Ganesh-Chaturthi-2025-Shubh-Muhurat-Puja-Vidhi
गणेश चतुर्थी 2025: शुभ मुहूर्त, स्थापना विधि, पूजा नियम और महत्व
🪔 गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का प्रमुख और अत्यंत शुभ पर्व है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो साधक श्रद्धा और विधि-विधान से गणपति की पूजा करता है, उसके जीवन से बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन गणपति बप्पा की प्रतिमा घर या पंडाल में स्थापित की जाती है और दसवें दिन अनंत चतुर्दशी को प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इन दस दिनों में भक्त निरंतर भक्ति, व्रत, पूजा और आरती कर गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
📅 गणेश चतुर्थी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार:
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चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 26 अगस्त 2025, दोपहर 01:54 बजे से
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चतुर्थी तिथि समाप्त: 27 अगस्त 2025, दोपहर 03:44 बजे तक
पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा और इसी दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना सबसे शुभ मानी जाएगी।
⏰ गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat)
गणेश जी की स्थापना और पूजा के लिए मध्याह्न काल को सबसे शुभ माना गया है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी समय गणेश जी का प्राकट्य हुआ था।
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गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक (27 अगस्त 2025)
इस समय पर प्रतिमा की स्थापना और पूजा-अर्चना करने से साधक को विशेष पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🪔 गणेश स्थापना से पहले तैयारी
गणेश जी को घर या पंडाल में लाने से पहले कुछ तैयारियां करना आवश्यक है:
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घर या पूजा स्थल की पूरी तरह सफाई करें।
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पूजा स्थान को फूलों, तोरण, आम के पत्तों, रंगोली और दीपों से सजाएँ।
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वेदी (चौकी) पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएँ।
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पूजा के लिए थाल में दीपक, अगरबत्ती, रोली, चावल, दूर्वा घास, मोदक, लड्डू, नारियल और फल रखें।
🙏 गणेश स्थापना और पूजा विधि (Step by Step Ganesh Puja Vidhi)
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शुभ मुहूर्त में प्रतिमा को घर में लाएँ और विधिपूर्वक वेदी पर स्थापित करें।
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संकल्प लें – हाथ में जल, फूल और चावल लेकर पूजा का संकल्प करें।
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‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी का आह्वान करें।
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प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराएँ।
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स्नान के बाद गणपति को नए वस्त्र और आभूषण पहनाएँ।
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उन्हें मोदक, लड्डू, फल और नारियल का भोग लगाएँ।
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दूर्वा घास, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें।
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अंत में पूरे परिवार के साथ गणेश आरती करें।
🌿 गणेश प्रतिमा से जुड़े वास्तु नियम (Ganesh Idol Vastu Tips)
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घर में मध्यम आकार की मूर्ति रखना सबसे शुभ होता है।
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गणेश जी की सूंड बाईं ओर (वामवर्ती) होनी चाहिए, यह सुख-समृद्धि का प्रतीक है।
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घर के लिए बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा चुनें।
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प्रतिमा में गणेश जी के पास मोदक और मूषक (वाहन) का होना आवश्यक है।
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घर के लिए सफेद या सिंदूरी रंग की प्रतिमा सबसे शुभ मानी जाती है।
🍬 गणेश जी के प्रिय भोग
भगवान गणेश को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता है कि गणपति को मोदक अर्पित करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा लड्डू, नारियल, गुड़ और फल भी गणपति जी को अर्पित किए जाते हैं।
🕉️ गणेश मंत्र
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ॐ गं गणपतये नमः
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वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
इन मंत्रों का जप करने से विघ्न दूर होते हैं और कार्य सिद्धि होती है।
🎶 गणेश आरती
गणेश चतुर्थी की पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। परिवार और भक्तगण मिलकर आरती करते हैं और “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगाते हैं।
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🌸 गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व
गणेश चतुर्थी पर व्रत रखने की परंपरा भी है। इस दिन उपवास कर गणेश जी की आराधना करने से बुद्धि, धन, सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है। व्रत करने वाला साधक दिनभर संयमित आहार ग्रहण करता है और रात को फलाहार करता है।
🌍 गणेश चतुर्थी का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव भी है। इस दौरान पंडालों में सुंदर सजावट, झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। समाज के लोग एकजुट होकर उत्सव मनाते हैं और भाईचारे का संदेश देते हैं।
✨ निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 (27 अगस्त) को गणपति बप्पा की विधिवत स्थापना और पूजा से घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति का वास होता है। यदि पूजा वास्तु नियमों और शुभ मुहूर्त के अनुसार की जाए तो जीवन से विघ्न दूर होते हैं और मंगल कार्य सिद्ध होते हैं।