नए सैलरी नियम से अब आपकी अगली तनख्वाह होगी कम, जानें कैसा होगा New Salary Structure
Labour Codes के लागू होने से आने वाली सैलरी में होंगे कई महत्वपूर्ण बदलाव, रिटायरमेंट राशि में बढ़ोतरी होगी
new salary structure : want to know why employees take home salary will decrease
नई दिल्ली (समयधारा) : एक तरफ देश भर में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है l
तो दूसरीं तरफ जल्द ही नया सैलरी स्ट्रक्चर देश भर में अगले कुछ महीने में लागू हो सकता है l
और अगर आप नौकरी कर रहे हैं तो आपके लिए यह खबर कुछ टेंशन वाली हो सकती है l
एक तो कोरोना की मार ऊपर से नौकरीयां जा रही है वही नौकरी है तो सैलरी में कटौती जारी है l
कई प्राइवेट ऑफिस में सैलरी 10 से 60-70 फीसदी तक कट रही है l अब यह एक और सरदर्द l
इन सब की वजह है, लेबर कोड (labour codes) जो पहले अप्रैल 2021 में लागू किया जाना था।
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अब इसके अगले कुछ महीनों में चारों के लागू होने की संभावना है।
इन चारो लेबर कोड लागू होने से टेक होम सैलरी कम हो जाएगी रिटायरमेंट राशि में ऑटोमेटिक रूप से बढ़ोतरी होगी।
जिसमें टेक होम सैलरी में कटौती और PF कंट्रीब्यूशन बढ़ जाता। इसमें ग्रेच्युटी (gratuity) बढ़ने की संभावना है।
एक बार वेज कोड के लागू होने के बाद, कर्माचारियों की बेसिक पे और प्रोविडेंट फंड के कैलकुलेट करने के तरीकों में बड़े बदलाव होंगे।
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न्यू वेज कोड क्या है
सरकार ने 29 श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए वेज कोड तैयार किए हैं।
इनमें इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (OSH) और सोशल सिक्योरिटी कोड ऑन वेजेज शामिल है।
वेज कोड एक्ट (Wage Code Act), 2019 के मुताबिक अब किसी भी कंपनी में कर्मचारी की बेसिक सैलरी
कंपनी की लागत (Cost To Company-CTC) के 50 फीसदी से कम नहीं हो सकती है।
नया वेतन कोड (New Wage Code) लागू हो जाने के बाद नियोक्ताओं (Employer) को
सीटीसी (CTC) का 50 फीसदी मूल वेतन (बेसिक सैलरी) के रूप में कर्मचारी को देना होगा।
इससे भविष्य निधि (Provident Fund) और ग्रैच्युटी (Gratuity) जैसे अन्य घटकों के लिए कर्मचारियों (Employees) का योगदान बढ़ जाएगा।
न्यू वेज कोड लागू होने पर बोनस (bonuses), पेशन (pension), वाहन भत्ता (conveyance allowance),
मकान का किराया भत्ता (House Rent Allowance), आवास लाभ (housing benefits), ओवरटाइम (overtime) आदि बाहर हो जाएंगे।
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इसमें मूल रूप से बैसिक पे (basic pay), डीए (dearness allowance) retention payment समेत तीन घटक (Components) शामिल होंगे।
कंपनियों को यह निश्चित करना होगा कि बेसिक सैलरी को छोड़कर CTC में शामिल किए कुछ अन्य घटक 50 फीसदी से अधिक न हों और अन्य आधे में बेसिक सैलरी होनी चाहिए।
राज्यों को भी तय करने होंगे नियम
श्रम मंत्रालय ने चार कोड के तहत नियमों को भी तय कर लिया था। लेकिन इन्हें लागू नहीं किया जा सका।
इसकी वजह ये रही कि इन कोड के तहत नियमों को नोटिफाई करने की स्थिति में नहीं थे।
भारत के संविधान के तहत, श्रम समवर्ती सूची में आता है,
और इसलिए इन चार कोड को अपने अधिकार क्षेत्र में कानून बनाने के लिए इनके तहत आने वाले नियमों को नोटिफाई करना होगा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई बड़े राज्यों ने चार कोड के तहत नियमों को तय नहीं किया है।
कुछ राज्य इन कानूनों को लागू करने के लिए नियमों को तय करने की प्रक्रिया में हैं।
केंद्र सरकार इन कोड के तहत नियमों को तय करने के लिए राज्यों का और इंतजार नहीं कर सकती।
लिहाजा केंद्र सरकार इन कोड को कुछ महीनों के भीतर लागू करने की तैयारी में है।
क्योंकि कंपनियों या प्रतिष्ठानों (establishments) को नए कानून से तालमेल बैठाने के लिए कुछ समय देना होगा।
सूत्र के मुताबिक, कुछ राज्यों ने ड्राफ्ट नियमों को पहले ही तय कर लिए हैं।
ये राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड हैं।
(इनपुट एजेंसी से भी)