परिघ योग प्रात:काल से लेकर देर रात 12 बजकर 37 मिनट तक है, उसके बाद से शिव योग शुरू होगा. जो कार्तिक पूर्णिमा को रात तक रहेगा..

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देव दीपावली पर दीपदान का महत्व-Dev-Deepawali-2023-deepdaan-importance

देव दीपावली पर दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने व दीपदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है।

देव दीपावली पूजा विधि (Dev Deepawali 2023 Puja Vidhi)

-इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करें अगर ऐसा संभव नहीं है तो पानी में गंगाजल डालकर  स्नान किया जा सकता है।

-इसके बाद मंदिर की अच्छे से सफाई करें और भगवान शिव समेत सभी देवताओं का ध्यान करते हुए पूजा करें।

-इसके बाद शाम के समय किसी नदी के किनारे दीपदान करें।

-आपके आसपास कोई नदी नहीं है तो आप मंदिर में जाकर भी दीपदान कर सकते हैं।

-इसके बाद भगवान शिव की विधिवत तरीके से पूजा करें।

 

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इसे देव दीपावली क्यों कहा जाता है ?

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। यह घटना कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुई थी।

त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीये जलाए।

यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा(Kartik Purnima 2023) पर आज भी काशी में दिवाली मनाई जाती है।

क्योंकि ये दीवाली(Diwali 2023)देवों ने मनाई थी, इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है।

देव दीपावली पर भगवान शिव की पूजा का है खास महत्व?

इस दिन को “त्रिपुरी पूर्णिमा” भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था।

ऐसे में इस दिन भगवान शिव की पूजा का खास महत्व होता है।

देव दीपावली के दिन भगवान शिव(Lord Shiva)की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस दिन उपवास रखकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए और रातभर जगकर भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए.

देव दीपावली के दिन रखें इन बातों का ध्यान

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देव दीपावली के दिन गंगा नदी में स्नान किया जाता है। लेकिन अगर ऐसा संभव ना हो तो इस दिन नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।

माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना और कथा सुनना भी काफी फायदेमंद माना जाता है।

इस दिन पितरों(Pitro)की आत्मा की शांति के लिए एक दीया जरूर जलाना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन, भूल से भी तुलसी के पत्तों का स्पर्श न करें और न ही उन्हें तोड़ें।

-इस दिन शराब या तामसिक भोजन का सेवन करना वर्जित माना जाता है।

-इस दिन क्रोध, गुस्सा, ईर्ष्या, आवेश और क्रूरता, जैसी भावनाएं अपने मन में न आने दें।

Disclaimer:यहां दी गई जानकारी केवल धार्मिक प्रचलित मान्यताओं के आधार पर आधारित है। समयधारा इनकी सटीकता को प्रमाणित नहीं करता।

पाठकों से अनुरोध है कि इन मान्यताओं को अमल में लाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।

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Priyanka Jain