रावण दहन का समय, विजयदशमी समय-पूजा विधि
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नई दिल्ली:बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा यानि विजयदशमी(Vijayadashami)का पर्व हिंदू धर्म में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार,दशहरा(Dussehra)के दिन प्रभु श्रीराम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था,तभी से उनकी जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाने लगा। दशहरा को ही विजयदशमी कहा जाता है।
प्रतिवर्ष देश में दशहरा के दिन रावण दहन और दुर्गा विसर्जन का विधान है।
शारदीय नवरात्रि((Shardiya Navratri) में नौंवी नवरात्रि यानि महानवमी(Mahanavami)के बाद दशहरा(Dussehra)का पर्व मनाया जाता है।
इस साल दशहरा का पर्व मंगलवार,24 अक्तूबर 2023(Dussehra 2023)को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
हिंदू पंचांगानुसार,प्रति वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा यानि विजयदशमी(Vijayadashami)का पावन पर्व हर्षोउल्लास से मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri 2023)की समाप्ति के अगले दिन दशमी तिथि पर दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा, प्रभु श्रीराम की पूजा कि विधान है।
दशहरा के दिन शस्त्र पूजा और हवन भी किया जाता है। दशहरा पर जहां श्रीराम ने अधर्म के प्रतीक रावण का वध किया था तो वहीं मां दुर्गा(Durga)ने अत्याचारी असुर महिषासुर का भी मर्दन किया था।
इसलिए हिंदू धर्मानुसार, दशहरा का दिन विजयदशमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।
रावण(Ravan)और महिषासुर दोनों का वध दशमी तिथि पर होने से इस दिन को विजयदशमी के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
विजय दशमी असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।
तो चलिए अब बताते है दशहरा यानि विजयदशमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और रावण दहन व दुर्गा विसर्जन का समय(Dussehra-2023-Vijayadashami-puja-shubh-muhurat-ravan-dahan-durga-visarjan-time).
दशहरा पर मां दुर्गा(Maa Durga)ने भी महिषासुर का वध किया था।इसलिए इस दिन को विजयदशमी भी कहा जाता है।
दशहरा पर ग्राउंड्स,सोसायटी और गली-मोहल्लो में रावण,कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाकर संदेश दिया जाता है कि अहंकार, बुराई और अधर्म चाहे जितना बलिष्ठ हो,एक न एक दिन उसका समूल नाश होता है।
इसलिए सदैव सच्चाई,ईमानदारी और धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।यही श्रीराम और मां दुर्गा(Maa Durga) का संदेश है।
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दशमी तिथि आरंभ- दशमी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 5:54 मिनट से शुरू
दशमी तिथि समाप्त- 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक
आपको बता दें कि उदया तिथि के कारण इस वर्ष दशहरा का त्यौहार 24 अक्टूबर 2023, मंगलवार को मनाया जा रहा है।
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विजयादशमी शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त 2023
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
पहला विजयी मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक
दूसरा विजयी मुहूर्त- इस विजय मुहूर्त की अवधि शाम के समय होती है जब आसमान में तारे दिखाई देते हैं।
अपराह्र पूजा का समय- दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
गोधूलि पूजा मुहूर्त- शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक
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ज्योतिषाचार्य मनोहर आचार्य ने बताया कि विजयदशमी को लेकर 24 अक्टूबर को पूरे दिन शुभ मुहूर्त बन रहा है।
इस दिन नवरात्रि का व्रत तोड़ने के उपरांत लोग दुर्गा माता की प्रतिमा और कलश का विसर्जन कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि विजयादशमी के दिन सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर बाद 3:00 बजे तक शुभ मुहूर्त है और इसी मुहूर्त में लोगों को प्रतिमा और कलश का विसर्जन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि यह मुहूर्त 7 घंटे तक है और इस 7 घंटे में शुभ काल और सिद्ध मुहूर्त भी है।
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वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में रावण दहन करना शुभ माना जाता है।
ऐसे में 24 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 43 मिनट के बाद रावण दहन(Ravan Dahan time)किया जा सकता है।
वहीं रावण दहन का सबसे उत्तम समय शाम 07 बजकर 19 मिनट से रात 08 बजकर 54 मिनट के बीच का रहेगा।
दशहरा पर्व के दिन शस्त्र पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में विजयदशमी पर्व कें दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान श्री राम ने अधर्म को पराजित कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी ठीक उसी प्रकार राष्ट्र की रक्षा और अधर्म के खिलाफ प्रयोग में लाए जाने वाले शास्त्रों की पूजा करने से दुश्मन पर सदैव विजय प्राप्त होती है।
प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने से पहले दशहरा पर्व का इंतजार करते थे। ऐसा माना जाता था कि दशहरे के दिन युद्ध करने से विजय सुनिश्चित हो जाती है।
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यह त्यौहार भगवान श्री राम(Sri Ram) की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण(Ravan) को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया।
वहीं इस दिन मां दुर्गा ने 10 दिन तक युद्ध करके महिषासुर का संहार भी किया था,इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दुर्गा की पूजा(Ma Durga) भी की जाती है।
माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दुर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया।