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बिलासपुर:अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध या जबरन उसके साथ यौन संबंध(forcefully-intercourse)बनाना,यौन क्रीड़ा करना रेप नहीं है।
यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है बिलासपुर हाईकोर्ट(Bilaspur High Court) ने।
कोर्ट ने इस फैसले को सुनाकर आवेदक पति को बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया।
बिलासपुर हाईकोर्ट के जज एन.के. चन्द्रवंशी ने अपने एक आदेश में कहा है कि, “अपनी ही पत्नी (जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम न हो) के साथ किसी पुरुष द्वारा यौन संबंध या यौन क्रिया बलात्कार नहीं है।
इस केस में शिकायतकर्ता कानूनी रूप से आवेदक की पत्नी है, इसलिए उसके द्वारा यौन संबंध या उसके साथ कोई भी यौन क्रिया, पति पर बलात्कार के अपराध का आधार नहीं है, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो।
बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court)ने आज एक अहम फैसले में कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो।
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इसलिए आईपीसी की धारा 376(IPC 376) के तहत पति पर लगे आरोप गलत और अवैध हैं।
वह I.P.C की धारा 376 के तहत आरोप से मुक्त होने का हकदार है। आवेदक नंबर 1 को उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत लगाए गए आरोप से मुक्त किया जाता है।
अधिवक्ता वाईसी शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट ने पति द्वारा पत्नी के साथ जबरिया बनाये गए संबंध को रेप की श्रेणी में नहीं माना है।
पीड़ित पति के वकील के अनुसार, अब किसी भी पति के खिलाफ इस आदेश के बाद कही भी ऐसा अपराध पंजीबद्ध नही होगा. यह आदेश ऐतिहासिक के साथ ही न्यायदृष्टांत साबित होगा।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला बेमेतरा ज़िले का है। जहां एक पत्नी ने अपने पति के द्वारा उसके साथ जबरन संबंध बनाने के खिलाफ थाने में बलात्कार का अपराध दर्ज करा दिया।
निचली अदालत में चालान पेश हुआ। निचले अदालत ने पति को इस कृत्य के लिए आरोपी करार दिया।
इसके खिलाफ पीड़ित पति ने अपने अधिवक्ता वाई सी शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) सहित कई जजमेंट का हवाला दिया।
मामले की सुनवाई जस्टिस एन.के.चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई।
जस्टिस चंद्रवंशी ने सारे तर्क और जजमेंट को देखने के बाद एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता पीड़ित पति को वैवाहिक बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया है।
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(इनपुट एजेंसी से भी)