Monkeypox-guidelines-by-health-ministry-issues-to-states-UTs-details
COVID-19 के नए-नए वेरिएंट्स से अभी तक देश और विदेश संभलें नहीं है कि अब मंकीपॉक्स(Monkeypox) तेजी से कहर बनकर दुनिया पर टूट रहा है।
मंकीपॉक्स के मामले दुनिया में जिस तेजी से बढ़ रहे है उससे भारत सरकार की टेंशन भी बढ़ गई है। इसलिए केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन्स जारी कर दी(Monkeypox-guidelines-by-health-ministry)है।
मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry)ने आज,मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मंकीपॉक्स के मैनेजमेंट पर दिशा-निर्देश जारी कर दिए(Monkeypox Guidelines) (Monkeypox-guidelines-by-health-ministry-issues-to-states-UTs-details)है।
हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स(Monkeypox)एक भी केस नहीं आया है।
इसके बावजूद सरकार एहतियात के स्तर पर किसी तरह की लापरवाही नहीं चाहती है।
यही वजह है कि मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी की है,ताकि बीमारी या इसके लक्षणों को लेकर किसी तरह की गलतफहमी न रहे।
साथ ही अगर आगे चलकर कोई केस आता है तो उस समय के हालात को बेहतर ढंग से मैनेज किया जा सके।
इन गाइडलाइंस में कहा गया है कि एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम नेटवर्क (Integrated Disease Surveillance Program) के माध्यम से नैदानिक नमूने NIV पुणे भेजे जाएंगे
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक(Monkeypox-guidelines-by-health-ministry-issues-to-states-UTs-details)जब से कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है तब से 21 दिनों तक वह निगरानी में रहेगा।
इस दौरान देखा जाएगा कि उसमें कोई लक्षण है या नहीं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि देश में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई केस नहीं है।
मंकीपॉक्स पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की ये गाइडलाइन्स । Monkeypox-guidelines
–दिशानिर्देशों में बताया गया है कि मंकीपॉक्स से पीड़ित किसी शख्स के कांटैक्ट में आने के बाद 21 दिन तक लगातार उसके लक्षणों की निगरानी की जाए।
–इसके अलावा लोगों को इस बारे में भी जागरूक बनाने पर जोर दिया गया है, कि वो ऐसे बीमार व्यक्ति के किसी सामान का इस्तेमाल करने से बचें।
–साथ ही अगर इस बीमारी से पीड़ित कोई आइसोलेशन में है तो उसकी देखभाल करते वक्त हाथों को सही ढंग से सैनेटाइज किया जाए।
–इसके अलावा उचित ढंग की पीपीई किट पहनने की जरूरत पर भी जो दिया गया है।
-मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के केस को कंफर्म माना जाएगा। इसके लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग का तरीका ही मान्य होगा।
-अगर कोई संदिग्ध मामला आता है कि राज्यों और जिलों में बने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के नेटवर्क के जरिए इसका सैंपल आईसीएमआर-एनआईवी के पुणे स्थित शीर्ष लैब में भेजा जाएगा।
वहीं मंकीपॉक्स से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक सभी इंतजाम महामारी विज्ञान के तहत किए जाने हैं।
इसमें बीमार और उसकी देखभाल, डायग्नोसिस, केस मैनेजमेंट और रिस्क संबंधी फैक्टर्स पर ध्यान देने की बात कही गई है।
जानें क्या है मंकीपॉक्स वायरस ? What is Monkeypox
यह एक दुर्लभ संक्रमण है जो स्मॉल पॉक्स के रूप में दिखाई देता है। स्मॉल पॉक्स को छोटी माता या चेचक भी कहते हैं।
डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, इस संक्रमण का पहला मामला साल 1970 में इंसानों में पाया गया था।
वहीं साल 1970 से लेकर अब तक अफ्रीका के देशों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, यह संक्रमण बंदरों में पाया गया था। ये वो बंदर थे, जिन्हें रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिसके बाद बंदरों से यह बीमारी इंसानों में अफ्रीका में मिली।
जानें मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं? – Monkeypox symptoms
जिन लोगों को मंकीपॉक्स हुआ है उन लोगों में अब तक फ्लू के लक्षण, चेचक की समस्या होने पर दिखने वाले लक्षण, निमोनिया के लक्षण आदि दिखाई दे रहे हैं, इसके अलावा पूरे शरीर पर लाल रंग के दाने, रैशेज आदि भी दिखाई दे रहे हैं. विस्तार में जानते हैं लक्षणों के बारे में-
- सिर दर्द की समस्या हो जाना
- शरीर पर गहरे लाल रंग के दाने नजर आना
- व्यक्ति को फ्लू के लक्षण नजर
- निमोनिया के लक्षण नजर आना
- तेज बुखार होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- व्यक्ति को तेज ठंड लगना
- व्यक्ति को अत्यधिक थकान महसूस करना
- व्यक्ति के लिए लिम्फ नोड्स में सूजन हो जाना
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