Navratri Ghatasthapana 2025 Muhurat
नवरात्री घटस्थापना: आज का मुहूर्त, विधि और प्रथम दिन का महत्व
परिचय
नवरात्री हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र त्योहार है, जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस त्योहार की शुरुआत “घटस्थापना” या “कलश स्थापना” से होती है। आज शारदीय नवरात्री 2025 की प्रथम तिथि है, अर्थात् घटस्थापना का दिन है। इस लेख में हम जानेंगे आज का शुभ मुहूर्त, घटस्थापना विधि, पूजा सामग्री, माता शैलपुत्री की पूजा विधि, रंग-विधान, तथा इस दिन से संबंधित पारंपरिक और ज्योतिषीय मान्यताएँ।
आज का दिन और तिथि
- शारदीय नवरात्री 2025 22 सितम्बर, सोमवार से आरंभ हो रही है।
- प्रथम दिन तिथि है प्रथमा (प्रतीपदा), जो अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि है। (
घटस्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat)
समय | |
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मुख्य घटस्थापना मुहूर्त | सुबह 6:09 AM से 8:06 AM तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:49 AM से दोपहर 12:38 PM तक |
इन मुहूर्तों में पूजा-आरंभ करना शास्त्रों के अनुसार शुभ माना जाता है। विशेष रूप से घटस्थापना के लिए पहला मुहूर्त अधिक प्रभावशाली है।
वही पंडित कुमार शर्मा जी के अनुसार एक उत्तम मुहूर्त भी है जो दिन में 9:11am से 10:43am तक रहेगा l
रंग विधान (Colour of the Day)
- आज का रंग है सफेद (White), जो शांति, पवित्रता, दिव्यता और नव शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। (Prokerala)
- इस दिन सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है ताकि मन में शांति बनी रहे।
Navratri Ghatasthapana 2025 Muhurat
पूजा विधि और घटस्थापना की प्रक्रिया
- शुद्ध स्नान – सुबह शुद्ध स्नान करें। नया या साफ़ वस्त्र धारण करें।
- स्थान की स्वच्छता – पूजा स्थल साफ करें, कलश रखने की जगह विशेष हो।
- कलश स्थापना (Kalash / Ghatasthapana):
- एक कलश लें, उसमें स्वच्छ जल भरें।
- कलश के मुख पर नारियल रखें और आम के पत्ते से सजाएँ।
- कलश को फूल, अक्षत (चावल), हल्दी-कुमकुम से सजाएँ।
- भूमि / अन्न बीज बुवाई – कलश के पास किसी कटोरी या मिट्टी में अनाज की थोड़ी सी बुवाई करें, जैसे जौ या अन्य सात अनाज (सप्त धान्य) आदि। यह नए जीवन और वृद्धि का प्रतीक है। (Radha Krishna Temple)
- पूजा अर्चना: माता शैलपुत्री की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें, पूजा सामग्री अर्पित करें – ताजे फूल, धूप-दीप, नैवेद्य (फल, मिठाई, घी-भोग)।
- मंत्र जाप और आरती – मुख्य मंत्र जैसे “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” आदि जप करें, माता की आरती करें।
माता शैलपुत्री का महत्व (Significance of Maa Shailputri)
- शैलपुत्री देवी हिमालय की पुत्री हैं और देवी पार्वती की स्वरूप हैं। माता शैलपुत्री का स्वरूप संयम, सौम्यता और प्राकृतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
- उनके हाथों में त्रिशूल और कमल है; एक हाथ में आशा और धैर्य का प्रतीक है, अन्य में Lotus और Trident से शक्ति।
- मां शैलपुत्री की उपासना हमें जीवन में संयम बनाये रखने, धर्म का मार्ग पकड़ने और आंतरिक शक्ति जागृत करने का संदेश देती है।
क्या करें और क्या ना करें (Do’s and Don’ts)
करें:
- निर्धारित शुभ मुहूर्त में ही घटस्थापना करें।
- स्वस्थ और शुद्ध भोजन करें; यदि व्रत रखते हैं तो भोग-नैवेद्य सरल हो।
- मनोनयन (intent) शुद्ध रखें, अहंकार एवं घमंड से दूर रहें।
- सुबह-सवेरे कलश स्थापना करके माँ को जल अर्पित करें।
ना करें:
- अनावश्यक शोर-गुल या व्यस्तता के समय पूजा न करें।
- महा अमावस्या या अन्य दोषी समय में पूजा टालें।
- पूजा सामग्री में कुछ ख़राब या अधूरी सामग्री न हों।
- भोजन, दूध, घी आदि बेकार न हों — नैवेद्य का आदर करें।
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Navratri Ghatasthapana 2025 Muhurat
घटस्थापना के फल एवं ज्योतिषीय लाभ (Benefits)
- श्राद्ध-व्रत की शुरुआत होने से देवी माता की कृपा बनी रहती है और पूरे नव दिन शुभ रहते हैं।
- कष्टों से मुक्ति, मन शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि की प्रेक्षा होती है।
- परिवार में सौहार्द, ऊर्जा तथा सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है।
- एक नए अध्याय की शुरुआत; जीवन के नए कार्य, नए निर्णय, नई योजनाएँ सफलता की ओर ले जाती हैं।
निष्कर्ष
आज का दिन — 22 सितम्बर 2025, घटस्थापना मुहूर्त — नवरात्री का पहला दिन है, जिसमें माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह दिन शुद्धता, संयम, आरंभ और आस्था का मातहत प्रतीक है। यदि आप शुद्ध मन से पूजा कर रहे हैं, शुभ मुहूर्त का पालन कर रहे हैं, तो निश्चय ही माँ की कृपा आप पर बनी रहेगी।