मदर टेरेसा को प्रथम विश्व युद्ध के विनाश ने बहुत दुख पहुंचाया था, इस दुख को कम करने के लिए उनके सहयोग हेतु वो दीन-दुखियों की सेवा करने वाली एक संस्था “मोडालिति” की सदस्य बन गई।
अग्नेस जब 12 वर्ष की थीं तब उन्हें भारत के प्रति लगाव हो गया और भारत आने के सपने संजोने लगी।
अग्नेस ईसाई मिशनरी में विधिवत रूप से संन्यासी बन गयी तब उनका नाम अग्नेस से बदलकर ‘टेरेसा’ रखा गया जो आगे जाकर मदर टेरेसा के नाम से विश्व में विख्यात हुआ।
29 अगस्त 1928 में उन्होंने अपना सपना पूरा किया और वह भारत आ गयी।
सन 1964 में पॉप लो पंचम ने उन्हें अपनी गाड़ी उपहार रूप में दे दी। परंतु वे मोह माया से परे थी और दीन-दुखियों की मदद करने में आगे रहती थी इसलिए उन्होंने उस गाड़ी को बेचकर जो पैसा इकट्ठा हुआ वह दीन-दुखियों के काम में लगा दिया।
मात्र 12 साल की उम्र में उन्होंने यह ठान लिया था कि वह धार्मिक सेवा के साथ जुड़ जाएंगी. इसलिए 18 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और दो नन सिस्टर्स के साथ जाकर खुद भी नन बन गई। उसके बाद कभी भी उन्होंने अपने घर वापस नहीं की।
26th August mother teresa’s birthday Some interesting facts related to MotherTeresa life
उनके धार्मिक कार्यक्रमों की वजह से उन्हें सन 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार से गया था। इतना ही नहीं, सन 1980 में उन्हें भारत के सर्वोच्च उच्च नागरिकों में स्थान मिला और भारत के सर्वोच्च नागरिक रत्न से उन्हें नवाजा गया।
उन्होंने खुद से मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था शुरू की जो लगभग 123 देशों में चलाई जा रही है।
भारत देश के अलावा कई विदेशों में भी उन्हें उनके धार्मिक कार्य और सेवाओं की वजह से जाना जाता है जिसकी वजह से उनके जीवन पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं।
5 सितंबर 1997 के दिन उन्हें अचानक हार्ट अटैक आ गया जिसकी वजह से उनका निधन हो गया और देश में राजकीय शोक घोषित किया गया।
मदर टेरेसा एक सामान्य स्त्री थीं जिन्होंने भारत के गरीब लोगों के लिए बहुत कुछ किया।
उन्होंने बिना कोई पक्षपात किए गरीब लोगों को पढ़ाया और उनके इलाज के लिए उन्हें पूरी सहायता प्रदान की।
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उन्हें कभी भी कुछ इनाम में मिलता था तो वे उसे बेचकर गरीबों की सेवा में ही लगा दिया करती थीं।
भारत देश में ही नहीं बल्कि 123 देशों ने इस महान आत्मा को 1997 में ही खो दिया था जो गरीबों के लिए एक देवी समान थीं।