Navratri Day 1 how to get blessing maa shailputri pujan vidhi
नई दिल्ली (समयधारा) : इस बार नवरात्री 7 अक्टूबर 2021 को शुरू हो रहे है l
नवरात्रि के नौ दिनों का अपना एक अलग ही महत्व होता है l हर दिन माता के नौ रूपों में से एक को पूजा जाता है l
माता के ये नौ रूप अपने आप में आपके सारे दुखों को हरने आप पर लक्ष्मी की असीम कृपा बरसाने,
और आपको मान सम्मान ख्याति दिलाने के लिए प्रेरित करते है l
माँ के हर रूप का अपना एक अलग ही महत्व है l आज से हम हर दिन माँ के इन्ही नौ स्वरूपों से आपको अवगत कराएँगे l
किस तरह से इन नौ स्वरूपों की पूजा से आप न सिर्फ अपने सारे दुःख का निवारण कर सकते है बल्कि समाज में मान सम्मान, ख्याति, आदि की प्राप्ति कर सकते है l
Navratri Day 1 how to get blessing maa shailputri pujan vidhi
शैलपुत्री ( पहला दिन ) :
7 अक्टूबर 2021 नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री जी की पूजा की जाती है l
माँ शैलपुत्री की पूजा के वस्त्र / चोला (मैरुन) पहनकर करें तो बहुत ही शुभ होता है l
व माता के भोग (सफेद चीजें, या गांय के घी से बनी) करें तो अत्यंत शुभ माना जाता है l
यह सब करने से, सभी प्रकार के रोगो से मुक्ति मिल जाती हैl
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘ शैलपुत्री ‘ पड़ा।
माता शैलपुत्री का स्वरुप अति दिव्य है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और मां के बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है।
मां शैलपुत्री बैल पर सवारी करती हैं। मां को समस्त वन्य जीव जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है।
कुछ और बातें माँ के पहले रूप के बारे में l
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री कि पूजा की जाती है जो कि माँ दुर्गा का ही रूप है।
माता शैलपुत्रि ने अपने इस रूप में हिमालय के घर जन्म लिया था और अपने इस रूप में वह वृषभ पर विराजमान रहती हैं।
हमेशा उनके एक हाथ में फूल और एक हाथ में त्रिशूल रहता है।
इस दिन कि खास बात यह है कि इस दिन माता कि पूजा करने से अच्छी सेहत प्राप्त होती है।
माँ की उपासना पूजा विधि इस मंत्र के साथ करें l
Navratri Day 1 how to get blessing maa shailputri pujan vidhi
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् । वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
माता की उपासना के लिए मंत्र:
इस तरह लगाएं मां शैलपुत्री को भोग:
मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।